जयपुर. राजस्थान के कोटा में हुए नवजात बच्चों की मौत का मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ रहा है लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुस्सा इस बात का है इस मामले में राजस्थान के कुछ स्थानीय नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए षड्यंत्र किया.
उन्होंने कहा कि राजस्थान में बीती भाजपा सरकार के समय से ही बच्चों की मृत्यु दर में कमी शुरू हो गई थी जो पहले 1400 थी अब घटकर 900 बच्चों तक आ गई है. इस पर किसी ने बात नहीं की. जानबूझकर ऐसा माहौल बनाया कि बच्चे मर रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि बच्चे नहीं मर रहे. बच्चे कब मर रहे हैं.
उन्होंने कहा कुछ स्थानीय नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए ऐसा किया क्योंकि हम लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ बोलते हैं. इसलिए उन्होंने जोधपुर, कोटा, जयपुर में इस तरह के लोग लगा रखे हैं जिन्होंने इस बात का मुद्दा बनाया. इस मामले में मीडिया ट्रायल चली और देश में प्रदेश की बदनामी हुई जो अच्छे संकेत नहीं है.
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उन्होंने कहा कि अगर सरकार से कोई गलती होती और मीडिया बात उठाता तोउस पर सरकार कार्रवाई भी करती. उन्होंने बच्चों के मरने पर उनके घर जाने वाले नेताओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब कोई शिशु मरता है तो उसकी मां को सबसे ज्यादा दुख होता है. फिर पिता और परिवार को. ऐसे माहौल में बैठने जाने का कोई दुख नहीं होता. उन्होंने कहा कि हमने आज तक नहीं सुना कि नवजात शिशु या 8-9 माह के बच्चे की मौत पर कोई बैठने जाता हो. यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण राजनीति थी.
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गौरतलब है कि कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीते माह हुई शिशुओं की मौत पर देशभर में जमकर राजनीति हुई. विपक्ष ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार को हर मोर्चे पर घेरने का प्रयास किया. कई दिनों तक भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने अस्पताल का दौरा किया. वहीं, प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी दौरा किया और मरने वाले शिशुओं के परिवारजनों से मुलाकात की थी और अपनी ही सरकार को जिम्मेदारी लेने पर घेरा था.