जयपुर. राजस्थान के भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट्स ने राष्ट्र के विकास को गति देने के लिए तैयार किए जा रहे बहुप्रतीक्षित दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को भ्रष्टाचार का नया जरिया बना लिया है. राजस्थान में इस हाईवे का 374 किलोमीटर निर्माण होना है, जो अलवर, भरतपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी और कोटा से होकर गुजरेगा. इस हाईवे का राजस्थान में अब तक अलवर के राजगढ़ से लेकर दौसा तक 160 किलोमीटर का निर्माण किया जा चुका है. 160 किलोमीटर के निर्माण के दौरान ही राजस्थान एसीबी ने हाईवे निर्माण के काम में लगी विभिन्न कंस्ट्रक्शन कंपनियों से मोटी घूस लेते हुए अब तक पांच अधिकारियों को गिरफ्तार (Rajasthan ACB has arrested 5 bureaucrats) किया है. जिसमें एक आईएएस, एक आईपीएस और 3 आरएएस अधिकारी शामिल हैं.
कंस्ट्रक्शन कंपनियों की मदद करने के बजाय परेशान कर वसूल रहे घूस: डीजी एसीबी बीएल सोनी ने बताया कि हाईवे का निर्माण कर रही कंस्ट्रक्शन कंपनियों की मदद करने के लिए और उन्हें आवश्यक संसाधन मुहैया कराने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है, लेकिन अधिकारी कंपनियों की मदद करने के बजाय उन्हें परेशान कर उनके काम में रोड़ा अटका रहे हैं. इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन कंपनियों की ओर से किया जाने वाला कार्य निर्बाध रूप से जारी रहे इसकी एवज में मासिक बंधी के रूप में मोटी राशि वसूल रहे हैं. कंस्ट्रक्शन कंपनियों की ओर से भूमि का अधिग्रहण करने व अन्य कार्यों में मदद करने के लिए ब्यूरोक्रेट्स लगाए गए हैं और वही ब्यूरोक्रेट्स रिश्वत राशि लेते हुए एसीबी के हत्थे चढ़े हैं.
ये भ्रष्ट अधिकारी हुए गिरफ्तार:
वर्ष 2021 में दौसा के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल को हाईवे बना रही कंपनी से 4 लाख रुपए की मासिक बंधी और कंपनी पर चल रहे कुछ मामलों को रफा-दफा करने की एवज में 10 लाख रुपए की मांग करने पर गिरफ्तार किया गया. मनीष अग्रवाल ने दलाल नीरज मीणा के मार्फत कंपनी से 38 लाख रुपए की घूस ली. इसके बाद दलाल नीरज और उसके एक अन्य साथी गोपाल सिंह को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया.
अप्रैल 2022 में एसीबी ने अलवर के पूर्व जिला कलेक्टर आईएएस नन्नूमल पहाड़िया, सेटेलमेंट ऑफिसर आरएएस अशोक सांखला और दलाल नितिन शर्मा को हाईवे निर्माण कंपनी से 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा. आरोपियों ने कंपनी से मासिक बंधी के रूप में 16 लाख रुपए की डिमांड की थी.
जनवरी 2021 में एसीबी ने दौसा में आरएएस पिंकी मीणा और पुष्कर मित्तल को हाईवे निर्माण करने वाली कंपनी से लाखों रुपए की रिश्वत की मांग करते हुए गिरफ्तार किया. पुष्कर मित्तल ने हाईवे निर्माण करने वाली कंपनी से 5 लाख रुपए की घूस ली तो वहीं पिंकी मीणा ने 10 लाख रुपए की घूस मांगी.
मार्च 2021 में कोटा एसडीएम की सूचना सहायक दीपक रघुवंशी और दलाल एकांत को 1 लाख रुपए की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया गया. आरोपियों ने यह राशि किसान से उसकी अधिग्रहित जमीन की मुआवजा राशि जारी करने की एवज में मांगी थी. इस पूरे प्रकरण में दो आरएएस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है, जिसकी जांच अभी जारी है. कोटा में अभी हाईवे का निर्माण कार्य शुरू भी नहीं हुआ है और उससे पहले ही रिश्वत मांगे जाने के मामले सामने आने लगे हैं.
वर्ष 2022 में एसीबी ने पाली स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम के अधिशासी अभियंता यज्ञदत्त विदुवा को हाईवे निर्माण कंपनी से 13 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया. आरोपी ने हाईवे निर्माण करने वाली कंपनी के कार्यों को करने के एवज में 10 लाख रुपए की मासिक बंधी की मांग की.
ऐसे रख रहे भ्रष्ट अफसरों पर नजर: डीजी एसीबी बीएल सोनी ने बताया कि एसीबी की ओर से जिला स्तर, उपखंड स्तर, तहसील स्तर और गांव स्तर पर लोगों को जागरूक करने के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. जिसके तहत लोगों को यह जानकारी दी जा रही है कि यदि कोई भी अधिकारी उनके जायज काम को करने के लिए उनसे रिश्वत की मांग करें तो उसे वह रिश्वत न दें और उसकी शिकायत एसीबी को करें. एसीबी की ओर से चलाए जा रहे हैं जागरूकता अभियान के चलते बड़ी तादाद में लोगों का विश्वास एसीबी के प्रति काफी बढ़ा है. अब लोग रिश्वत की मांग करने वाले अधिकारियों के बारे में लगातार शिकायत और जानकारी एसीबी को दे रहे हैं.
शिकायतों का सत्यापन करने के बाद एसीबी रिश्वत की मांग करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को दबोच रही है. इसके साथ ही एसीबी कि प्रत्येक जिले की टीम और एसीबी चौकियों के प्रभारी को उनके जिलों के भ्रष्ट अधिकारियों पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे अधिकारी जो काफी लंबे समय से एक ही पद पर बने हुए हैं और भ्रष्टाचार फैला रहे हैं, उन पर नजर रखने और उनकी लिस्ट बनाकर एसीबी मुख्यालय को सौंपने के निर्देश भी दिए गए हैं.
लगातार प्राप्त हो रही सरकार से अभियोजन स्वीकृति: डीजी एसीबी बीएल सोनी ने बताया कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार से लगातार अभियोजन स्वीकृति प्राप्त हो रही है. जिसके चलते भ्रष्ट अधिकारियों पर काफी प्रभावी कार्रवाई की जा रही है. वर्ष 2021 में ही शुरुआती 3 महीनों में सरकार की ओर से 140 प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गई है. अभियोजन स्वीकृति प्राप्त नहीं होने के आंकड़ों में काफी कमी आई है. पहले अनुसंधान अधिकारी की ओर से अभियोजन स्वीकृति को लेकर सरकार से मांग की जाती थी, लेकिन अब केस से संबंधित तमाम सबूतों और साक्ष्यों को मजबूती के साथ एसीबी के आला अधिकारियों की ओर से सरकार के समक्ष रखा जाता है. साथ ही संबंधित भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की मांग की जाती है, जिस पर सरकार भी जल्द अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर देती है.