जयपुर. राजधानी में लॉकडाउन के बाद सब कुछ खुला, सिवाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट के. लो फ्लोर बस हो या मिनी बस, टैंपो-मैजिक गाड़ी हो या मेट्रो सबके पहिये थमे रहे. जिसकी वजह से शहर वासियों को हर दिन अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ी. स्टूडेंट, व्यापारी, मजदूर हर वर्ग को लॉकडाउन के बाद अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए या तो ऑटो और ई-रिक्शा में दोगुने दाम देने पड़े या फिर निजी वाहनों का इस्तेमाल कर हर दिन पेट्रोल के बढ़ते दामों के साथ सौदा करना पड़ा. सिटी ट्रांसपोर्ट नहीं चलने से अगर एक फायदा हुआ तो वो था शहर का ट्रैफिक, जो जाम नहीं हुआ.
लो फ्लोर बसों की अगर बात की जाए तो शहर में 4 महीने से बसों का संचालन नहीं हो रहा. हालांकि लॉकडाउन से पहले एसी बस सहित 200 बसें संचालित थीं जो शहर के डेढ़ लाख यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने का कार्य करती थीं. करीब 50 हजार किलोमीटर का औसत संचालन रहता था. नॉन एसी बस में न्यूनतम 7 रुपए, जबकि एसी बस का न्यूनतम किराया 10 रुपए था. ऐसे में आम जनता को कम दाम में बेहतर सुविधा मिल रही थी.
![rajasthan roadways related news, राजस्थान परिवहन से जुड़ी खबर, कोरोना का प्रभाव, effect of corona virus](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8136912_scaz.jpg)
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के थमे पहिए...
वहीं, जयपुर मेट्रो में तकरीबन 20 से 22 हजार यात्री प्रतिदिन सवारी किया करते थे, लेकिन इन पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पहिए थमने से लोगों की रफ्तार पर भी ब्रेक सा लग गया. कारण साफ था कि लॉकडाउन के बाद ना सिर्फ लो फ्लोर बसें और मेट्रो पर ब्रेक लगा, बल्कि मिनी बस, टैंपो और मैजिक गाड़ियों का संचालन भी नहीं किया गया.
![rajasthan roadways related news, राजस्थान परिवहन से जुड़ी खबर, कोरोना का प्रभाव, effect of corona virus](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8136912_fsfs.jpg)
यह भी पढ़ें : Special: सड़कों पर सरपट दौड़ते वाहन उड़ा रहे प्रदूषण नियमों की धज्जियां...कार्रवाई के नाम हो रही खानापूर्ति
शहर में तकरीबन 1250 मिनी बसें और 3500 टेंपो और मैजिक गाड़ियां संचालित रहती हैं. जिसमें तकरीबन 50 से 75 हजार यात्री हर दिन अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल किया करते थे. 32 रूटों पर चलने वाली इन गाड़ियों में न्यूनतम किराया 5 रुपए और अधिकतम 25 रुपए हुआ करता था.
इन यात्रियों में बड़ी संख्या में स्टूडेंट, व्यापारी और मजदूर वर्ग शामिल था. हालांकि अभी स्कूल-कॉलेज बंद होने की वजह से स्टूडेंट की भीड़ सड़कों पर नहीं है. लेकिन बाजार खुलने, कंपनी और फैक्ट्री शुरू होने से व्यापारियों और मजदूर वर्ग को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था.
अब खर्च हो रही मोटी रकम...
लोगों की मानें तो कम दूरी पर जाने के लिए उन्हें मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है. ऑटो और ई-रिक्शा चालक मनमाने दाम वसूल करते हैं. हालांकि, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने वाले कुछ लोग अब निजी वाहनों से सफर कर रहे हैं. लोगों को अपनी गाड़ियों में पेट्रोल डलाना पड़ रहा है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जो दूरी 10 से 20 रुपए में नाप ली जाती थी, अब उस जगह निजी वाहन से 50 से 70 रुपए खर्च हो रहे हैं.
![rajasthan roadways related news, राजस्थान परिवहन से जुड़ी खबर, कोरोना का प्रभाव, effect of corona virus](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8136912_wsfw.jpg)
फिलहाल पब्लिक ट्रांसपोर्ट की लो फ्लोर बसें, मिनी बसें, टैंपो और मैजिक गाड़ियों का संचालन नहीं हो रहा. उनकी जगह टू-व्हीलर और निजी वाहनों ने ली है. ऐसे में पेट्रोल पंप पर भी डीजल के बजाए पेट्रोल की खपत ज्यादा हो रही है.
कम हुई पेट्रोल की खपत...
पेट्रोल पंप मैनेजर की मानें तो लॉकडाउन से पहले एक पंप पर जहां डीजल 2.20 लाख लीटर और पेट्रोल 2 लाख लीटर सेल होता था वहीं जून और जुलाई महीने में पेट्रोल 1.25 लाख लीटर और डीजल की खपत 93 हजार लीटर ही हो रही है.
![rajasthan roadways related news, राजस्थान परिवहन से जुड़ी खबर, कोरोना का प्रभाव, effect of corona virus](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8136912_adwsrf.jpg)
यह भी पढ़ें : Special : अन्नदाता पर मार, कब जागेगी सरकार...टिड्डियां कर रही लगातार प्रहार
हालांकि, पेट्रोल-डीजल की खपत लॉकडाउन से पहले की तुलना में आधी ही हो रही है. वहीं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के सड़कों पर नहीं होने का एक फायदा जरूर हुआ. फिलहाल राजधानी की सड़कों पर बीते 2 महीनों में कहीं भी ट्रैफिक जाम की समस्या देखने को नहीं मिली.
![rajasthan roadways related news, राजस्थान परिवहन से जुड़ी खबर, कोरोना का प्रभाव, effect of corona virus](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8136912_sfwsf.jpg)
बहरहाल, राज्य सरकार के निर्देश पर शर्तों के साथ राजधानी की सड़कों पर अब एक बार फिर जेसीटीएसएल की लो फ्लोर बस और मिनी बस सरपट दौड़ती दिखेंगी. इससे शहर की डेढ़ से दो लाख आबादी को राहत मिलेगी. जबकि शहर वासियों को अभी मेट्रो के सफर के लिए केंद्र सरकार के आदेशों का इंतजार करना होगा. साथ ही जिन सिटी बसों में वो सफर करेंगे, वहां कोशिश करनी होगी कि संक्रमण फैलाने का माध्यम ना बने.