जयपुर. देश में राष्ट्रपति चुनाव होने को है. इस चुनाव में भी राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी अपना पूरा दमखम दिखाना चाहेगी. हाल ही हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को सहयोगी दलों का और एक भाजपा विधायक का समर्थन मिल गया था. राष्ट्रपति चुनाव से पहले कुछ अन्य पार्टी व निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के साथ रहने का फैसला अभी तक नहीं किया (Support for Congress in President election) है.
राजस्थान में कांग्रेस का कुनबा राष्ट्रपति चुनाव में भी राज्यसभा चुनाव की तरह ही एकजुट रहेगा या फिर एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में निर्दलीय और सहयोगी दलों के विधायक मतदान तो नहीं कर देंगे, इस पर सबकी निगाहें हैं. वैसे तो कांग्रेस पार्टी के विधायकों में टूट होने की संभावना ना के बराबर है, लेकिन राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सहयोगी रही भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायकों ने अब तक यह तय नहीं किया है कि वह वोट किसे देंगे. निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुडला ने भी अभी वोट किसे करना है यह तय नहीं किया है.
वहीं निर्दलीय विधायक रमिला खड़िया ने भी अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया है. इसी तरह से मायावती को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के लिए पत्र लिखने वाले बसपा से कांग्रेस में आए विधायक जोगिंदर अवाना भले ही कांग्रेस के समर्थन की बात कह रहे हों, लेकिन अंतिम समय में उनका निर्णय क्या होगा. यह देखने वाली बात होगी. हालांकि इसके साथ यह भी साफ है कि भले ही राजस्थान में कांग्रेस की सरकार हो और कांग्रेस पार्टी अपने सभी वोट एक जगह डलवा भी दे, तो भी सांसदों की संख्या के चलते एनडीए प्रत्याशी को ही राजस्थान से राष्ट्रपति पद के लिए ज्यादा वोट (President election voting calculation for Rajasthan MLAs) मिलेंगे.
राष्ट्रपति चुनाव में होता है गुप्त मतदान,व्हिप भी नहीं होता लागू: राज्यसभा चुनाव में तो वोट पार्टी के विधायकों को पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखा कर करना होता है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव पूरी तरीके से गुप्त मतदान होता है. ऐसे में इन चुनाव में कौन किसे वोट दे रहा है, इसकी जानकारी केवल संभावित तौर पर ही निकल सकती है, पुख्ता तौर पर नहीं. ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी के खेमे में टूट होती है और वोट दूसरी जगह जाता भी है तो भी किसी पर कोई सवाल नहीं खड़े होंगे.
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आदिवासी विधायकों का मन डावाडोल हुआ तो होगी दिक्कत: राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों में से 25 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. वहीं 6 गैर आरक्षित सीटों पर भी एसटी वर्ग के विधायकों ने जीत दर्ज की है. ऐसे में कुल 32 एसटी विधायकों में से 17 कांग्रेस के पास हैं. इसके अलावा 9 विधायक भारतीय जनता पार्टी, दो विधायक बीटीपी और 5 विधायक निर्दलीय हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस के 17 विधायकों का मन नहीं डोला, तो कांग्रेस को यह 17 वोट तो मिल जाएंगे, लेकिन भाजपा के 9 एसटी विधायकों के अलावा भी भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद ने अब तक यह तय नहीं किया है कि वह वोट किसे देंगे. यही हाल निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला और रमिला खड़िया का है. हालांकि निर्दलीय विधायक कांति मीणा, रामकेश मीणा, लक्ष्मण मीणा कांग्रेस को ही वोट देने की बात कर रहे हैं.
एसटी के 32 विधायकों का ब्यौरा:
- कांग्रेस के 17 विधायक- अर्जुन बामणिया, इंदिरा मीणा, गणेश घोगरा, नागराज मीणा, गोपाल मीणा, जोहरी लाल मीणा, दयाराम परमार, निर्मला सहरिया, परसादी लाल मीणा, पृथ्वीराज मीणा, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, रमेश मीणा, रामलाल मीणा, हरीश मीणा, रामनारायण मीणा, मुरारी लाल मीणा और लाखन मीणा.
