जयपुर. एक ओर प्रदेश की गहलोत सरकार प्रशासन गांव और शहरों के संग अभियान (prashasan gaon ke sang campaign) को गति देने के प्रयासों में लगी है तो दूसरी ओर इस मुहिम से जुड़े कर्मचारी सरकार के विरोध में उतर आए हैं. सरकार की संवादहीनता से नाराज प्रदेश के 8 लाख कर्मचारियों ने एक दिसंबर से प्रशासन गांव और शहरों के संग अभियान का बहिष्कार करने का एलान कर दिया है.
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (rajasthan State Employees United Federation) के प्रदेश अध्यक्ष आयुदान सिंह कविया ने कहा कि सरकार की ओर से राज्य कर्मचारियों की अनदेखी, नकारात्मकत विचारधारा और संवाद हिंता के विरोध में संयुक्त महासंघ राज्यव्यापी आंदोलन कर रहा है. राजस्थान सरकार (rajasthan government) की ओर से महासंघ के साथ समय-समय पर हुए समझौते और सहमतियों को तोड़ा जा रहा है.
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कर्मचारी पर आर्थिक हमले किये जा रहे हैं. सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों का माकूल जवाब देने के लिए राज्य कर्मचारी, बोर्ड, निगम सहित स्वायत शासन संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारी, पंचायती राज और अस्थाई व्यवस्था के अंतर्गत सरकारी कार्यालयों में लगे कर्मचारी एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.
यह रहेगी आंदोलन की नीति -
कविया ने कहा कि 29 नवंबर को सभी कर्मचारी काली पट्टी बांधकर शिविरों में चेतावनी प्रदर्शन करेंगे. दिसंबर के पहले सप्ताह 1 दिसंबर से 3 दिसंबर तक प्रशासन गांव और शहरों के संग अभियान का बहिष्कार करेंगे. इस दौरान सभी जिला मुख्यालयों उपखंड मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन होगा. इसके बाद भी अगर सरकार की नींद नहीं खुली तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लेगा.
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यह है प्रमुख मांगें -
चयनित वेतनमान फिर से बहाल किया जाए, वेतन कटौती आदेश 30 अक्टूबर 2017 बहाल किया जाए, केंद्र के समान वेतन भत्ते स्वीकृत की जाए, नवीन पेंशन योजना समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए, वर्कचार्ज करचारियों को नियमित करने के अनुरूप एक ही आदेश से सभी संविदा समेकित वेतन आधारित कार्मिकों को नियमित किया जाए, कोरोना में मृत कर्मचारियों को ₹50 की अनुग्रह राशि शीघ्र स्वीकृत की जाए इसके सहित 15 सूत्री मांगों को लेकर कर्मचारी आंदोलित हैं.