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Special : हिंगोनिया गौशाला में चारे के पैसे पर रार, बीजेपी बोर्ड ने दिया...कांग्रेस बोर्ड ने रोका

हिंगोनिया गौशाला में चारे के पैसे में घोटाले का आरोप लगाते हुए भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी ने सियासी संग्राम खड़ा कर दिया था. इस मामले में गौशाला प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा है कि गायों की मौत के पीछे प्लास्टिक (Cow Death Due to Plastic) बड़ी वजह है.

Hingonia Goshala Jaipur
हिंगोनिया गौशाला
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Published : Aug 5, 2022, 9:50 PM IST

जयपुर. हिंगोनिया गौशाला में चारे के पैसे में घोटाले का आरोप लगाकर (Hingonia Goshala Jaipur) बीते दिनों विद्याधर नगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक नरपत सिंह राजवी ने नया सियासी संग्राम खड़ा कर दिया था. भाजपा राज के फैसले पर ही अंगुलियां उठाते हुए राजवी ने इस मामले में राज्यपाल कलराज मिश्र से जांच करवाने की मांग की थी. विधायक राजवी का आरोप था कि करोड़ों रुपए का अनुदान लेने के बावजूद गौशाला में मौजूद गोवंश को पूरा चारा पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है.

इस वजह से बीते 5 साल में एक लाख से ज्यादा (Cow Death in Hingonia Goshala) गायों ने दम तोड़ दिया. इस पूरी व्यवस्था के लिए जहां एमएलए राजवी ने श्री कृष्ण बलराम ट्रस्ट को नाकामियों के लिए जिम्मेदार बताया था. वहीं, दूसरी ओर इस पूरे प्रकरण में गौशाला प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा है कि गायों की मौत के पीछे प्लास्टिक बड़ी वजह है. जहां तक सवाल अनुदान का है, तो जयपुर की हेरिटेज नगर निगम से अभी भी 4 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान बाकी है. ऐसे में उनके सामने कई समस्याएं खड़ी हो चुकी हैं.

प्रेम आनंद ने क्या कहा...

यह है हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में अनुदान का सिस्टमः जयपुर नगर निगम की तरफ से लावारिस गोवंश को रखने एवं उनके इलाज के मकसद से हिंगोनिया गौशाला को शुरू किया गया था. साल 2015 में अकाल मौतों का मामला गायों की सियासत के साथ पूरे राष्ट्र के पटल पर छाया. नगर निगम के हाथों से इस गौशाला की के प्रबंधन की कमान अक्षरधाम ट्रस्ट से जुड़े श्री कृष्ण बलराम ट्रस्ट को मिल गई थी. निजी हाथों में आने के बाद गौशाला में रातो रात कायापलट की बात की गई थी. सरकार और गौशाला प्रबंधन के बीच एक एमओयू साइन किया गया था. जिसमें प्रबंधन को दी गई जिम्मेदारियों के साथ-साथ यह तय हुआ कि यहां आने वाले गोवंश की देखरेख और चारे पानी की व्यवस्था के लिए अनुदान मिलेगा. बाद में जयपुर नगर निगम दो हिस्सों में बंट गया और ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम से हर महीने अनुदान यहां जाने लगा.

Hingonia Goshala Jaipur
हिंगोनिया गौशाला...

समझौते पत्र की शर्तों के मुताबिक हर 6 महीने में चारे और बाट के पैसे का रिव्यू किया जाना था, ताकि मार्केट रेट के हिसाब से भुगतान किया जा सके. गौशाला प्रबंधन का आरोप है कि लंबे समय तक रेट रिव्यू नहीं किया गया और उसके बाद साल 2017 में किए गए MOU के मुताबिक रेटों में तब्दीली तो हुई पर अब मार्च 2022 के बाद हेरिटेज नगर निगम की ओर से गौशाला को भुगतान नहीं किया गया.

