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हाईकोर्ट में सवाल : सामान्य वर्ग से अधिक अंक होने के बावजूद चयन से वंचित क्यों ?

याचिकाकर्ता ने ईडब्ल्यूएस वर्ग से आवेदन किया था और उसके भर्ती में 75 अंक आए हैं. जबकि ईडब्ल्यूएस की कट ऑफ 76 अंक तय की गई है. जिसके चलते उसे भर्ती के अगले चरण में शामिल नहीं किया गया.

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Published : Jul 12, 2021, 6:13 PM IST

चालक भर्ती-2020 पर सवाल
चालक भर्ती-2020 पर सवाल

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों के लिए आयोजित चालक भर्ती-2020 में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी के सामान्य वर्ग से अधिक अंक होने के बावजूद भर्ती प्रक्रिया से बाहर करने पर राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब मांगा है. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने यह आदेश दीपक शर्मा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र जैन ने बताया कि याचिकाकर्ता ने ईडब्ल्यूएस वर्ग से आवेदन किया था और उसके भर्ती में 75 अंक आए हैं. जबकि ईडब्ल्यूएस की कट ऑफ 76 अंक तय की गई है. जिसके चलते उसे भर्ती के अगले चरण में शामिल नहीं किया गया.

पढ़ें- सीएम गहलोत का महत्वपूर्ण निर्णयः जनजाति क्षेत्र में विकास के लिए 100 करोड़ रुपए की मंजूरी

दूसरी ओर सामान्य पुरुष वर्ग की कट ऑफ 68 अंक ही है. सामान्य वर्ग से अधिक अंक होने के बावजूद भी याचिकाकर्ता को सामान्य वर्ग में शामिल नहीं किया जा रहा है. याचिका में सेवा नियम, 2017 के प्रावधान को चुनौती देते हुए कहा गया कि नियम में वर्गवार मेरिट लिस्ट बनाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन वर्गवार मेरिट लिस्ट भर्ती प्रक्रिया के अंतिम चरण के बाद बनानी चाहिए.

हाईकोर्ट प्रशासन ने भर्ती प्रक्रिया के अंतिम चरण के बजाए लिखित परीक्षा का परिणाम ही वर्गवार निकाल दिया. जिसके चलते आरक्षण के प्रावधानों की अनदेखी हुई है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों के लिए आयोजित चालक भर्ती-2020 में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी के सामान्य वर्ग से अधिक अंक होने के बावजूद भर्ती प्रक्रिया से बाहर करने पर राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब मांगा है. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने यह आदेश दीपक शर्मा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र जैन ने बताया कि याचिकाकर्ता ने ईडब्ल्यूएस वर्ग से आवेदन किया था और उसके भर्ती में 75 अंक आए हैं. जबकि ईडब्ल्यूएस की कट ऑफ 76 अंक तय की गई है. जिसके चलते उसे भर्ती के अगले चरण में शामिल नहीं किया गया.

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दूसरी ओर सामान्य पुरुष वर्ग की कट ऑफ 68 अंक ही है. सामान्य वर्ग से अधिक अंक होने के बावजूद भी याचिकाकर्ता को सामान्य वर्ग में शामिल नहीं किया जा रहा है. याचिका में सेवा नियम, 2017 के प्रावधान को चुनौती देते हुए कहा गया कि नियम में वर्गवार मेरिट लिस्ट बनाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन वर्गवार मेरिट लिस्ट भर्ती प्रक्रिया के अंतिम चरण के बाद बनानी चाहिए.

हाईकोर्ट प्रशासन ने भर्ती प्रक्रिया के अंतिम चरण के बजाए लिखित परीक्षा का परिणाम ही वर्गवार निकाल दिया. जिसके चलते आरक्षण के प्रावधानों की अनदेखी हुई है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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