जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को पशुधन के स्वास्थ्य व रोग नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से पिछले 2 वित्तीय वर्षों पर कराए गए कामों को लेकर रखे सवाल के जवाब को लेकर सवाल खड़े हुए. सवाल के जवाब में दो अलग-अलग जगह खर्च की गई राशि अलग-अलग बताई गई, तो विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने इस पर आपत्ति जताई. स्पीकर सीपी जोशी ने भी कहा कि एक ही योजना में 431 लाख की स्वीकृति तो बताई गई, लेकिन इसमें व्यय हुई राशि एक जगह अलग बताई गई है और दूसरी जगह अलग. इसका क्या कारण है. इस पर मंत्री रामलाल जाट सकपका गए और कहा कि मैं स्वीकार करता हूं कि इस में अंतर है, लेकिन इस अंतर का कारण मैं अधिकारियों से पता कर विधायक को बता दूंगा.
कटारिया के आरोप- जनजाति क्षेत्र के विकास का ज्यादातर फंड मंत्री ले गए अपने क्षेत्र में, बाकी जनजाति क्षेत्र के विधायक खाली हाथ : राजस्थान विधानसभा में आज जनजाति क्षेत्र में विकास कार्यों के खर्च के सवाल पर विधायक को पूरा जवाब नहीं मिलने पर सदन में विधायक ने प्रश्न खड़े किए तो स्पीकर सीपी जोशी ने भी मंत्री से यह कहा कि जिस सदस्य ने सवाल पूछा है जवाब उसके पास पूरा पहुंचना चाहिए. दरअसल, सवाल में भाजपा विधायक अमृत लाल मीणा ने जनजाति विकास का बजट उनके क्षेत्र में नहीं देने के आरोप लगाए.
जिस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी जनजाति विकास के पैसे के वितरण की सही जानकारी नहीं देने के आरोप लगाते हुए कहा कि योजनाओं के पैसे की जानकारी विधायकों को नहीं मिली है. इस पर मंत्री बामणिया ने कहा कि सभी विभागों की जानकारी भेजी गई है. इस जवाब से नेता प्रतिपक्ष नाराज हो गए और उन्होंने सदन में मंत्री अर्जुन बामणिया पर यहां तक (Gulab Chand Kataria Alleged Minister Arjun Singh Bamaniya) आरोप लगा दिया कि जनजाति क्षेत्र में विकास का ज्यादातर फंड मंत्री अपने इलाके में ले गए, बाकी सारे विधायक बैठे देख रहे हैं.
बीमा कंपनी ने करार थोड़ा तो क्यों दिया उसे वापस काम : उप नेता प्रतिपक्ष राजन राठौड़ ने आज विधानसभा में राज सहकार व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना से जुड़ा सवाल लगाया और पूछा कि श्रीराम लाईफ इन्श्योरेंस ने करार क्यों तोड़ा? उस समय किसान से प्रति हजार कितना प्रीमियम लिया गया और क्या कारण रहे कि श्रीराम लाईफ को फिर काम दिया गया. इस पर मंत्री टीकाराम जुली का विधानसभा में जवाब देते हुए कहा कि दो बार टेंडर किए, लेकिन कोई कम्पनी नहीं आई. ब्लैक लिस्ट करने का इसमें कोई प्रावधान नहीं है. करार दोनों तरफ से होते हैं. 3 महीने का नोटिस देने के बाद कम्पनी या सरकार कोई भी करार खत्म कर सकता है. सरकार ने जो निविदा की उसमें LIC का प्रीमियम चार गुना ज्यादा था. LIC 54 रुपये मांग रही थी, जबकि हमने मात्र 17.70 रुपये में 60 वर्ष तक कि आयु वालों के लिए किया. इस जवाब पर सदन में हंगामा हुआ. हालांकि, स्पीकर सीपी जोशी ने विपक्ष को बैठा दिया.
ट्रिपल आईटी कोटा में 31 दिसम्बर से शुरू होगा शिक्षण, पंजाब के जहरीले पानी पर सरकार गम्भीर : राजस्थान विधानसभा में आज ट्रिपल आईटी कोटा से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्री सुभाष गर्ग ने सदन को बताया कि ट्रिपल आईटी (Minister Subhash Garg on IIIT in Kota) कोटा में 31-12-2022 से ही शिक्षण का काम शुरू हो जाएगा तो वहीं पंजाब से राजस्थान में आ रहे जहरीले पानी को लेकर लगे सवाल के जवाब में मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने सदन को जवाब देते हुए कहा कहा कि इस मामले में गहलोत सरकार गंभीर है और पंजाब सरकार से लगातार संपर्क में है. दूषित पानी की रोकथाम के पूरे प्रयास होंगे.
प्रश्नकाल में स्पीकर ने कहा- यह गंभीर है कि अधिकारी ओरिजिनल एस्टीमेट और वास्तविक एस्टीमेट में नहीं कर पा रहे फर्क : राजस्थान विधानसभा में आज अधिकारियों के योजनाओं के गलत ऐस्टीमेट देने पर स्पीकर सीपी जोशी ने सवाल उठाए. स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि जब कोई अधिकारी एस्टीमेट अलग दे रहे हैं और काम केवल 40-50 फीसदी धन राशि में ही हो रहा है, तो अधिकारी क्या कर रहे हैं ? उन्होंने मंत्री को कहा कि क्या सरकार कोई ऐसा विचार रखती है कि अधिकारी अगर 10 फीसदी ऊपर-नीचे के अलावा एस्टीमेट देते हैं तो उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी.