जयपुर. कोरोना से स्वस्थ होकर अपने काम पर लौटे जलदाय विभाग के एडिशनल चीफ इंजीनियर अमिताभ शर्मा को अपने ही विभाग में जॉइन नहीं करने देने के मामले में अब सियासी उबाल आ गया है. उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इसे अपने आप में देश का यह पहला मामला बताया है. उन्होंने कहा कि जलदाय विभाग के अधिकारी के साथ इतना अमानवीय व्यवहार किया गया जो संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है.
राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में ट्वीट कर वैश्विक महामारी कोरोना से जंग जीतकर काम पर लौटे अधिकारी का बहिष्कार करते हुए कार्यभार नहीं संभालने देने और पद से हटाने के इस मामले की निंदा की है. राठौड़ ने कहा कि किसी व्यक्ति के लिए इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता कि कोरोना को हराकर पूर्णतः स्वस्थ होकर कार्यस्थल पर लौटने के बाद भी उसे काम करने का मौका ही नहीं दिया गया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्पष्ट करें कि क्या कोरोना से ठीक होकर वापस कार्यभार संभालना अयोग्यता का पैमाना है.
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राठौड़ ने कहा कि राज्य में कितने मंत्री, अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिन्हें कोरोना से ठीक होने के बाद अपने पद से हटाया गया हो और उनके साथ ऐसा भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया गया हो. हमें बीमारी से लड़ना है न की बीमार से. सरकार कोरोना से ठीक हुए व्यक्ति का तिरस्कार नहीं, उसकी हौसला अफजाई करे.
दरअसल, जलदाय महकमे में एडिशनल चीफ इंजीनियर अमिताभ शर्मा कोरोना से जंग जीतकर हाल ही में जब दफ्तर पहुंचे थे तो उन्हें विभाग ने ज्वाइन कराने से इंकार कर दिया, जबकि कोरोना के दौरान शर्मा की हेल्थ की स्थिति बेहद खराब थी, लेकिन अब वो पूरी तरह से ठीक है. बावजूद, इसके उनका चार्ज एसीई मनीष बेनीवाल को दे दिया गया.