जयपुर. राजस्थान की राजनीति में कैबिनेट पुनर्गठन को लेकर फिर से चर्चाएं शुरू हो गई हैं. क्योंकि गहलोत कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या 30 है. ऐसे में अब अगर एक भी मंत्री नया बनाना हो तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कैबिनेट में पुनर्गठन ही करना होगा. अब विस्तार संभव नहीं है, लेकिन कैबिनेट पुनर्गठन में सबसे बड़ी दिक्कत यह होगी कि किस आधार पर कैबिनेट से मंत्रियों को बाहर किया जाए, यही कारण है कि अब मंत्रियों पर बेहतर परफॉर्मेंस देखने की बात की जा रही है तो वही जो मंत्री अब चुनावी दौर में संगठन का काम करने में सक्षम होंगे उन्हें भी कैबिनेट से निकालकर संगठन में हिस्सेदारी दी जाएगी.
संगठन पहले से कर रहा मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार, अब सरकार भी करेगी मंत्रियों के काम को रिव्यू : राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पहले ही (Politics of Rajasthan Congress) मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रहे हैं. संगठन के स्तर पर तैयार हो रही रिपोर्ट में कार्यकर्ताओं के मंत्रियों के किए जा रहे कामों और संगठन की ओर से जो कार्यक्रम मंत्रियों को दिए गए, उसे आधार बनाया जा रहा है तो वहीं सरकार के स्तर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इसी महीने मंत्रियों के कामकाज को लेकर रिव्यू बैठक करेंगे.
यह बैठक एक बार निरस्त हो चुकी है और 21 और 22 को भी इस बैठक की होने के आसार कम ही हैं. लेकिन उसके बाद में जुलाई महीने के अंत तक (Congress Organization is Preparing Report Card of Ministers) मंत्रियों के विभागों के कामकाज की समीक्षा कर ली जाएगी. राजस्थान कांग्रेस की ओर से मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को भिजवाया जा रहा है और जब सरकार और संगठन की रिपोर्ट ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को मिल जाएगी, उसके बाद गहलोत को कैबिनेट पुनर्गठन के लिए कांग्रेस आलाकमान से ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा.
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राहुल गांधी के इशारे बता रहे पायलट को मिल सकती है कोई भूमिका : कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जिस तरह से सचिन पायलट के धैर्य की तारीफ कर चुके हैं और उसके साथ ही 2 दिन पहले उन्होंने जिस तरह से सरकार के कामकाज की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही सचिन पायलट की तस्वीर पोस्ट की. उससे अंदाज लगाया जा रहा है कि पायलट को भी राजस्थान में कोई नई भूमिका मिल सकती है. हालांकि, उनकी भूमिका संगठन में होगी या फिर सरकार में इसके बारे में केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं. निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता.
यह स्थिति बनी मुसीबत : राजस्थान में जो पिछले साल नवंबर महीने में जब कैबिनेट का विस्तार हुआ था तो विस्तार के साथ ही प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने साफ कर दिया था कि जल्द ही इस कैबिनेट में भी बदलाव किए जाएंगे. लेकिन अब सरकार ओर संगठन के सामने मुसीबत यह है कि इन मंत्रियों को वह मंत्रिमंडल से बाहर करें. क्योंकि गहलोत कैबिनेट से केवल उन तीन मंत्रियों पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी, गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बन चुके गोविंद डोटासरा थे. इन्हें भी संगठन में बड़े पद मिलने के चलते हटाया गया था.
अब क्योंकि पुराने मंत्रियों को योग्य मानते हुए कंटिन्यू किया गया और बाकी नए बनाए गए मंत्रियों को अभी 1 साल का समय भी पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में किस आधार पर (Gehlot Government Making Leaders Performance Chart) इन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर किया जाए, यह भी बड़ा सवाल है.