जयपुर. महानगर मजिस्ट्रेट क्रम- 5 जयपुर प्रथम ने प्रताप नगर थानाधिकारी को 6 नवंबर को पेश होकर बताने को कहा है कि दशहरे के दिन रावण को किस कानून के तहत आयोजकों के कब्जे से थाने लाया गया था. अदालत ने यह आदेश प्रताप नगर केन्द्रीय विकास समिति की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान विकास समिति की ओर से अधिवक्ता विकास सोमानी ने कहा कि पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रावण को जब्त नहीं किया गया है. बल्कि कोरोना प्रोटोकॉल के तहत थाने लाकर सुरक्षार्थ खड़ा किया है. मौके पर चार-पांच लोग की मौजूद थे. समिति की ओर पुलिस रिपोर्ट का विरोध करते हुए कहा गया कि बड़े मैदान में पांच लोगों की मौजूदगी से महामारी कानून के टूट सकता है. पुलिस ने यदि रावण को जब्त नहीं किया तो किस अधिकार के तहत उसे थाने लाया गया. इस पर कोर्ट ने थानाधिकारी को पेश होकर जवाब देने को कहा है.
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गौरतलब है कि समिति की ओर से दशहरा पर पन्द्रह फीट के रावण का दहन किया जाना था. दहन से पहले ही पुलिस रावण के पुतले को उठाकर थाने ले आई. इस पर समिति ने प्रार्थना पत्र पेश कर रावण को लौटाने की गुहार लगाई है.