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पीटीआई भर्ती: अभ्यर्थियों के खिलाफ आदेश पारित करने पर हाई कोर्ट की रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में चयनित अभ्यर्थियों को संशोधित जिला आवंटन के मामले में कहा है कि याचिकाकर्ता अभ्यर्थी काउन्सलिंग में भाग लेंगे, लेकिन उनके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट, PTI Recruitment 2018
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Jun 21, 2021, 10:41 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में चयनित अभ्यर्थियों को संशोधित जिला आवंटन के मामले में कहा है कि याचिकाकर्ता अभ्यर्थी काउन्सलिंग में भाग लेंगे, लेकिन उनके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया जाए. न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश बच्चू सिंह गुर्जर और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 29 नवंबर 2019 को पीटीआई भर्ती के सफल अभ्यर्थियों को जिले आवंटित किए थे, जिसकी पालना में अभ्यर्थियों ने अपना कार्यभार भी संभाल लिया था. वहीं, करीब डेढ़ साल बाद विभाग ने पुन: जिला आवंटन कर दिए.

यह भी पढ़ेंः भीलवाड़ा ACB की कार्रवाई, घूसखोर नगर पालिका चेयरमैन 4 लाख 20 हजार की रिश्वत लेते हुआ गिरफ्तार

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को पूर्व में झालावाड़ जिला आवंटित हुआ था, लेकिन बाद में रिशफल कर उसे जालोर जाने के आदेश दिए गए हैं. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि ना तो याचिकाकर्ताओं से जिले के विकल्प मांगे गए और ना ही उनकी मेरिट में कोई संशोधन किया गया, इसके बावजूद भी उनके जिला आवंटन को रिशफल करना गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अभ्यर्थियों के खिलाफ आदेश पारित करने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में चयनित अभ्यर्थियों को संशोधित जिला आवंटन के मामले में कहा है कि याचिकाकर्ता अभ्यर्थी काउन्सलिंग में भाग लेंगे, लेकिन उनके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया जाए. न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश बच्चू सिंह गुर्जर और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 29 नवंबर 2019 को पीटीआई भर्ती के सफल अभ्यर्थियों को जिले आवंटित किए थे, जिसकी पालना में अभ्यर्थियों ने अपना कार्यभार भी संभाल लिया था. वहीं, करीब डेढ़ साल बाद विभाग ने पुन: जिला आवंटन कर दिए.

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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को पूर्व में झालावाड़ जिला आवंटित हुआ था, लेकिन बाद में रिशफल कर उसे जालोर जाने के आदेश दिए गए हैं. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि ना तो याचिकाकर्ताओं से जिले के विकल्प मांगे गए और ना ही उनकी मेरिट में कोई संशोधन किया गया, इसके बावजूद भी उनके जिला आवंटन को रिशफल करना गलत है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अभ्यर्थियों के खिलाफ आदेश पारित करने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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