पढ़ें : लंपी वायरस से अब तक जितनी गायों की मौत, 10 दिन में इस गौशाला में हो जाता है उससे ज्यादा गौवंश 'काल का शिकार'

यह दर तय की गई थीः 28 अक्टूबर 2017 को हुए एमओयू के अनुसार चारा और पशु आहार के लिए बड़े पशु पर दर 50. रुपये 20 पैसे से बढ़ाकर 57 रुपये 43 पैसे किए गए थे. इसी तरह हर छोटे पशु पर रोजाना की दर 32 रुपए 70 पैसे से बढ़ाकर 36 रुपए 88 पैसे देय की गई थी. निदेशालय, गौपालन विभाग के समय समय पर जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक निगम को अनुदान राशि देने के लिए संस्था को पशु आहार राजफंड, सरस या बाजार भाव से पशु आहार खरीदने के लिए पाबंद किया गया था. नगर निगम, जयपुर और श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट के मध्य हुए अनुबंध के तहत गठित कमेटी से दरों पर विचार के बाद नई दरों का संशोधन किया गया. गौशाला प्रबंधन से जुड़े प्रेमानंद ने बताया कि हेरिटेज नगर निगम इस साल जनवरी फरवरी और मार्च में उन्हें 74, 50 और 78 लाख रुपए का भुगतान किया. जो कि उनकी तरफ से पेश किए गए बिल से भी कम था, लेकिन उसके बाद अप्रैल से लेकर जुलाई तक का अभी निगम को बकाया पैसा देना है, जो कि करीब 4 करोड़ रुपए हो जाता है.

Letter to Chief Minister from Goshala Administration
गौशाला प्रशासन की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र

गौशाला प्रबंधन की परेशानीः हिंगोनिया गौशाला का प्रबंधन देख रहे प्रेम आनंद ने बताया कि चारे के भुगतान के लिए लगातार हेरिटेज नगर निगम से संपर्क कर रहे हैं. 2 अगस्त को उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम भी एक चिट्ठी लिखकर जल्द से जल्द भुगतान जारी करवाने की मांग की थी. उनका कहना है कि बार-बार मांग करने के बावजूद (Congress Board in Heritage Nigam Stopped from April) हेरिटेज नगर निगम की तरफ से सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. गौशाला प्रबंधन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि लंपी वायरस के दौर में गौशाला में लगातार चारे पानी की व्यवस्था के लिए फंड की जरूरत है.

पढ़ें : Lumpy Skin Disease : पशुपालन मंत्री पहुंचे हिंगोनिया गौशाला, दिए आवश्यक दिशा-निर्देश...

लेकिन भुगतान में देरी के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सरकारी अनुदान की बात होने के कारण आमतौर पर हमें मदद करने वाले समाजसेवी भी अब आगे नहीं आ रहे हैं. गौशाला में लगातार चारे का संकट पैदा हो सकता है. गौशाला प्रबंधन के अनुसार रोजाना 60 हजार किलो चारा और पशु आहार गोवंश को खिलाया जा रहा है. महंगी दरों पर खरीद होने के कारण गौशाला के बजट पर भी इसका असर पड़ रहा है.

Letter of revision of rates
दरों में संशोधन का पत्र...

गौशाला प्रबंधन के अनुसार नगर निगम ग्रेटर ने जनवरी 2022 के बाद नई दरों के हिसाब से भुगतान करना शुरू कर दिया. लेकिन हेरिटेज नगर निगम अब भी पुरानी दरों के मुताबिक भुगतान कर रहा है. जबकि एमओयू में साफ लिखा गया है कि हर 6 महीने में बाजार भाव के हिसाब से भुगतान किया जाएगा. प्रेम आनंद के अनुसार मौजूदा दौर में पुनर्वास केंद्र पर करीब 14 हजार गाय हैं, जिनपर रोज का खर्च पांच लाख रुपये तक जाता है. इसके अलावा गौशाला का स्टाफ प्रबंधन, अन्य जरूरतें और खर्चों में भी बड़ी लागत आती है.

