जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज 24 फरवरी को अपना बजट पेश करते हुए विपक्ष पर भी जमकर कटाक्ष किया. उन्होंने अपने बार-बार पानी पीने की बात पर विपक्ष की चुटकी लेते हुए कहा कि मैं 7 बार पानी पी चुका हूं, लेकिन मैं पानी पी-पीकर आपको नहीं कोस रहा हूं. मेरा दिल पक्ष-विपक्ष के लिए भर हुआ है, मैं पक्ष और विपक्ष को साथ लेकर चलता हूं. गहलोत ने कहा कि जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपना बजट पेश किया था तो एक बार भी पानी नहीं पिया था, जो बड़ी बात है, लेकिन मैं केवल इसलिए बार-बार पानी पी रहा हूं क्योंकि मेरा गला खराब रहता है.
वहीं, उन्होंने मदर टेरेसा की कुछ पंक्तियां को बोलते हुए लिखा कि हम छोटी चीजों से अधिक प्रेम कर सकते हैं. उन्होंने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि प्लीज शब्द को अपनाना चाहिए. दिल्ली को समझाओ, देश सद्भावना से चलता है, नफरत और गुस्से से देश नहीं चलता है. लोकतंत्र में असहमति का भी स्थान होता है, वह देशद्रोही नहीं आपके देश के नागरिक हैं. जब मुख्यमंत्री घोषणाएं कर रहे थे तो उन्होंने विपक्ष की एक बार फिर चुटकी लेते हुए कहा कि बार-बार खड़े होने का शायद कोई व्हिप जारी हुआ है. लेकिन व्हिप जारी किया किसने, जब आप लोगों के अभी कोई चीफ व्हिप बनाया ही नहीं जा सका है.
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हमारा 60 इंच का सीना है...
गहलोत ने कहा कि बार-बार कहा जा रहा था कि आम बजट कैसे पेश करेंगे, लेकिन जादूगर की जादूगरी आप लोगों के सामने है. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विपक्ष की आलोचना करने के साथ ही पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के समय शुरू किया गया भामाशाह आईटी सेंटर टीयर 4 श्रेणी का बेहतरीन आईटी सेंटर है. हमने उसे बंद नहीं किया और पिछली सरकार की उसके लिए तारीफ भी करते हैं. उन्होंने कहा कि हम आपकी तरह अच्छी योजनाओं को सरकार के नाम पर बंद नहीं करते हैं. हमारा 56 इंच का नहीं, 60 इंच का सीना है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम पूर्ववर्ती सरकार की तरह बेहतर योजनाओं को बंद नहीं करते हैं.
उन्होंने बजट के दौरान कहा कि वसुंधरा जी तो उस समय पैरों से ऊपर उठ गई थीं, वह भी याद है मुझे. वहीं, राजेंद्र राठौड़ को लेकर कहा कि आप तो कारीगर हो बहुत बड़े, गाना गाने में भी आपका कोई सानी नहीं है और शायरी करने में भी आपकी अदाएं तो अलग तरीके की हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट का समापन एक शेर के साथ किया, जिसमें उन्होंने इशारों-इशारो में राजनीतिक संकट से उबरने का भी जिक्र कर दिया. उन्होंने कहा, 'मेरे हौसलों में अभी जान बाकी है, अभी तो दौड़ देखी है मेरी अभी उड़ान बाकी है...मेरी सादगी से मेरे बारे में अंदाजा मत लगाना, यह तो शुरुआत भर है अंजाम अभी बाकी है' तो वहीं आखिरी शेर में उन्होंने कहा, 'निगाहों में मंजिल थी, गिरे और गिरकर संभलते रहे, हवाओं ने बहुत कोशिश की मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे.'