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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर कल रखें प्रदोष व्रत, करें शिव की पूजा... जानें महत्व

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को है. इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है.

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Published : Nov 26, 2020, 3:34 PM IST

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत

जयपुर. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को है. इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान शिवशंकर की उपासना करने से विशेश कृपा प्राप्त होती है. ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार 27 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहा है. इसलिए प्रदोष व्रत की पूजा पूरे दिन की जा सकती है.

पूजा करने के लिए शाम 5:25 से रात 8:10 बजे तक शुभा मुहूर्त रहेगा. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में भगवान शिव का ध्यान करें. फिर व्रत का संकल्प लें और शंकर भगवान का स्मरण करें. प्रदोष की पूजा शाम के समय की जाती है, यह समय प्रदोष काल का यानी सूर्यास्त का समय का होता है. कहा जाता है कि इस समय भगवान शिव काफी प्रसन्न होते हैं और नृत्य भी करते हैं, इसलिए प्रदोष काल में शिव की आराधना की जाती है.

यह भी पढ़ें- दहेज लोभियों की डिमांड के आगे हारे पिता ने हरियाणा से अलवर आकर अपनी बहन के घर की खुदकुशी

पूजन के समय ऊं नमः शिवाय के जप के साथ भाग-धतूरा के सफेद फूल अर्पित करें. साथ ही पंचामृत मिठाई, ऋतु फल और सूखे मेवे का भोग लगाएं और प्रदोष कथा का वाचन करें. इस कथा का श्रवण करने से जीवन से हर तरह के कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा बरसती है. इसलिए इस व्रत को सालभर के मंगलकारी व्रतों में से एक माना गया है. इस व्रत को करने से भक्तों को हर तरह की सुख-शांति प्राप्त होती है.

जयपुर. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को है. इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो कि भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान शिवशंकर की उपासना करने से विशेश कृपा प्राप्त होती है. ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार 27 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहा है. इसलिए प्रदोष व्रत की पूजा पूरे दिन की जा सकती है.

पूजा करने के लिए शाम 5:25 से रात 8:10 बजे तक शुभा मुहूर्त रहेगा. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में भगवान शिव का ध्यान करें. फिर व्रत का संकल्प लें और शंकर भगवान का स्मरण करें. प्रदोष की पूजा शाम के समय की जाती है, यह समय प्रदोष काल का यानी सूर्यास्त का समय का होता है. कहा जाता है कि इस समय भगवान शिव काफी प्रसन्न होते हैं और नृत्य भी करते हैं, इसलिए प्रदोष काल में शिव की आराधना की जाती है.

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पूजन के समय ऊं नमः शिवाय के जप के साथ भाग-धतूरा के सफेद फूल अर्पित करें. साथ ही पंचामृत मिठाई, ऋतु फल और सूखे मेवे का भोग लगाएं और प्रदोष कथा का वाचन करें. इस कथा का श्रवण करने से जीवन से हर तरह के कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा बरसती है. इसलिए इस व्रत को सालभर के मंगलकारी व्रतों में से एक माना गया है. इस व्रत को करने से भक्तों को हर तरह की सुख-शांति प्राप्त होती है.

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