जयपुर. थानागाजी गैंगरेप मामले में सरकार द्वारा कराई जा रही जांच पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं. सरकार डीएसपी रैंक के अधिकारी से जांच करवा रही है, लेकिन पीड़िता के बयान लेने के लिए महिला पुलिस अधिकारी के नहीं होने से जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जबकि दिल्ली में निर्भया के साथ हुई घटना के बाद जो दुष्कर्म पीड़ितों के लिए कानून बना था, उसके तहत दुष्कर्म पीड़िता से पूछताछ के लिए या उसके बयान लेने के लिए महिला पुलिस अधिकारी होना अनिवार्य है. लेकिन थानागाजी मामले की जांच में एक पुरुष पुलिस अधिकारी द्वारा जांच कराई जा रही है.
जांच कमेटी पर सवाल खड़ा करते हुए ने कहा कि दिल्ली में निर्भया गैंगरेप मामले के बाद दुष्कर्म पीड़ितों के लिए बनी नई गाइडलाइन के तहत प्रावधान रखे गए थे सूर्यास्त होने के बाद में पीड़िता के बयान नहीं होंगे, पीड़िता से बयान एक महिला जांच अधिकारी लेगी, लेकिन थानागाजी दुष्कर्म पीड़िता से जो टीम पूछताछ कर रही है, उसमें महिला पुलिस अधिकारी नहीं है, ऐसे में पीड़िता किसी पुरुष पुलिस अधिकारी को अपनी आपबीती कैसे बताएगी. जब पीड़िता अपनी आपबीती घटना ही पुरुष पुलिस अधिकारी को नहीं बता पाएगी, तो फिर जांच कैसे निष्पक्ष आएगी.
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने राहुल गांधी के दौरे पर कहा कि महिला के साथ गैंगरेप हुआ है, इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. राहुल गांधी हो चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस किसी को भी ऐसे मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. कविता श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार की नियत में खोट है. क्योंकि जो धाराएं अपराधियों के खिलाफ लगनी चाहिए, वह अभी तक नहीं लगाई गई है. सरकार कह रही है कि वह 7 दिन में चार्जशीट पेश करके आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देगी. लेकिन मात्र चार्जशीट पेश करने से आरोपियों को सजा नहीं होगी. मजबूत चार्जशीट बने यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है.
साथ ही महिला सामाजिक संगठनों ने पीड़िता के पति के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर कहा कि पीड़िता के पति का भी सेक्सुअल हैरेसमेंट हुआ है. एससी एसटी एक्ट के तहत किसी भी दलित को निर्वस्त्र करना कानूनन अपराध है. इसकी धाराएं अभी पुलिस ने नहीं जोड़ी है. महिला संगठनों ने पीड़ित को मुआवजा देने की भी मांग की.