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जनजाति क्षेत्र की समस्याओं को समझना और उनका समाधान करना होगा, नहीं तो होगी समस्या : खाचरियावास

राजस्थान के वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव (Vallabhnagar By election) में कांग्रेस (Congress) पार्टी ने जीत दर्ज की है. इस उपचुनाव में बीटीपी (BTP) समर्थित प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे. जीत के बाद भी प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) का मानना है कि जनजाति क्षेत्र की समस्याओं को समझना और उनका समाधान करना दोनों पार्टियों की जिम्मेदारी है, नहीं तो दोनों पार्टियों को आगे समस्या होगी.

Congress, BJP, Pratap Singh Khachariyawas
प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास
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Published : Nov 4, 2021, 11:39 AM IST

Updated : Nov 4, 2021, 11:59 AM IST

जयपुर. राजस्थान में अब तक भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच आमने-सामने का मुकाबला होता रहा है. दोनों पार्टियों के सामने तीसरा मोर्चा खड़ा करने की कोशिश कई बार राजस्थान में हुई है, लेकिन राजस्थान की जनता ने तीसरे मोर्चे की संभावना को हमेशा राजस्थान में नकार दिया है. केवल एक बहुजन समाज पार्टी (BSP) ही है जो राजस्थान में हर बार इन दोनों प्रमुख दलों के सामने कुछ सीटें जीत कर आती है.

पढ़ें- वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव: गुटबाजी ने डुबोई नैया...उपचुनाव के नतीजों से मिले भाजपा को सियासी चुनौतियों के संकेत

लेकिन, 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरीके से राजस्थान में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी (RLP) का प्रदर्शन रहा है, वह कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों के लिए ही खतरे की घंटी बजा रहा है. हालांकि, इन दोनों पार्टियों की बढ़ती लोकप्रियता देखने में तो अभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ लग रही है, लेकिन सत्ताधारी दल कांग्रेस (Rajasthan Congress) को भी इस बात का अंदाजा है कि जब राजस्थान में आम चुनाव होंगे तो परिस्थितियां अलग होगी.

जनजाति क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करना होगा

कांग्रेस को हो सकती है समस्या

कांग्रेस को भी लग रहा है कि आम चुनाव के समय जनजाति क्षेत्र में सक्रिय भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) कांग्रेस के सामने भी मुसीबत खड़ी कर सकती है और अगर इन दोनों पार्टियों के साथ बसपा (BSP) का कोई पैचअप हुआ तो कांग्रेस के सामने दिक्कत ज्यादा खड़ी होगी. यही कारण है कांग्रेस पार्टी ने भले ही वल्लभनगर (Vallabhnagar By election) और धरियावद (Dhariyawad By election) में रिकॉर्ड जीत दर्ज की है, लेकिन इसके बावजूद भी उदयपुर के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) ट्राइबल पार्टी के खतरे को भांप चुके हैं.

पढ़ें- पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने भाजपा पर साधा निशाना... कहा- उपचुनाव में जनता ने महंगाई के विरोध में वोट दिया

RLP बनती जा रही तीसरी विकल्प

मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) ने कहा कि धरियावद चुनाव में बीटीपी (BTP) भाजपा (BJP) से ज्यादा वोट लेकर आई है, लेकिन यह चुनौती सब पार्टियों के लिए है कि अगर उस क्षेत्र की जनता की कोई बात है तो उनसे बात कर जनता के बीच जाना और जनता की बात को समझ कर उनकी समस्याओं का समाधान करना हम सबकी जिम्मेदारी है. भले ही प्रताप सिंह ने केवल भारतीय ट्राइबल पार्टी की बात की हो, लेकिन 2018 के बाद लगातार हो रहे उपचुनाव में एक बात साबित हो गई है की आरएलपी (RLP) भी एक तीसरे मोर्चे का बड़ा विकल्प बनती जा रही है.

भाजपा को हराने में RLP का सबसे बड़ा योगदान

यही कारण है कि विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) के बाद हुए चुनाव में जहां भाजपा (BJP) ने आरएलपी (RLP) के साथ गठबंधन किया और उसी का नतीजा था कि सांसद आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) बने. इसके बाद हुए उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल की सीट पर उनके भाई नारायण बेनीवाल (Narayan Beniwal) ने जीत दर्ज की. लेकिन, किसान आंदोलन के चलते हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी और भाजपा में दूरियां बढ़ गई. जिसके बाद हुए 3 उपचुनाव में सुजानगढ़ में आरएलपी भले ही जीत नहीं पाई हो, लेकिन भाजपा के सुजानगढ़ हारने में आरएलपी का सबसे बड़ा योगदान रहा.

पढ़ें- जयपुर: मंत्रालयिक कर्मचारियों का आंदोलन खत्म, सीएम गहलोत ने चाय पिलाकर तुड़वाया मनोज सक्सेना का आमरण अनशन

बीटीपी दे रही कड़ी टक्कर

वैसे भी बहुजन समाज पार्टी (BSP) राजस्थान में हर बार कुछ सीटें जीतती रही है. इस बार भी बहुजन समाज पार्टी राजस्थान में 6 विधानसभा सीट जीतने में कामयाब हुई थी, लेकिन सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. ऐसे में अगर आरएलपी और बीटीपी के साथ बसपा और माकपा मिल जाती है तो इन चारों दलों को आने वाले समय में यह पार्टी में तीसरे मोर्चे कि राजस्थान में संभावनाओं को जरूर तलाशी जा सकती है और कई सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रत्याशियों की गणित बिगाड़ेगी. राजस्थान में अभी जो क्षेत्रीय दल सक्रिय हैं, उनमें बसपा, माकपा, रालोसपा, बीटीपी एनसीपी लोकदल, आम आदमी पार्टी और जेडीयू जैसे दल शामिल हैं.