पढ़ें : जयपुर के हिंगोनिया गौशाला का दावा, 2 महीने पहले हुई थी लम्पी की Entry!

जयपुर. हिंगोनिया गौशाला में चारे के पैसे में घोटाले का आरोप लगाकर (Hingonia Goshala Jaipur) बीते दिनों विद्याधर नगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक नरपत सिंह राजवी ने नया सियासी संग्राम खड़ा कर दिया था. भाजपा राज के फैसले पर ही अंगुलियां उठाते हुए राजवी ने इस मामले में राज्यपाल कलराज मिश्र से जांच करवाने की मांग की थी. विधायक राजवी का आरोप था कि करोड़ों रुपए का अनुदान लेने के बावजूद गौशाला में मौजूद गोवंश को पूरा चारा पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है.

इस वजह से बीते 5 साल में एक लाख से ज्यादा (Cow Death in Hingonia Goshala) गायों ने दम तोड़ दिया. इस पूरी व्यवस्था के लिए जहां एमएलए राजवी ने श्री कृष्ण बलराम ट्रस्ट को नाकामियों के लिए जिम्मेदार बताया था. वहीं, दूसरी ओर इस पूरे प्रकरण में गौशाला प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा है कि गायों की मौत के पीछे प्लास्टिक बड़ी वजह है. जहां तक सवाल अनुदान का है, तो जयपुर की हेरिटेज नगर निगम से अभी भी 4 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान बाकी है. ऐसे में उनके सामने कई समस्याएं खड़ी हो चुकी हैं.

प्रेम आनंद ने क्या कहा...

यह है हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में अनुदान का सिस्टमः जयपुर नगर निगम की तरफ से लावारिस गोवंश को रखने एवं उनके इलाज के मकसद से हिंगोनिया गौशाला को शुरू किया गया था. साल 2015 में अकाल मौतों का मामला गायों की सियासत के साथ पूरे राष्ट्र के पटल पर छाया. नगर निगम के हाथों से इस गौशाला की के प्रबंधन की कमान अक्षरधाम ट्रस्ट से जुड़े श्री कृष्ण बलराम ट्रस्ट को मिल गई थी. निजी हाथों में आने के बाद गौशाला में रातो रात कायापलट की बात की गई थी. सरकार और गौशाला प्रबंधन के बीच एक एमओयू साइन किया गया था. जिसमें प्रबंधन को दी गई जिम्मेदारियों के साथ-साथ यह तय हुआ कि यहां आने वाले गोवंश की देखरेख और चारे पानी की व्यवस्था के लिए अनुदान मिलेगा. बाद में जयपुर नगर निगम दो हिस्सों में बंट गया और ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम से हर महीने अनुदान यहां जाने लगा.

Hingonia Goshala Jaipur
हिंगोनिया गौशाला...

समझौते पत्र की शर्तों के मुताबिक हर 6 महीने में चारे और बाट के पैसे का रिव्यू किया जाना था, ताकि मार्केट रेट के हिसाब से भुगतान किया जा सके. गौशाला प्रबंधन का आरोप है कि लंबे समय तक रेट रिव्यू नहीं किया गया और उसके बाद साल 2017 में किए गए MOU के मुताबिक रेटों में तब्दीली तो हुई पर अब मार्च 2022 के बाद हेरिटेज नगर निगम की ओर से गौशाला को भुगतान नहीं किया गया.

