जयपुर. गर्मी का सितम अपने चरम पर है. इस बीच राजभवन को 22 मई से माउंट आबू में शिफ्ट (Raj Bhavan will run in Mount Abu) किया जा रहा है. राज्यपाल कलराज मिश्र और राजभवन से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी रेलवे के एसी सैलून में माउंट आबू पहुंचेंगे. खास बात ये है कि जिस भवन में राजभवन शिफ्ट हो रहा है वहां ब्रिटिश काल के दौरान अंग्रेज अफसर ग्रीष्म अवकाश (britishers used to spend summer vacations where Raj Bhawan run) बिताने जाया करते थे लेकिन अब ये परंपरा राज्यपाल निभा रहे हैं. हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में सरकार के लाखों रुपये खर्च होंगे.
जयपुर राजभवन है वातानुकूलित लेकिन गर्मियों में माउंट आबू शिफ्ट होता है राजभवन
ऐसा नहीं कि गर्मियों के दौरान जयपुर के सिविल लाइंस स्थित राजभवन में किसी प्रकार की कोई समस्या आती हो. जयपुर का राज भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और इसका अधिकतर हिस्सा वातानुकूलित है. यहां सभी प्रमुख अधिकारियों के कमरे में एयर कंडीशनर भी लगे हैं. इसके अलावा राजभवन में विद्युत के दो कनेक्शन हैं. कुछ माह पहले यहां सौर ऊर्जा से जुड़ा रूफटॉप प्लांट भी लगाया गया है जिससे राजभवन में उपयोग में आने वाली बिजली इस सोलर प्लांट से ही जेनरेट हो सके. मतलब गर्मियों में भी यहां सूरज की तपन का एहसास शायद ही होता हो. ऐसे में गर्मियों में राजभवन माउंट आबू के उस ब्रिटिश भवन में शिफ्ट किया जाना और वहीं से संचालित होना हमेशा चर्चा का विषय रहा है.
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OSD से लेकर कुक व बटलर तक जाएंगे साथ, जयपुर से ही जाएगा खाली गाड़ियों का लवाजमा
22 मई से राजभवन माउंट आबू (Raj Bhavan will shift mount abu from 22 may) में शिफ्ट तो होगा ही साथ में यहां कार्यरत छोटे से लेकर बड़े स्तर तक के करीब 20 कर्मचारी और अधिकारियों का लवाजमा भी राज्यपाल कलराज मिश्र के साथ जाएगा. इनमें राज्यपाल के प्रमुख ओएसडी गोविंद राम जयसवाल, एडीसी राहुल भार्गव और राजश्री वर्मा के साथ ही राजभवन जनसंपर्क अधिकारी और उनकी टीम के साथ ही राजभवन में तैनात कुक और बटलर समेत करीब 20 कर्मचारी और अधिकारी माउंट आबू जाएंगे. सभी अधिकारी व कर्मचारी रेलवे के फर्स्ट क्लास एसी कोच में माउंट आबू पहुंचेंगे जबकि जयपुर राजभवन से राज्यपाल और अन्य अधिकारियों के वाहन सड़क मार्ग से माउंटआबू जाएंगे. मतलब राजभवन जयपुर से माउंट आबू शिफ्ट होने पर अधिकारी कर्मचारियों और वाहनों से जुड़ा ये अतरिक्त खर्चा होगा.
माउंट आबू राजभवन शिफ्टिंग और संचालन में आएगा अतिरिक्त खर्चा
जयपुर में संचालित राजभवन को माउंट आबू में शिफ्ट करने के लिए कुछ अतिरिक्त खर्च आता है. माउंट आबू में जिस भवन में राजभवन को शिफ्ट किया जाना है उसकी मरम्मत, रंग रोगन और अन्य सौंदर्यकरण के कार्य पर लाखों रुपए का खर्च होंगे. यह वे व्यय हैं जो जयपुर राज भवन में होने वाले खर्चे से अलग हैं क्योंकि माउंट आबू का यह राज भवन तभी खुलता है जब राज्यपाल या राष्ट्रपति वहां रहने जाते हैं.
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एसी सैलून और फर्स्ट क्लास एसी कोच में पौने 4 लाख रुपये का खर्चा
जयपुर से माउंट आबू राजभवन शिफ्ट होने पर अकेले रेलवे किराया से जुड़ा खर्च पौने 4 लाख रुपये का आएगा. दरअसल फर्स्ट एसी कोच की क्षमता 24 यात्रियों की होती है. ऐसे में पूरे कोच में 24 सीट के हिसाब से किराया देना होगा. एक्सप्रेस रेलवे कोच में फर्स्ट क्लास एसी में प्रति यात्री किराया 1785 रुपये है. इस लिहाज से पूरे कोच का किराया 42,840 रुपये हुआ. इसमें 30% सर्विस चार्ज 12852 रुपये भी जोड़ेंगे.
