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मानसून से पहले आपदा प्रबंधन को दुरुस्त करने की कवायद शुरू, जानें - बाढ़ से बचाव की तैयारी

आगामी मानसून को लेकर जयपुर जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन को दुरुस्त करने की कवायद शुरू कर दी है. जिला कलेक्टर के निर्देश पर जयपुर नगर निगम के हिस्से में चार फायर स्टेशन और आठ जोन कार्यालय पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का काम किया जा रहा है.

Flood Control Room in Jaipur, Jaipur Disaster Management News
मानसून से पहले बाढ़ नियंत्रण की तैयारी
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Published : Jun 15, 2020, 7:33 PM IST

जयपुर. कोरोना संकट के बीच आगामी मानसून को लेकर जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त करने की कवायद शुरू की है. इस बार नगर निगम के सभी 8 जोन और 4 फायर स्टेशन पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाए जा रहे हैं. हालांकि, 15 जून तक बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश थे, लेकिन निगम के जोन कार्यालयों और फायर स्टेशन पर बनाए जाने वाले बाढ़ नियंत्रण कक्षों का अभी काम ही चल रहा है.

मानसून से पहले बाढ़ नियंत्रण की तैयारी

बीते दिनों जिला कलेक्टर जोगाराम ने मानसून की पूर्व तैयारियों के संबंध में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक ली. मानसून के दौरान राहत और बचाव की दृष्टि से कई विभागों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया. कलेक्टर के निर्देश पर जयपुर नगर निगम के हिस्से में चार फायर स्टेशन और आठ जोन कार्यालय पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का काम आया. इसके लिए 15 जून तक तारीख निर्धारित की थी. हालांकि अभी काम ही चल रहा है.

पढ़ें- राजस्थान पर मंडरा रहा 'उड़ता आतंक' का खतरा...मुकाबले के लिए 25 ड्रोन तैयार

इस बीच सीएफओ जगदीश फुलवारी ने बताया कि जयपुर में पहले घाट गेट, मानसरोवर और बनी पार्क फायर स्टेशन पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया जाता था, लेकिन इस बार मालवीय नगर फायर स्टेशन को भी जोड़ा गया है. मुख्य रूप से ये चार बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं, जहां तमाम संसाधन मौजूद रहेंगे.

साथ ही पुराने 8 जोन पर भी जोन डीसी की निगरानी में बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया जा रहा है. जहां फायर डिपार्टमेंट के कर्मचारियों के साथ-साथ इंजीनियर भी तैनात रहेंगे और ये कंट्रोल रूम 24 घंटे चलेगा. उन्होंने बताया कि बाढ़ नियंत्रण के लिए फायर वाहनों के अलावा जेसीबी, मड पंप, कटर, रस्से और जैकेट उपलब्ध रहेंगे, ताकि किसी भी आपदा से निपटा जा सके.

पढ़ें- श्रम मंत्री के आदेशों की भी नहीं हो रही पालना...सामने आ रही ये हकीकत

हालांकि, निगम में 8 के बजाए अब 11 जोन हैं. ऐसे में नए जोन को पुराने दोनों के साथ सेंट्रलाइज किया जाएगा. बता दें कि नगर निगम के हर जोन उपायुक्त के नियंत्रण में आवश्यक संसाधनों सहित कम से कम 2 सामुदायिक भवन होने के निर्देश दिए हैं. जहां आपात स्थिति में लोगों को रेस्क्यू कर लाया जा सके. साथ ही सभी सामुदायिक भवनों की मैपिंग भी करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा उन कच्ची बस्ती और स्थानों को चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं, जहां पानी भरने की आशंका रहती है.

जयपुर. कोरोना संकट के बीच आगामी मानसून को लेकर जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त करने की कवायद शुरू की है. इस बार नगर निगम के सभी 8 जोन और 4 फायर स्टेशन पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाए जा रहे हैं. हालांकि, 15 जून तक बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश थे, लेकिन निगम के जोन कार्यालयों और फायर स्टेशन पर बनाए जाने वाले बाढ़ नियंत्रण कक्षों का अभी काम ही चल रहा है.

मानसून से पहले बाढ़ नियंत्रण की तैयारी

बीते दिनों जिला कलेक्टर जोगाराम ने मानसून की पूर्व तैयारियों के संबंध में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक ली. मानसून के दौरान राहत और बचाव की दृष्टि से कई विभागों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया. कलेक्टर के निर्देश पर जयपुर नगर निगम के हिस्से में चार फायर स्टेशन और आठ जोन कार्यालय पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का काम आया. इसके लिए 15 जून तक तारीख निर्धारित की थी. हालांकि अभी काम ही चल रहा है.

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इस बीच सीएफओ जगदीश फुलवारी ने बताया कि जयपुर में पहले घाट गेट, मानसरोवर और बनी पार्क फायर स्टेशन पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया जाता था, लेकिन इस बार मालवीय नगर फायर स्टेशन को भी जोड़ा गया है. मुख्य रूप से ये चार बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं, जहां तमाम संसाधन मौजूद रहेंगे.

साथ ही पुराने 8 जोन पर भी जोन डीसी की निगरानी में बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया जा रहा है. जहां फायर डिपार्टमेंट के कर्मचारियों के साथ-साथ इंजीनियर भी तैनात रहेंगे और ये कंट्रोल रूम 24 घंटे चलेगा. उन्होंने बताया कि बाढ़ नियंत्रण के लिए फायर वाहनों के अलावा जेसीबी, मड पंप, कटर, रस्से और जैकेट उपलब्ध रहेंगे, ताकि किसी भी आपदा से निपटा जा सके.

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हालांकि, निगम में 8 के बजाए अब 11 जोन हैं. ऐसे में नए जोन को पुराने दोनों के साथ सेंट्रलाइज किया जाएगा. बता दें कि नगर निगम के हर जोन उपायुक्त के नियंत्रण में आवश्यक संसाधनों सहित कम से कम 2 सामुदायिक भवन होने के निर्देश दिए हैं. जहां आपात स्थिति में लोगों को रेस्क्यू कर लाया जा सके. साथ ही सभी सामुदायिक भवनों की मैपिंग भी करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा उन कच्ची बस्ती और स्थानों को चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं, जहां पानी भरने की आशंका रहती है.

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