पढ़ें : लंपी वायरस से अब तक जितनी गायों की मौत, 10 दिन में इस गौशाला में हो जाता है उससे ज्यादा गौवंश 'काल का शिकार'

यह दर तय की गई थीः 28 अक्टूबर 2017 को हुए एमओयू के अनुसार चारा और पशु आहार के लिए बड़े पशु पर दर 50. रुपये 20 पैसे से बढ़ाकर 57 रुपये 43 पैसे किए गए थे. इसी तरह हर छोटे पशु पर रोजाना की दर 32 रुपए 70 पैसे से बढ़ाकर 36 रुपए 88 पैसे देय की गई थी. निदेशालय, गौपालन विभाग के समय समय पर जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक निगम को अनुदान राशि देने के लिए संस्था को पशु आहार राजफंड, सरस या बाजार भाव से पशु आहार खरीदने के लिए पाबंद किया गया था. नगर निगम, जयपुर और श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट के मध्य हुए अनुबंध के तहत गठित कमेटी से दरों पर विचार के बाद नई दरों का संशोधन किया गया. गौशाला प्रबंधन से जुड़े प्रेमानंद ने बताया कि हेरिटेज नगर निगम इस साल जनवरी फरवरी और मार्च में उन्हें 74, 50 और 78 लाख रुपए का भुगतान किया. जो कि उनकी तरफ से पेश किए गए बिल से भी कम था, लेकिन उसके बाद अप्रैल से लेकर जुलाई तक का अभी निगम को बकाया पैसा देना है, जो कि करीब 4 करोड़ रुपए हो जाता है.

Letter to Chief Minister from Goshala Administration
गौशाला प्रशासन की ओर से मुख्यमंत्री को पत्र

गौशाला प्रबंधन की परेशानीः हिंगोनिया गौशाला का प्रबंधन देख रहे प्रेम आनंद ने बताया कि चारे के भुगतान के लिए लगातार हेरिटेज नगर निगम से संपर्क कर रहे हैं. 2 अगस्त को उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम भी एक चिट्ठी लिखकर जल्द से जल्द भुगतान जारी करवाने की मांग की थी. उनका कहना है कि बार-बार मांग करने के बावजूद (Congress Board in Heritage Nigam Stopped from April) हेरिटेज नगर निगम की तरफ से सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. गौशाला प्रबंधन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि लंपी वायरस के दौर में गौशाला में लगातार चारे पानी की व्यवस्था के लिए फंड की जरूरत है.

पढ़ें : Lumpy Skin Disease : पशुपालन मंत्री पहुंचे हिंगोनिया गौशाला, दिए आवश्यक दिशा-निर्देश...

लेकिन भुगतान में देरी के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सरकारी अनुदान की बात होने के कारण आमतौर पर हमें मदद करने वाले समाजसेवी भी अब आगे नहीं आ रहे हैं. गौशाला में लगातार चारे का संकट पैदा हो सकता है. गौशाला प्रबंधन के अनुसार रोजाना 60 हजार किलो चारा और पशु आहार गोवंश को खिलाया जा रहा है. महंगी दरों पर खरीद होने के कारण गौशाला के बजट पर भी इसका असर पड़ रहा है.

Letter of revision of rates
दरों में संशोधन का पत्र...

गौशाला प्रबंधन के अनुसार नगर निगम ग्रेटर ने जनवरी 2022 के बाद नई दरों के हिसाब से भुगतान करना शुरू कर दिया. लेकिन हेरिटेज नगर निगम अब भी पुरानी दरों के मुताबिक भुगतान कर रहा है. जबकि एमओयू में साफ लिखा गया है कि हर 6 महीने में बाजार भाव के हिसाब से भुगतान किया जाएगा. प्रेम आनंद के अनुसार मौजूदा दौर में पुनर्वास केंद्र पर करीब 14 हजार गाय हैं, जिनपर रोज का खर्च पांच लाख रुपये तक जाता है. इसके अलावा गौशाला का स्टाफ प्रबंधन, अन्य जरूरतें और खर्चों में भी बड़ी लागत आती है.

पढ़ें : जयपुर के हिंगोनिया गौशाला का दावा, 2 महीने पहले हुई थी लम्पी की Entry!

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