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Good News : राजस्थान में बिजली और कोयले का संकट टला...

राजस्थान में बिजली का संकट फिलहाल (Relief from Power Cut in Rajasthan) टलता नजर आ रहा है, क्योंकि प्रदेश में कोयले का स्टॉक कम है, लेकिन सप्लाई बढ़ रही है. क्या है पूरा मामला और कैसे होगी पूरी व्यवस्था, यहां जानिए...

Relief from Power Cut in Rajasthan
Relief from Power Cut in Rajasthan
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Published : Oct 6, 2022, 4:41 PM IST

जयपुर. छत्तीसगढ़ सरगुजा कोयला विवाद भले ही अब तक न सुलझा हो, लेकिन राजस्थान में बिजली का संकट फिलहाल टलता नजर आ रहा है. ओडिशा के महानदी माइंस इलाके से प्रदेश को प्रतिदिन (Coal Supply in Rajasthan) कोयला मिलने का वैकल्पिक समाधान तो निकल ही गया. वहीं, छह कंपनियों से मार्च तक बिजली की खरीद को लेकर भी करार किया जा चुका है. मतलब साफ है कि अब बिजली की किल्लत से उपभोक्ताओं के पसीने नहीं छूटेंगे.

दरअसल, बिजली कंपनियों के लिए बिजली की खरीद राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से की जाती है और इससे जुड़े अधिकारियों की मानें तो हाल ही में 6 बिजली कंपनियों से करार किया गया है जिसके जरिए 540 मेगावाट बिजली प्रति घंटा राजस्थान को मिल सकेगी. जिन कंपनियों से करार किया गया है वो सब अक्षय ऊर्जा से जुड़ी सोलर एनर्जी उत्पादक कंपनियां हैं. मतलब बिजली की खरीद 20 हफ्ते में होगी. हालांकि, बिजली खरीद के लिए ऊर्जा विकास निगम को एसईबीआई में ट्रेडिंग चार्ज के नाम पर कुछ शुल्क भी जमा कराना होगा.

15 नवंबर से बढ़ेगी बिजली की डिमांड : प्रदेश में फिलहाल (Power Crisis in Rajasthan) बिजली की मांग पर डिमांड में कमी है उसका बड़ा कारण मौसम में आया परिवर्तन और फसलों की कटाई का समय होना है, लेकिन 15 नवंबर से बिजली की मांग बढ़ेगी. वह इसलिए क्योंकि फसलों की बुवाई और खेती का काम तक परवान पर होगा और राजस्थान में सर्वाधिक बिजली की खपत एग्रीकल्चर क्षेत्र में ही होती है. वर्तमान में करीब 12500 मेगावाट तक बिजली की डिमांड है, जबकि मौसम में परिवर्तन और एग्रीकल्चर लोड आने पर यह डिमांड 18 हजार मेगावाट तक पहुंच जाती है.

पढ़ें : Relief from Power Cut in Rajasthan: संभाग मुख्यालय को बिजली कटौती से राहत, बिजली की मांग और उपलब्धता अंतर में आई कमी...

कोयले का स्टॉक कम, लेकिन बढ़ रही है सप्लाई : प्रदेश में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़ी इकाइयों में से आठ इकाइयों में बिजली का उत्पादन बंद है. वहीं, अन्य इकाइयों में नियम अनुसार कोयले का स्टॉक भी नहीं है. बताया जा रहा है कि अधिकतर उत्पादन इकाई में 5 से 7 दिन का ही कोयला शेष है. हालांकि, उड़ीसा से कोयले की 3 रैक सप्लाई शुरू होने के बाद अब राजस्थान को प्रतिदिन 17 रेलवे रैक कोयला ही मिल रहा है. हालांकि, उत्पादन निगम की यदि सभी मौजूद इकाई संचालित हो तो प्रतिदिन से 30 से 40 कोयले की रैक चाहिए.

जयपुर. छत्तीसगढ़ सरगुजा कोयला विवाद भले ही अब तक न सुलझा हो, लेकिन राजस्थान में बिजली का संकट फिलहाल टलता नजर आ रहा है. ओडिशा के महानदी माइंस इलाके से प्रदेश को प्रतिदिन (Coal Supply in Rajasthan) कोयला मिलने का वैकल्पिक समाधान तो निकल ही गया. वहीं, छह कंपनियों से मार्च तक बिजली की खरीद को लेकर भी करार किया जा चुका है. मतलब साफ है कि अब बिजली की किल्लत से उपभोक्ताओं के पसीने नहीं छूटेंगे.

दरअसल, बिजली कंपनियों के लिए बिजली की खरीद राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से की जाती है और इससे जुड़े अधिकारियों की मानें तो हाल ही में 6 बिजली कंपनियों से करार किया गया है जिसके जरिए 540 मेगावाट बिजली प्रति घंटा राजस्थान को मिल सकेगी. जिन कंपनियों से करार किया गया है वो सब अक्षय ऊर्जा से जुड़ी सोलर एनर्जी उत्पादक कंपनियां हैं. मतलब बिजली की खरीद 20 हफ्ते में होगी. हालांकि, बिजली खरीद के लिए ऊर्जा विकास निगम को एसईबीआई में ट्रेडिंग चार्ज के नाम पर कुछ शुल्क भी जमा कराना होगा.

15 नवंबर से बढ़ेगी बिजली की डिमांड : प्रदेश में फिलहाल (Power Crisis in Rajasthan) बिजली की मांग पर डिमांड में कमी है उसका बड़ा कारण मौसम में आया परिवर्तन और फसलों की कटाई का समय होना है, लेकिन 15 नवंबर से बिजली की मांग बढ़ेगी. वह इसलिए क्योंकि फसलों की बुवाई और खेती का काम तक परवान पर होगा और राजस्थान में सर्वाधिक बिजली की खपत एग्रीकल्चर क्षेत्र में ही होती है. वर्तमान में करीब 12500 मेगावाट तक बिजली की डिमांड है, जबकि मौसम में परिवर्तन और एग्रीकल्चर लोड आने पर यह डिमांड 18 हजार मेगावाट तक पहुंच जाती है.

पढ़ें : Relief from Power Cut in Rajasthan: संभाग मुख्यालय को बिजली कटौती से राहत, बिजली की मांग और उपलब्धता अंतर में आई कमी...

कोयले का स्टॉक कम, लेकिन बढ़ रही है सप्लाई : प्रदेश में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़ी इकाइयों में से आठ इकाइयों में बिजली का उत्पादन बंद है. वहीं, अन्य इकाइयों में नियम अनुसार कोयले का स्टॉक भी नहीं है. बताया जा रहा है कि अधिकतर उत्पादन इकाई में 5 से 7 दिन का ही कोयला शेष है. हालांकि, उड़ीसा से कोयले की 3 रैक सप्लाई शुरू होने के बाद अब राजस्थान को प्रतिदिन 17 रेलवे रैक कोयला ही मिल रहा है. हालांकि, उत्पादन निगम की यदि सभी मौजूद इकाई संचालित हो तो प्रतिदिन से 30 से 40 कोयले की रैक चाहिए.

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