जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में दो नगर निगम बनाने और इसके चुनाव टालने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर दो जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहंति और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने यह आदेश सतीश कुमार शर्मा और एक अन्य की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.
बता दें कि अदालत ने जनहित याचिकाओं को आधारहीन मानते हुए सरकार से छह महीने में चुनाव कराने की उम्मीद जताई है. अदालत ने मामले में 21 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. मामले के अनुसार जयपुर नगर निगम का कार्यकाल 25 नवंबर को समाप्त हो रहा था. इससे पहले 18 अक्टूबर को सरकार ने जयपुर, कोटा और जोधपुर में एक के स्थान दो-दो नगर निगम बनाने की घोषणा कर दी. राजधानी में एक जयपुर हेरीटेज नगर निगम और एक ग्रेटर जयपुर नगर निगम और 150 के स्थान पर 250 वार्ड बनाना तय किया गया. नए सिरे से वार्ड का गठन और आरक्षण की लॉटरी निकालने के लिए छह महीने के लिए चुनाव टालने का भी फैसला किया गया. सरकार के इस फैसले को जनहित याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई थी.
यह भी पढे़ं. 14 दिसम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होगा कांग्रेस का प्रदर्शन, राजस्थान से जाएंगे लाखों लोग : CM गहलोत
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 243यू के तहत नगर पालिका का कार्यकाल पांच साल होता है. किसी भी हाल में इस कार्यकाल को बढ़ाया नहीं जा सकता. जयपुर नगर निगम का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म हो रहा है और सरकार चुनाव टाल रही है. चुनाव करवाने की जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयोग की है और वह तय समय पर चुनाव करवाने को बाध्य है. वहीं चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि आयोग ने 52 स्थानीय निकायों के चुनाव करवाने की तैयारी कर ली थी. आयोग ने 18 अक्टूबर को फाइनल वोटर लिस्ट भी जारी कर दी थी. लेकिन, सरकार ने 18 अक्टूबर को ही जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो निगम बनाने की घोषणा कर दी.
यह भी पढे़ं. राजस्थान आवासन मंडल का बुधवार को नीलामी उत्सव
सरकार नए सिरे वार्डों का गठन करेगी. इनके अनुसार ही वोटर लिस्ट तैयार होगी और इसके बाद ही चुनावी प्रक्रिया शुरू होगी. जबकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने अपनी संवैधानिक और कानूनी शक्तियों का इस्तेमाल करके जनहित में यह फैसला लिया है. सरकार ने अदालत को बताया था कि सरकार वार्ड परिसीमन का काम 5 जनवरी तक पूरा कर लेगी.