जयपुर. प्रदेश में लागू हुए नए मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माना राशि लगाए जाने से खफा ट्रांसपोर्टरों ने जुर्माना राशि वापस नहीं लिए जाने पर 20 जुलाई को हड़ताल और चक्के जाम की चेतावनी दी है. ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स चेंबर के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल सिंह राठौड़ का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण कार्य पूरी तरह प्रभावित रहा है. इसके बावजूद सरकार की ओर से उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं मिला है.
संक्रमण काल के दौरान ही नए मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माना राशि लगाए जाने से व्यवसाय भी पूरी तरह खत्म हो गया है. अगर एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल के बाद भी सरकार ने ट्रांसपोर्टर की मांगे नहीं मानी तो ट्रांसपोर्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल और चक्का जाम करेंगे.
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उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में हड़ताल और चक्का जाम के दौरान राजस्थान में 7 लाख ट्रक, 2 लाख ट्रोले और 13 हजार ट्रांसपोर्ट कंपनियां पूरी तरह बंद रखी जाएंगी. बंद के दौरान कारोबारियों को करीब 500 से 600 करोड़ रुपए तक का नुकसान भी होगा. ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स चेंबर के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते कमर्शियल वाहन मालिक मंदी की मार झेल रहे हैं. भारी जुर्माना लगने के बाद मंदी की मार झेल रहा व्यवसाय पूरी तरह बंद होने की कगार पर आ गया है.
राजस्थान में अन्य पड़ोसी राज्य से डीजल भी आठ से 10 रुपये सस्ता है. ऐसे में राठौड़ ने कहा कि सरकार को वैट कम करना चाहिए. इसके बावजूद डीजल के दामों में किसी तरह की राहत नहीं दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि स्थिति यह है कि वर्तमान में डीजल के दाम 82 लीटर पार कर चुके हैं. वहीं, विश्वकर्मा ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश यादव ने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट के विरोध में परिवहन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन दिए गए हैं, लेकिन मांगों पर सुनवाई नहीं हो रही है.
स्थिति यह है कि कांटे की पोल के हिसाब से 1 टन पर 20 हजार जुर्माना कर दिया गया है. लोडिंग के दौरान 1 टन बढ़ाने में पहले 500 हुआ करता था, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात में यह जुर्माना काफी कम हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान में जुर्माना महाराष्ट्र और गुजरात की तरह किया जाए.
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उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दाम राजस्थान में सबसे ज्यादा है, ऐसे में पड़ोसी राज्यों में दाम कम होने के चलते ट्रांसपोर्टर पड़ोसी राज्य से डीजल भराते हैं. ऐसे में सरकार के राजस्व को भी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को डीजल के दामों में कमी करनी चाहिए, जिससे सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी हो.