जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में ग्राम सेवा सहकारी समितियों और क्रय-विक्रय सहकारी समितियों द्वारा संचालित नए घोषित निजी गौण मंडी प्रांगणों में संकलित मंडी शुल्क का 75 प्रतिशत हिस्सा इन समितियों को देने का निर्णय लिया है. इससे सहकारी समितियों को कृषि उपज बेचने के लिए अधिक संख्या में निजी गौण मंडियों के संचालन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. गहलोत ने इसके लिए कृषि विपणन विभाग से प्राप्त प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
प्रस्ताव के अनुसार कोविड-19 महामारी के दौर में कृषि जिन्सों के क्रय-विक्रय के समय सामाजिक दूरी बनाए रखने की बात कही. साथ ही किसानों को उनके खेतों के समीप विकेन्द्रीकृत विपणन सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से प्रदेश की 550 ग्राम सेवा सहकारी समितियों और क्रय-विक्रय सहकारी समितियों को निजी गौण मंडी प्रांगण के संचालन के लिए अनुज्ञा पत्र दिए गए हैं.
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इन मंडियों के संचालन के दौरान सहकारी समितियां राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम-1961 के तहत व्यापारियों से मंडी फीस का संग्रहण कर सकेंगी. नए मंडी प्रांगणों को आर्थिक दृष्टि से सक्षम बनाने के लिए मंडी शुल्क में इनके हिस्से को बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया गया है.
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गौरतलब है कि वर्तमान में निजी मंडी प्रांगणों में कृषि जिन्स क्रय-विक्रय शुरू होने के बाद प्रथम 3 वर्ष के दौरान संकलित मंडी शुल्क का 60 प्रतिशत अगले 2 वर्ष तक 50 प्रतिशत और उसके बाद 40 प्रतिशत हिस्सा मंडी समिति को देय है. ग्राम सेवा सहकारी समितियों और क्रय-विक्रय सहकारी समितियों को लाइसेंस देकर इनके द्वारा स्थापित निजी गौण मंडी प्रांगणों में यार्ड के संचालन के लिए आय के अन्य साधन उपलब्ध नहीं होते हैं.
ऐसे में नई घोषित इन मंडियों को आर्थिक सम्बल देने और पुराने यार्डों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने के लिए संकलित मंडी शुल्क में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.