जयपुर. सूत्रों ने बताया कि एसआईटी ने जो जांच रिपोर्ट तैयार की है उसमें पहले से की गई जांच में कई तरह की खामियां होने की बात सामने आ रही है. साथ ही आरोपियों के बरी होने के पीछे बड़ी वजह सरकार की तरफ से कमजोर पैरवी को बताया जा रहा है. यह भी सामने आ रहा है कि जिस मोबाइल से मॉब लिंचिंग का वीडियो बनाया गया उसके भी पर्याप्त सबूत कोर्ट में पेश नहीं किए गए. हालांकि रिपोर्ट में क्या-क्या तथ्य जुटाए गए हैं इसका खुलासा रिपोर्ट सामने आने के बाद ही हो सकेगा.
ऐसा बताया जा रहा है कि पहलु खां मॉब लिंचिंग मामले में एसआईटी ने अपनी जांच में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. बताया जा रहा है मामले की जांच ठीक से नहीं की गई और जांच अधिकारी और न्यायालय में पैरवी करने वाले अधिकारियों की लापरवाही के चलते ही आरोपी कोर्ट से बरी हो गए. एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट पाया कि इन सबूतों की कमी के आधार पर न्यायालय में ठीक से पैरवी नहीं हो सकी. जांच के दौरान सबूत सही सलामत अवस्था में थे और पुलिस के पास मौजूद थे, मगर जांच अधिकारी और मुकदमे की पैरवी करने वाले अधिकारियों ने जानबूझ कर उसे छुपा दिया.
पढ़ेंः डूंगरपुर से लापता हुई 8 साल की बच्ची पुलिस को अहमदाबाद में मिली
बताया जा रहा है कि आरोपी ने जिस मोबाइल से वीडियों बनाया उस मोबाइल को पुलिस ने बरामद कर लिया था, वह पूरी फुटेज की जांच भी कराई गई थी, लेकिन दोनों ही महत्वपूर्ण सबूत थे जिन्हें कोर्ट में पेश नहीं किया गया. कोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए लिखा था कि फुटेज में जो दिख रहे हैं हम उन लोगों को संदेह का लाभ देते हैं. क्योंकि इस फुटेज की एफएसएल नहीं कराई गई और यह वीडियो जिस मोबाइल से बनाया गया वह भी बरामद नहीं हुआ. इस मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि दोनों चीजें पुलिस के माल खाने में रखी हुई हैं. पुलिस ने उस वक्त मोबाइल फुटेज बनाने वाले व्यक्ति की पहचान कर बरामद कर लिया था. लेकिन कोर्ट में पेश नहीं किया और माल खाने में छोड़ दिया गया.
आपको बता दें कि कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए 14 अगस्त को बरी किया था. दरअसल पहलू खान अपने बेटे के साथ 1 अप्रैल 2017 को जयपुर से दो गाय खरीद कर वापस घर जा रहे थे, इस दौरान अलवर में भीड़ ने न सिर्फ उसकी गाड़ी रुकवाई बल्कि पहलू खां और उसके बेटे को क्रूरता से मारपीट की थी, इस मारपीट में पहलू खान की मौत हो गई थी. गहलोत सरकार ने मामले पर सभी छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के बाद. एसआईटी गठित करते हुए जांच रिपोर्ट 2 सितंबर तक सौंपने को कहा था. ऐसे में अभी उम्मीद लगाई जा रही है कि अब किसी भी एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट सौंप सकती है.
पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: चूरू की 'गरिमा' 7 सितंबर को PM मोदी के साथ देखेंगी चंद्रयान की लॉन्चिंग
बहरहाल पूरी जानकारी तो एसआईटी की रिपोर्ट आने पर ही साफ हो पाएगी, कि आखिर पहले की गई जांच में क्या खामियां रहीं, जिसकी वजह से आरोपियों को संदेह का लाभ मिला. लेकिन यह तय है कि जिस तरह के तथ्य एसआईटी की प्रारंभिक जानकारी में सामने आए हैं उससे लगता है कि जांच अधिकारी और कमजोर पैरवी की वजह से आरोपियों को लाभ मिला.