- भाजपा के 9 विधायक- अमृत लाल मीणा, कैलाश चंद्र मीणा, गोपीचंद मीणा आसपुर, प्रताप लाल भील, फूल सिंह मीणा, बाबूलाल, समाराम गरासिया, हरेंद्र निमामा, गोपीचंद मीणा जहाजपुर.
- बीटीपी के 2 विधायक- राजकुमार रोत और रामप्रसाद
- 6 निर्दलीय एसटी विधायक- कांति मीणा, लक्ष्मण मीणा, रामकेश मीणा, रमिला खड़िया, ओमप्रकाश हुड़ला
ये होती है राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की गणित
राजस्थान की 200 विधायकों के वोट का मूल्य 25800 निर्धारित है, तो वहीं 25 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसदों के वोट का मूल्य भी 24700 है. यानी कि राजस्थान से राष्ट्रपति चुनाव के लिए देशभर में होने वाले कुल वोट 10 लाख 98 हजार 882 में से 50 हजार 800 का होगा.
कैसे निकलती है एक विधायक के वोट की वैल्यू: प्रदेश की जनसंख्या में कुल विधायकों का भाग देकर उसमें 1 बटा 1000 किया जाता है. मतलब राष्ट्रपति चुनाव में क्योंकि 1971 की जनसंख्या को आधार माना जाता है, तो 25765806 में 200 का भाग देकर आयी संख्या में 1/1000 करने पर 128.829 आता है जो राजस्थान के एक विधायक के वोट की वैल्यू है. क्योंकि 128 के ऊपर .5 निकल जाने पर उसे 129 के बराबर माना जाता है. इसी तरह से देश के 543 लोकसभा और 233 राज्यसभा सांसदों की संख्या 776 होती है. क्योंकि अभी जम्मू कश्मीर विधानसभा और राज्यसभा में सांसद नहीं हैं. इस कारण इस बार एक सांसद के वोट का मूल्य 708 से घटकर 700 रह गया है.
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राजस्थान के दोनों पार्टियों समेत अन्य विधायकों के वोट का मूल्य:
200 विधायकों के कुल वोट 25800
- कांग्रेस के 108 विधायकों के वोटों का मूल्य 13935
- भाजपा के 71 विधायकों के वोटों का मूल्य 9088
- बीटीपी के 2 विधायकों के वोटों का मूल्य 258
- निर्दलीय 13 विधायकों के वोटों का मूल्य 1677
- आरएलडी के एक विधायक वोट का मूल्य 129
- माकपा के 2 विधायकों के वोट का मूल्य 258
- आरएलपी के 3 विधायकों के वोट का मूल्य 387
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राजस्थान के सांसदों के वोट का मूल्य
लोकसभा सांसद
- भाजपा के 24 लोकसभा सांसदों के वोट का मूल्य 16800
- आरएलपी के एक लोकसभा सांसद के वोट का मूल्य 700
राज्यसभा सांसद
- कांग्रेस के छह राज्यसभा सांसदों के वोट का मूल्य 4200
- भाजपा के चार राज्यसभा सांसदों के वोट का मूल्य 2800
भाजपा को भी हो सकता है नुकसान: कांग्रेस पार्टी के समर्थक विधायकों के साथ ही एसटी विधायकों ने अगर वोट एनडीए प्रत्याशी को दिया, तो कांग्रेस को तो इसका नुकसान उठाना पड़ ही सकता है. वहीं भाजपा के लिए निष्कासित विधायक शोभारानी कुशवाहा और आरएलपी विधायकों और एक सांसद वोट का नुकसान हो सकता है. बता दें कि आरएलपी केंद्र की अग्निपथ योजना का पूरजोर विरोध कर रही है. समझा जाता है कि ये विधायक और इस पार्टी से सांसद बीजेपी प्रत्याशी को वोट ना करें. ऐसे में सरकार होने के बावजूद सांसदों में पिछड़ने के चलते कांग्रेस पार्टी को पहले ही सभी समर्थक दलों के वोट जोड़ दिए जाएं, तो भी भाजपा से कम वोट आते हैं. लेकिन बीटीपी, निर्दलीय और कांग्रेस के एसटी विधायकों ने एनडीए प्रत्याशी को मतदान कर दिया, तो यह संख्या और भी कम हो सकती है.