जयपुर. राजस्थान आवासन मंडल की स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान भाजपा विधायक अशोक लाहोटी द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ के मामले में सियासत गरमा गई है. इस पूरे मामले को लेकर जब कांग्रेस विधायकों ने भाजपा के चुटकी ली, तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने हाथों हाथ लाहोटी को तलब कर इस मामले में स्पष्टीकरण मांग लिया. जिसमें लाहोटी ने साफ किया है कि उन्होंने हाउसिंग बोर्ड के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की तारीफ नहीं की बल्कि उन पर व्यंग्यात्मक कटाक्ष किया था. लेकिन मीडिया ने उसे दूसरे अंदाज में ले लिया.
दरअसल यह मामला जब सुर्खियों में आया तो विधानसभा में ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने लाहोटी से इसकी जानकारी मांगी. इस पर लाहोटी ने कहा कि उन्होंने व्यंग्यात्मक तरीके से अपनी बात रखी थी. लाहोटी ने कहा कि वे जो बात विधानसभा में कहते हैं वहीं सार्वजनिक रूप से भी कहते हैं. हालांकि पूनिया और कटारिया ने लाहोटी को यह साफ तौर पर कहा कि वे जो भी बात कहते हैं स्पष्ट रूप से कहे, ताकि असमंजस की स्थिति ना बने. पूनिया के अनुसार ऐसा नही हो सकता कि भाजपा सदन के भीतर कुछ और कहे और सदन के बाहर उसके विधायक कुछ और कहे.
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वहीं अशोक लाहोटी ने कहा कि उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री जीरो टॉरलेंस की बात करते हैं. लेकिन प्रदेश में इस दिशा में काम नहीं दिखता. विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान लाहोटी ने कहा कि वह आज भी अपनी बात पर कायम है. क्योंकि प्रदेश में जिस तरह की घटनाएं लगातार घटित हो रही है उसके बाद यह साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री के जीरो टॉरलेंस का दावा कागजी है.
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गौरतलब है कि हाल ही में हुए राजस्थान आवासन मंडल के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा विधायक अशोक लाहोटी और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने एक साथ एक मंच साझा किया था. इस दौरान अपने संबोधन में लाहोटी ने मंच से हुए उनके संबोधन में व्यंग्यात्मक तरीके से मुख्यमंत्री की तारीफ भी की और कुछ कटाक्ष भी किये. इस बीच यह चर्चा चल उठी कि लाहोटी ने मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ की. जिसके बाद कांग्रेस विधायकों ने इसे बनाते हुए बयान भी जारी किए. यही कारण रहा कि लाहोटी को इस मामले में मीडिया के सामने आकर अपनी बात स्पष्ट करना पड़ी.