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तैयारी संसद और विधानसभा पहुंचने की...लेकिन बदलने लगा छात्रसंघ चुनावों का इतिहास

राजस्थान में ऐसे कई दिग्गज नेता है, जिन्होंने छात्र राजनीति से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. लेकिन पिछले 10 सालों में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे नेताओं के इतिहास पर एक नजर देखें तो वो उस तरह से नहीं उभर पा रहे हैं. देखिए स्पेशल रिपोर्ट

Political career of student union president, छात्र राजनीति से राजनीतिक सफर
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Published : Aug 25, 2019, 7:25 PM IST

जयपुर. बदलते युग का असर छात्र राजनीति पर भी दिख रहा है. पहले चार या पांच साल की सियासत थी. लेकिन आज सिर्फ सालभर का सफर रह गया है. छात्र राजनीति से निकले पुराने नेताओं की जड़े आज भी गहरी है तो नए चेहरों का नूर कुछ समय में ही लुप्त होता नजर आ रहा है. सियासी दलों में आज भी छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके पुराने दिग्गजों का बोलबाला है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों में मंत्री जैसे अहम मुद्दों पर है. लिंग दोह कमेटी की सिफारिशों ने छात्र राजनीति को नवाचारों में तोड़ दिया. चुनाव सुधार तो हुए मगर छात्र नेताओं की चमक धुंधली हो गई. यहीं वजह है कि पिछले 10 वर्षों के छात्र नेताओं के कैरियर को देखें तो वो कुछ ऐसा रहा.

बदलने लगा छात्रसंघ चुनावों का इतिहास

पिछले 10 सालों के इतिहास पर एक नजर

  • राजपाल शर्मा- 2004-05 में अध्यक्ष बने, कांग्रेस पार्टी में सक्रिय, टिकट की दौड़ में भी आगे लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया.
  • पांच साल बैन के बाद 2010-11 में मनीष यादव एबीवीपी से जीते, शाहपुरा से कांग्रेस से टिकट मिला लेकिन जीत नहीं पाए.
  • प्रभा चौधरी 2011-12 में निर्दलीय चुनाव जीती, गृहणी के रूप में आगे बढ़ रही है.
  • राजेश मीना 2012-13 में चुनाव जीते, युवा मोर्चा भाजपा टीम में प्रदेश मंत्री, जमवारामगढ़ विधानसभा से चुनावी तैयारी.
  • कानाराम जाट प्रदेश मंत्री युवा मोर्चा भाजपा टीम में, मालपुरा विधानसभा से चुनावी तैयारी.
  • अनिल चोपड़ा कांग्रेस सचिव, जयपुर ग्रामीण से लोकसभा टिकट की दावेदारी कि, नहीं मिला अब फिर से लोकसभा के रण में तैयारी कर रहे हैं.
  • सतवीर चौधरी एनएसयूआई सचिव, मालपुरा विधानसभा से चुनावी तैयारी.
  • अंकित धायल एबीवीपी से बागी हुए 2016- 17 में अध्यक्ष, झुंझुनूं से विधानसभा की तैयारी.
  • पवन यादव एबीवीपी से बागी हुए 2016-17 में जीते, अलवर जिले के मुंडावर से विधानसभा चुनाव की तैयारी.
  • विनोद जाखड़ एनएसयूआई से बागी होकर 2018 में जीते, बगरु विधानसभा से चुनावी तैयारी.

पढ़ें- छात्रसंघ चुनाव 2019: नामांकन रद्द होने पर SRK कॉलेज में विवाद, एबीवीपी का प्रदर्शन

NSUI के ये छात्रसंघ अध्यक्ष है कांग्रेस के बड़े नेता

  • राजस्थान की मौजूदा सरकार कांग्रेस पार्टी की बात करें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर से छात्र राजनीति से निकले है. एनएसयूआई की राजनीति से निकलकर अशोक गहलोत ने प्रदेश और देश की राजनीति में चमक पैदा की.
  • राजस्थान यूनिवर्सिटी से छात्रसंघ अध्यक्ष रहे रघु शर्मा आज चिकित्सा मंत्री है. महेश जोशी मुख्य सचेतक है, प्रतापसिंह खाचरियावास परिवहन मंत्री है.
  • इस बार कांग्रेस से सांगानेर से टिकट पर चुनाव लड़े पुष्पेंद्र भारद्वाज और शाहपुर से चुनाव लड़े मनीष यादव भी आरयू से निकले है.
  • छात्रसंघ अध्यक्ष महेश चौधरी कांग्रेस विधायक रह चुके है. सोमेंद्र शर्मा कांग्रेस से सक्रिय है.
  • राजपाल शर्मा, नगेंद्र सिंह शेखावत, सतबीर चौधरी, अनिल चोपड़ा जैसे कई नेता कांग्रेस में सक्रिय है. लेकिन आज ये सभी नेता सदन तक पहुंचने में संघर्ष कर रहे है.