इसके अलावा यह कोच दिल्ली से जयपुर मंगाए जाने पर एम्प्टी हॉलेज चार्ज 22,770 रुपये और 900 रुपये प्रति घंटे के लिहाज से 12 घंटे मानक मानकर डिस्टेंशन चार्ज के 10800 रुपये और जीएसटी की राशि जुड़ने के बाद एक कोच का एक तरफ का खर्च 93 हजार 725 रुपए पड़ रहा है. जयपुर से माउंट आबू तक एक एसी सैलून और एक फर्स्ट क्लास एसी कोच जाएगा. मतलब 2 कोच का एक तरफ का खर्च 1 लाख 87 हजार 450 रुपये आएगा और वापसी का खर्च जोड़ें तो कुल पौने 4 लाख से अधिक का खर्च पड़ेगा. हालांकि खर्च के भुगतान के संबंध में राजभवन की ओर से रेलवे को एक क्रेडिट नोट दिया जाता है जिसके जरिए यह भुगतान होता है. इसके पहले प्रदेश की राज्यपाल मार्गेट आल्वा भी ट्रेन के जरिए माउंट आबू इस राजभवन में जा चुकी हैं.
कल्याण सिंह नहीं गए माउंट आबू, बदली थी ब्रिटिश राज की यह परंपरा
राज्यपाल कलराज मिश्र पिछले वर्ष माउंट भी आबू गए थे और वहीं पर पूरा राजभवन शिफ्ट हुआ था लेकिन यदि बात करें दिवंगत राज्यपाल कल्याण सिंह की तो राजस्थान के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने अपने कार्यकाल में कभी माउंट आबू में राजभवन शिफ्ट नहीं किया. यही नहीं, राजस्थान के राज्यपाल का पद संभालते ही कल्याण सिंह ने पहले ही दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की और राज्यपाल को महामहिम के स्थान पर माननीय संबोधित करने के आदेश दिए. उन्होंने कहा कि महामहिम शब्द में औपनिवेशिक आता है. हम स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं. ऐसे में राज्यपाल के लिए महामहिम के बजाय माननीय या फिर दूसरा सम्मानजनक शब्द इस्तेमाल किया जा सकता है.
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कल्याण सिंह ने राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान दीक्षांत समारोह में पहने जाने वाला काला गाउन भी बंद कर दिया था. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के समय से चले आ रही काले गाउन पहनने की इस परंपरा के बजाय विद्यार्थियों को अपनी पारंपरिक ड्रेस ही पहननी चाहिए. इसके बाद अधिकतर सरकारी विश्वविद्यालयों में इस परंपरा को खत्म कर दिया गया था.
अंग्रेज अधिकारियों ने बनवाया था माउंट आबू का राज भवन, यह है खासियत..
माउंट आबू के जिस भवन में आगामी 22 मई से राजभवन शिफ्ट हो रहा है उसका निर्माण ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1866 में हुआ था. उस समय अंग्रेज अधिकारी यहां ग्रीष्म अवकाश के लिए आते थे. बताया जाता है कि अंग्रेजों ने अपनी सहुलियत के लिए ही यह भवन बनवाया था लेकिन अब इसे राज्यपाल गर्मियों के दौरान उपयोग में लाते हैं. माउंट आबू में बना राजभवन ऊंची वादियों के बीच घने पेड़ों से घिरा है.
चारों ओर दूर-दूर तक हरियाली ही नजर आती है. पूरा परिसर 8.54 हेक्टेयर भूमि पर बना है. राजभवन में 7 बेडरूम, दो सिटिंग रूम और एक बड़ा डाइनिंग हॉल है. डाइनिंग हॉल इतना बड़ा है कि यहां एक साथ करीब 2 दर्जन लोग बैठ सकते हैं. इसके अलावा यहां एक छोटा डाइनिंग हॉल भी है जिसमें 5 लोग बैठ सकते हैं. भवन में 7 बाथरूम हैं. इसी परिसर में स्टाफ क्वार्टर और सुरक्षा व्यवस्था के लिए 150 लोगों के रुकने की व्यवस्था है.