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कनेक्शन लोड पर फिक्स चार्ज वसूलने का प्रस्ताव जनविरोधी: राजेंद्र राठौड़ - Power Companies of Rajasthan

राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से अपने जन घोषणा पत्र में प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शत प्रतिशत और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने, बिजली में हो रही छीजत और चोरी रोकने का कलोप कल्पित दावा किया गया था, लेकिन कांग्रेस सरकार के सभी दावों की अब कलई खुल गई है.

राजेंद्र राठौड़, Rajasthan News
राजेंद्र राठौड़
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Published : Aug 2, 2021, 8:53 PM IST

जयपुर. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में डिस्कॉम की टैरिफ याचिका पर सुनवाई करते हुए अघरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं की तर्ज पर अब घरेलू उपभोक्ताओं से स्थायी शुल्क (फिक्स चार्ज) वसूले जाने के प्रस्ताव को जन विरोधी और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इसे कोरोना काल में पटरी पर लौट रही आम उपभोक्ताओं की जिंदगी पर दोहरी मार बताया है.

राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि राजस्थान में बिजली दर (टैरिफ) 8.13 पैसे प्रति यूनिट है, जो पड़ोसी राज्यों उत्तरप्रदेश और हरियाणा में क्रमशः 6.76 पैसे प्रति यूनिट और 5.65 पैसे प्रति यूनिट से काफी ज्यादा है. मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश व जल संरक्षण उपकर/फ्यूल सरचार्ज और शहरी सेस शून्य है, जबकि राजस्थान में जल संरक्षण उपकर/फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 49 पैसे प्रति यूनिट और शहरी सेस के नाम पर 15 पैसे प्रति यूनिट आम उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है.

वहीं, इसके अतिरिक्त प्रदेश में विद्युत शुल्क के नाम पर 40 पैसे प्रति यूनिट और अडानी कर के नाम पर 5 पैसे प्रति यूनिट वसूलने का जनविरोधी कार्य भी कांग्रेस सरकार की ओर से किया जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः Rajasthan Weather Update: प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट, इन जिलों में औसत से ज्यादा बरसे इंद्रदेव

राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से अपने जन घोषणा पत्र में प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शत प्रतिशत और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने, बिजली में हो रही छीजत और चोरी रोकने का कलोप कल्पित दावा किया गया था, लेकिन कांग्रेस सरकार के सभी दावों की अब कलई खुल गई है.

राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार पहले से ही प्रदेश के सभी श्रेणी घरेलू, अघरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं से 250 रुपये प्रतिमाह से लेकर 25000 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज वसूल रही है.

वहीं, अब नए प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार लादने की तैयारी में है, जिसके तहत वर्तमान में घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे 275 रुपये से 400 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज को बढ़ाकर 800 रुपये प्रतिमाह तक कर दिया गया है.

राठौड़ ने कहा कि प्रदेश के लगभग 1.52 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं पर स्थायी शुल्क वसूलने का अतिरिक्त भार पड़ने से कोरोना काल में पहले से ही आम आदमी की लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को धक्का पहुंचेगा.

बिजली डिस्कॉम के कुप्रबंधन, बिजली की छीजत और चोरी रोकने में नाकामी और अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए फिक्स चार्ज में 7वीं बार बढ़ोतरी कर विद्युत उपभोक्ताओं से महंगी दरों से बिजली वसूलना उपभोक्ताओं के साथ अन्याय और कोढ़ में खाज के समान है.

यह भी पढ़ेंः CBSE 12वीं के विद्यार्थियों के लिए खुशखबरीः परिणाम से असंतुष्ट छात्रों के लिए सीबीएसई ने लाए ये नियम

राठौड़ ने अपने बयान में कहा कि ऊर्जा विभाग, डिस्कॉम के लचर प्रबंधन के कारण जहां एक ओर कांग्रेस सरकार आने के पश्चात् 22 फीसदी प्रति यूनिट बिजली के दामों में बढ़ोतरी कर जनता की जेब पर डाका डाला जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर अब घरेलू उपभोक्ताओं से यूनिट उपभोग की बजाय कनेक्शन लोड के हिसाब से स्थायी शुल्क लगने से आम आदमी पर महंगाई के करंट से आम आदमी की नींद उड़ गई है.

