जयपुर. प्रदेश में पक्षियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार पक्षियों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, प्रदेश में अब तक 5,130 पक्षियों की मौत हो चुकी है. जिनमें 3636 कौए, 271 मोर, 397 कबूतर और 826 अन्य पक्षियों की मौत हुई है. बर्ड फ्लू से ज्यादातर कौए की मौत हो रही है. पूरे प्रदेश में शनिवार को एक दिन में 215 पक्षियों की मौत हुई है. जिनमें 141 कौए, 10 मोर, 30 कबूतर और 34 अन्य पक्षी शामिल है.
जयपुर चिड़ियाघर में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है. जिसके बाद चिड़ियाघर के पक्षियों की जान को भी खतरा बढ़ गया है. जयपुर चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद वन विभाग ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. साथ ही जू में हाइपोक्लोराइट सोडियम का छिड़काव भी किया जा रहा है और पर्यटकों के लिए चिड़ियाघर को बंद भी किया गया है. इसके साथ ही वन कर्मियों को भी पीपीई किट पहनकर पक्षियों की देखरेख करने के लिए निर्देशित किया गया है.
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राजस्थान में करीब 17 जिले बर्ड फ्लू से प्रभावित हुए हैं. 16 जनवरी को प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 17 जिलों में 67 नमूने पॉजिटिव पाए गए हैं. प्रदेश में 27 जिलों से 266 सैंपल जांच के लिए भोपाल लैब में भेजे जा चुके हैं. बाड़मेर और अलवर से मृत पक्षियों के भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव प्राप्त हुई है. भीलवाड़ा से मृत पक्षियों के सैंपल में से एक पॉजिटिव पाया गया है.
जयपुर में एक दिन में ही 59 पक्षियों की मौत हुई है, जिनमें से 39 कौए, 3 मोर, 7 कबूतर और 10 अन्य पक्षियों की मौत हुई है. जयपुर में अब तक 1027 पक्षियों की मौत हो चुकी है, जिनमें 893 कौए, 7 मोर, 60 कबूतर, 4 मुर्गी और 63 अन्य पक्षी शामिल है.
पूरे प्रदेश की बात की जाए तो आज जयपुर में 59, अलवर में 0, दोसा में 04, झुंझुनू में 07, सीकर में 0, अजमेर में 05, भीलवाड़ा में 02, नागौर में 20, कुचामन सिटी में 01, टोंक में 09, भरतपुर में 02, धौलपुर में 01, सवाई माधोपुर में 04, बीकानेर में 0, श्रीगंगानगर में 00, जोधपुर में 18, बाड़मेर में 01, जैसलमेर में 0, जालोर में 03, पाली में 04, कोटा में 26, बारां में 22, बूंदी में 07, झालावाड़ में 20, बांसवाड़ा में 0, चित्तौड़गढ़ में 0 पक्षियों की मौत हुई है. प्रदेश के सभी चिड़ियाघरों में विशेष निगरानी और सतर्कता बरती जा रही है. मृत पक्षियों के डिस्पोजल और सैंपल कलेक्शन के दौरान पूर्ण सावधानी बरती के भी निर्देश दिए गए हैं.
पशुपालन विभाग वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ाई गई है. पोल्ट्री फार्म पर विशेष निगरानी रखी जा रही है. सबसे पहले झालावाड़ में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. 25 दिसंबर को पहली बार झालावाड़ में कौवे के मरने की सूचना मिली थी. जिसके बाद 27 दिसंबर को मारने के कारणों की जांच के लिए सैंपल भोपाल में भेजे गए. जहां बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई. इसके बाद लगातार प्रदेश में कौवो के मरने के मामले सामने आ रहे हैं.
पतंगबाजी से घायल पक्षियों के उपचार में एनजीओ का योगदान
मकर सक्रांति पर पतंगबाजी से कई बेजुबान पक्षी घायल हो गए. 13 जनवरी से 15 जनवरी तक जयपुर शहर में चार जगह पर पक्षी उपचार शिविर लगाए गए. जहां पर पतंगबाजी से एक घायल पक्षियों का इलाज किया गया. वन विभाग ने स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से शिविर लगाकर पक्षियों को राहत पहुंचाई.
पतंगबाजी से घायल पक्षों के उपचार में एनजीओ के कर्मचारियों ने भी सराहनीय भूमिका निभाई है. हॉप एंड बियॉन्ड, एंजेल आईज फाउंडेशन, और रक्षा संस्थान ने मकर सक्रांति पर घायल होने वाली पक्षियों के उपचार में अहम योगदान दिया है. इस बार मकर सक्रांति पर करीब एक हजार से भी ज्यादा पक्षी पतंग बाजी से घायल हुए हैं.
रक्षा संस्थान के रोहित गंगवाल ने बताया कि रक्षा संस्थान, वन विभाग और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में 11 जनवरी से 17 जनवरी तक पक्षी सहायता केंद्र का आयोजन किया गया. कोविड-19 और बर्ड फ्लू के कारण इस वर्ष रामनिवास बाग में शिविर का आयोजन नहीं किया गया. रक्षा संस्थान की ओर से लगाए गए पक्षी उपचार शिविर में 230 कबूतर रेस्क्यू किए गए. इसके अलावा 7 चील, 2 स्पोटेड आउलेट, एक ओरिएंटल व्हाइट आई, 03 जल कौए, 1 ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, 2 मोर, एक मोरनी को रेस्क्यू किया गया और उपचार किया गया. पक्षी चिकित्सा उपचार में डॉक्टर राकेश मिश्रा, डॉक्टर ऊष्मा पटेल, डॉक्टर चेतन और डॉक्टर ऐश्वर्या का अहम योगदान रहा है.
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हॉप एंड बियॉन्ड के जॉय गार्डनर ने बताया कि बर्ड फ्लू के चलते बड़ी सावधानी पूर्वक पक्षियों कार्य शुरू किया गया है. सभी को पीपीई किट पहनकर खुद की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेस्क्यू करने के निर्देश दिए गए थे. वन विभाग और एनजीओ ने मिलकर काफी बेजुबान परिंदों की जिंदगी बचाई है.