जयपुर. हाल ही में गोपाष्टमी पर हिंगोनिया गौशाला में गायों की मौत का मामला सामने आया है. इसी के साथ ही अब गौशाला की जिम्मेदारी और अधिकार को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र की सैकड़ों गाय हर महीने यहां पहुंचती हैं, वहीं गौशाला ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में आती है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर हिंगोनिया गौशाला किसकी है? हिंगोनिया गौशाला के आईसीयू में मृत मिले गौवंश को लेकर पशु प्रबंधन उपायुक्त ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उस पर महापौर ने असंतुष्टि जताते हुए दोबारा तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.
वहीं इस बीच हिंगोनिया गौशाला की जिम्मेदारी कौन सा नगर निगम उठाएगा, ये सवाल भी अब निगम के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. चूंकि निगम प्रशासन शहर भर से गौवंश को पकड़कर हिंगोनिया गौशाला पहुंचाता है. आंकड़े बताते हैं कि इनमें अधिकतर हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र के होते हैं, जबकि कार्यक्षेत्र ग्रेटर निगम के अंतर्गत आता है. ऐसे में हिंगोनिया गौशाला का काम देख रही अक्षय पात्र ट्रस्ट को होने वाले करोड़ों रुपए का भुगतान किसकी जेब से होगा.
इस सवाल पर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर ने कहा कि अभी नगर निगम बंटे हैं, गौशाला नहीं. वैसे गौ सेवा सबसे बड़ी सेवा है. हिंगोनिया गौशाला ग्रेटर में आएगी, तो भी सेवा करने के लिए तत्पर रहेंगे और यदि हेरिटेज में आएगी तो पूरा ध्यान रखा जाएगा. वहीं ग्रेटर नगर निगम महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने कहा कि हिंगोनिया गौशाला फिलहाल ग्रेटर नगर निगम में आती है. हालांकि इस संबंध में सीएम से वार्ता की जाएगी, क्योंकि यहां हेरिटेज निगम क्षेत्र की गाय भी आती हैं.
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उन्होंने कहा कि यहां व्यवस्थाएं नाकाफी हैं. ऐसे में दोनों निगम के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए. साथ ही दोनों निगम द्वारा संयुक्त भुगतान करने पर भी विचार किया जाएगा. बता दें कि अक्टूबर 2017 में हिंगोनिया गौशाला के प्रबंधन के लिए निगम और अक्षय पात्र ट्रस्ट के बीच 19 वर्ष का अनुबंध हुआ था. निगम हर महीने 2.75 करोड़ गौशाला को भुगतान करता है. दूध-पनीर सहित अन्य उत्पादों से 40 लाख मासिक और दान आदि से 25 लाख की आय मानी जाती है. यही वजह है कि अब हिंगोनिया गौशाला के अधिकार और जिम्मेदारी को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई है.