डिस्कॉम के कुप्रबंधन के कारण ही राजस्थान आज विद्युत उपभोक्ताओं से देश में सर्वाधिक महंगी बिजली वसूलने वाले राज्यों की श्रेणी में ऊंचे पायदान पर है. वहीं, कांग्रेस शासित राज्यों में भी सबसे महंगी बिजली की दरें राजस्थान में है.

जयपुर. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में डिस्कॉम की टैरिफ याचिका पर सुनवाई करते हुए अघरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं की तर्ज पर अब घरेलू उपभोक्ताओं से स्थायी शुल्क (फिक्स चार्ज) वसूले जाने के प्रस्ताव को जन विरोधी और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इसे कोरोना काल में पटरी पर लौट रही आम उपभोक्ताओं की जिंदगी पर दोहरी मार बताया है.

राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि राजस्थान में बिजली दर (टैरिफ) 8.13 पैसे प्रति यूनिट है, जो पड़ोसी राज्यों उत्तरप्रदेश और हरियाणा में क्रमशः 6.76 पैसे प्रति यूनिट और 5.65 पैसे प्रति यूनिट से काफी ज्यादा है. मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश व जल संरक्षण उपकर/फ्यूल सरचार्ज और शहरी सेस शून्य है, जबकि राजस्थान में जल संरक्षण उपकर/फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 49 पैसे प्रति यूनिट और शहरी सेस के नाम पर 15 पैसे प्रति यूनिट आम उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है.

वहीं, इसके अतिरिक्त प्रदेश में विद्युत शुल्क के नाम पर 40 पैसे प्रति यूनिट और अडानी कर के नाम पर 5 पैसे प्रति यूनिट वसूलने का जनविरोधी कार्य भी कांग्रेस सरकार की ओर से किया जा रहा है.

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राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार की ओर से अपने जन घोषणा पत्र में प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शत प्रतिशत और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने, बिजली में हो रही छीजत और चोरी रोकने का कलोप कल्पित दावा किया गया था, लेकिन कांग्रेस सरकार के सभी दावों की अब कलई खुल गई है.

राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार पहले से ही प्रदेश के सभी श्रेणी घरेलू, अघरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं से 250 रुपये प्रतिमाह से लेकर 25000 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज वसूल रही है.

वहीं, अब नए प्रस्ताव के माध्यम से राज्य सरकार घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार लादने की तैयारी में है, जिसके तहत वर्तमान में घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे 275 रुपये से 400 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज को बढ़ाकर 800 रुपये प्रतिमाह तक कर दिया गया है.

राठौड़ ने कहा कि प्रदेश के लगभग 1.52 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं पर स्थायी शुल्क वसूलने का अतिरिक्त भार पड़ने से कोरोना काल में पहले से ही आम आदमी की लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को धक्का पहुंचेगा.

बिजली डिस्कॉम के कुप्रबंधन, बिजली की छीजत और चोरी रोकने में नाकामी और अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए फिक्स चार्ज में 7वीं बार बढ़ोतरी कर विद्युत उपभोक्ताओं से महंगी दरों से बिजली वसूलना उपभोक्ताओं के साथ अन्याय और कोढ़ में खाज के समान है.

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राठौड़ ने अपने बयान में कहा कि ऊर्जा विभाग, डिस्कॉम के लचर प्रबंधन के कारण जहां एक ओर कांग्रेस सरकार आने के पश्चात् 22 फीसदी प्रति यूनिट बिजली के दामों में बढ़ोतरी कर जनता की जेब पर डाका डाला जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर अब घरेलू उपभोक्ताओं से यूनिट उपभोग की बजाय कनेक्शन लोड के हिसाब से स्थायी शुल्क लगने से आम आदमी पर महंगाई के करंट से आम आदमी की नींद उड़ गई है.

डिस्कॉम के कुप्रबंधन के कारण ही राजस्थान आज विद्युत उपभोक्ताओं से देश में सर्वाधिक महंगी बिजली वसूलने वाले राज्यों की श्रेणी में ऊंचे पायदान पर है. वहीं, कांग्रेस शासित राज्यों में भी सबसे महंगी बिजली की दरें राजस्थान में है.

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