जयपुर. स्थानीय निकायों में मनोनीत पार्षदों की संख्या दोगुनी करने को ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावत ने गलत बताया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार जिस मनमाने ढंग से मनोनीत सदस्यों की संख्या स्थानीय निकायों में दोगुनी कर रही है, वो लोकतंत्र की मूल भावना के विपरीत है. इस कदम से स्थानीय सरकारों में सरकार का हस्तक्षेप सीधे तौर पर बढ़ेगा और स्थानीय सरकार के कार्यों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा.
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राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को राजस्थान नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2021 और राजस्थान विधियां संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. इसके तहत नगर पालिका में मनोनीत पार्षदों की संख्या बढ़ाई गई. मनोनीत पार्षदों की संख्या निगम में 6 से बढ़ाकर 12, नगर परिषद में 6 से बढ़ाकर 8 नगरपालिका में 4 से बढ़ाकर 6 कर दी गई. मनोनीत पार्षदों में एक विशेष योग्यजन को भी शामिल किए जाने के लिए विधेयक में संशोधन किया गया. इसके अलावा विशेष योग्यजन को दो संतानों के राइडर में शामिल नहीं होने के लिए भी प्रावधान किए गए.
हालांकि राज्य सरकार का ये फैसला ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट को रास नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं का तुष्टीकरण और भाजपा शासित स्थानीय निकायों में इसका दुरुपयोग करेगी, जिसकी पूरी संभावना है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार यदि स्थानीय निकायों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कदम उठाती है, तो वो स्थानीय सरकारों के लिए हितकारी होता है, लेकिन मनोनीत सदस्यों की संख्या को दोगुना कर उन पर वित्तीय भार भी बढ़ा रहे हैं और उसे अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप का केंद्र भी बना रही है. कर्णावट ने कहा कि कांग्रेस सरकार बैक डोर से अपने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को स्थानीय निकायों में पार्षद मनोनीत कर गैर कांग्रेस के बहुमत वाले स्थानीय निकायों को अस्थिर करने का कुचक्र रचने जा रही है और संख्या बढ़ाने से गैर जरूरी खर्चो में भी बढ़ोतरी होगी.
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पुनीत कर्णावट ने कहा कि आवश्यकता तो इस बात की है कि सरकार स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए छठे वित्त आयोग की घोषणा करती है. स्थानीय निकायों को आर्थिक मदद और संसाधन उपलब्ध करवाती है, लेकिन सरकार सिर्फ स्थानीय निकायों में दखलअंदाजी करना चाहती है.