जयपुर. राजस्थान में अब तक भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच आमने-सामने का मुकाबला होता रहा है. दोनों पार्टियों के सामने तीसरा मोर्चा खड़ा करने की कोशिश कई बार राजस्थान में हुई है, लेकिन राजस्थान की जनता ने तीसरे मोर्चे की संभावना को हमेशा राजस्थान में नकार दिया है. केवल एक बहुजन समाज पार्टी (BSP) ही है जो राजस्थान में हर बार इन दोनों प्रमुख दलों के सामने कुछ सीटें जीत कर आती है.

पढ़ें- वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव: गुटबाजी ने डुबोई नैया...उपचुनाव के नतीजों से मिले भाजपा को सियासी चुनौतियों के संकेत

लेकिन, 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरीके से राजस्थान में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी (RLP) का प्रदर्शन रहा है, वह कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों के लिए ही खतरे की घंटी बजा रहा है. हालांकि, इन दोनों पार्टियों की बढ़ती लोकप्रियता देखने में तो अभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ लग रही है, लेकिन सत्ताधारी दल कांग्रेस (Rajasthan Congress) को भी इस बात का अंदाजा है कि जब राजस्थान में आम चुनाव होंगे तो परिस्थितियां अलग होगी.

जनजाति क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करना होगा

कांग्रेस को हो सकती है समस्या

कांग्रेस को भी लग रहा है कि आम चुनाव के समय जनजाति क्षेत्र में सक्रिय भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) कांग्रेस के सामने भी मुसीबत खड़ी कर सकती है और अगर इन दोनों पार्टियों के साथ बसपा (BSP) का कोई पैचअप हुआ तो कांग्रेस के सामने दिक्कत ज्यादा खड़ी होगी. यही कारण है कांग्रेस पार्टी ने भले ही वल्लभनगर (Vallabhnagar By election) और धरियावद (Dhariyawad By election) में रिकॉर्ड जीत दर्ज की है, लेकिन इसके बावजूद भी उदयपुर के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) ट्राइबल पार्टी के खतरे को भांप चुके हैं.

पढ़ें- पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने भाजपा पर साधा निशाना... कहा- उपचुनाव में जनता ने महंगाई के विरोध में वोट दिया

RLP बनती जा रही तीसरी विकल्प

मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) ने कहा कि धरियावद चुनाव में बीटीपी (BTP) भाजपा (BJP) से ज्यादा वोट लेकर आई है, लेकिन यह चुनौती सब पार्टियों के लिए है कि अगर उस क्षेत्र की जनता की कोई बात है तो उनसे बात कर जनता के बीच जाना और जनता की बात को समझ कर उनकी समस्याओं का समाधान करना हम सबकी जिम्मेदारी है. भले ही प्रताप सिंह ने केवल भारतीय ट्राइबल पार्टी की बात की हो, लेकिन 2018 के बाद लगातार हो रहे उपचुनाव में एक बात साबित हो गई है की आरएलपी (RLP) भी एक तीसरे मोर्चे का बड़ा विकल्प बनती जा रही है.

भाजपा को हराने में RLP का सबसे बड़ा योगदान

यही कारण है कि विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) के बाद हुए चुनाव में जहां भाजपा (BJP) ने आरएलपी (RLP) के साथ गठबंधन किया और उसी का नतीजा था कि सांसद आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) बने. इसके बाद हुए उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल की सीट पर उनके भाई नारायण बेनीवाल (Narayan Beniwal) ने जीत दर्ज की. लेकिन, किसान आंदोलन के चलते हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी और भाजपा में दूरियां बढ़ गई. जिसके बाद हुए 3 उपचुनाव में सुजानगढ़ में आरएलपी भले ही जीत नहीं पाई हो, लेकिन भाजपा के सुजानगढ़ हारने में आरएलपी का सबसे बड़ा योगदान रहा.

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बीटीपी दे रही कड़ी टक्कर

वैसे भी बहुजन समाज पार्टी (BSP) राजस्थान में हर बार कुछ सीटें जीतती रही है. इस बार भी बहुजन समाज पार्टी राजस्थान में 6 विधानसभा सीट जीतने में कामयाब हुई थी, लेकिन सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. ऐसे में अगर आरएलपी और बीटीपी के साथ बसपा और माकपा मिल जाती है तो इन चारों दलों को आने वाले समय में यह पार्टी में तीसरे मोर्चे कि राजस्थान में संभावनाओं को जरूर तलाशी जा सकती है और कई सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रत्याशियों की गणित बिगाड़ेगी. राजस्थान में अभी जो क्षेत्रीय दल सक्रिय हैं, उनमें बसपा, माकपा, रालोसपा, बीटीपी एनसीपी लोकदल, आम आदमी पार्टी और जेडीयू जैसे दल शामिल हैं.

Last Updated : Nov 4, 2021, 11:59 AM IST
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