पढ़ें- उच्च शिक्षा मंत्री भाटी के ट्वीट पर मचा सियासी बवाल, भाजपा ने मांगा इस्तीफा

ABVP से ये छात्रसंघ अध्यक्ष है बीजेपी में सक्रिय

  • भाजपा और अन्य नेताओं की बात करें तो अपने दम पर छात्र संघ की सियासत से निकले प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में चमक पैदा करने वाले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत संसद पहुंचे.
  • हनुमान बेनीवाल भी सियासत में जड़े जमा चुके है. राजेंद्र राठौड़ भी छात्रसंघ अध्यक्ष का सफर तय करके विधानसभा तक पहुंचे. राजस्थान की छात्र राजनीति ने सुनहरा अध्याय लिखा है.
  • छात्र राजनीति के पुराने दौर के नेता आज भी यहां की सियासत में धूमकेतु की तरह चमक रहे है. उनमें कालीचरण सराफ, राजपाल सिंह का भी नाम शुमार है. बीजेपी विधायक सतीश पूनिया आरयू छात्र संघ महासचिव रह चुके है.
  • एसटी आयोग उपाध्यक्ष जितेंद्र मीणा भी आरयू छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके है. बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार अखिल शुक्ला, प्रवेंद्र शर्मा, श्याम शर्मा, जितेंद्र श्रीमाली छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके है.
  • छात्र राजनीति में ही निकले कैलाश वर्मा, जितेंद्र गोठवाल संसदीय सचिव रह चुके है, लेकिन एक दौर के बाद आरयू छात्रसंघ अध्यक्ष राजेश मीणा, कानाराम जाट, पवन यादव, अंकित धायल, महासचिव रहे तेज सिंह, अमित शर्मा, बीजेपी में सक्रिय है.

लेकिन आज के छात्र नेताओं का मानना है कि लिंग दोह के चलते अब छात्र राजनीति चमक नहीं पा रही है तो वहीं अब वह छात्र नेता भी नहीं रहे.

जयपुर. बदलते युग का असर छात्र राजनीति पर भी दिख रहा है. पहले चार या पांच साल की सियासत थी. लेकिन आज सिर्फ सालभर का सफर रह गया है. छात्र राजनीति से निकले पुराने नेताओं की जड़े आज भी गहरी है तो नए चेहरों का नूर कुछ समय में ही लुप्त होता नजर आ रहा है. सियासी दलों में आज भी छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके पुराने दिग्गजों का बोलबाला है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों में मंत्री जैसे अहम मुद्दों पर है. लिंग दोह कमेटी की सिफारिशों ने छात्र राजनीति को नवाचारों में तोड़ दिया. चुनाव सुधार तो हुए मगर छात्र नेताओं की चमक धुंधली हो गई. यहीं वजह है कि पिछले 10 वर्षों के छात्र नेताओं के कैरियर को देखें तो वो कुछ ऐसा रहा.

बदलने लगा छात्रसंघ चुनावों का इतिहास

पिछले 10 सालों के इतिहास पर एक नजर

  • राजपाल शर्मा- 2004-05 में अध्यक्ष बने, कांग्रेस पार्टी में सक्रिय, टिकट की दौड़ में भी आगे लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया.
  • पांच साल बैन के बाद 2010-11 में मनीष यादव एबीवीपी से जीते, शाहपुरा से कांग्रेस से टिकट मिला लेकिन जीत नहीं पाए.
  • प्रभा चौधरी 2011-12 में निर्दलीय चुनाव जीती, गृहणी के रूप में आगे बढ़ रही है.
  • राजेश मीना 2012-13 में चुनाव जीते, युवा मोर्चा भाजपा टीम में प्रदेश मंत्री, जमवारामगढ़ विधानसभा से चुनावी तैयारी.
  • कानाराम जाट प्रदेश मंत्री युवा मोर्चा भाजपा टीम में, मालपुरा विधानसभा से चुनावी तैयारी.
  • अनिल चोपड़ा कांग्रेस सचिव, जयपुर ग्रामीण से लोकसभा टिकट की दावेदारी कि, नहीं मिला अब फिर से लोकसभा के रण में तैयारी कर रहे हैं.
  • सतवीर चौधरी एनएसयूआई सचिव, मालपुरा विधानसभा से चुनावी तैयारी.
  • अंकित धायल एबीवीपी से बागी हुए 2016- 17 में अध्यक्ष, झुंझुनूं से विधानसभा की तैयारी.
  • पवन यादव एबीवीपी से बागी हुए 2016-17 में जीते, अलवर जिले के मुंडावर से विधानसभा चुनाव की तैयारी.
  • विनोद जाखड़ एनएसयूआई से बागी होकर 2018 में जीते, बगरु विधानसभा से चुनावी तैयारी.

पढ़ें- छात्रसंघ चुनाव 2019: नामांकन रद्द होने पर SRK कॉलेज में विवाद, एबीवीपी का प्रदर्शन

NSUI के ये छात्रसंघ अध्यक्ष है कांग्रेस के बड़े नेता

  • राजस्थान की मौजूदा सरकार कांग्रेस पार्टी की बात करें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर से छात्र राजनीति से निकले है. एनएसयूआई की राजनीति से निकलकर अशोक गहलोत ने प्रदेश और देश की राजनीति में चमक पैदा की.
  • राजस्थान यूनिवर्सिटी से छात्रसंघ अध्यक्ष रहे रघु शर्मा आज चिकित्सा मंत्री है. महेश जोशी मुख्य सचेतक है, प्रतापसिंह खाचरियावास परिवहन मंत्री है.
  • इस बार कांग्रेस से सांगानेर से टिकट पर चुनाव लड़े पुष्पेंद्र भारद्वाज और शाहपुर से चुनाव लड़े मनीष यादव भी आरयू से निकले है.
  • छात्रसंघ अध्यक्ष महेश चौधरी कांग्रेस विधायक रह चुके है. सोमेंद्र शर्मा कांग्रेस से सक्रिय है.
  • राजपाल शर्मा, नगेंद्र सिंह शेखावत, सतबीर चौधरी, अनिल चोपड़ा जैसे कई नेता कांग्रेस में सक्रिय है. लेकिन आज ये सभी नेता सदन तक पहुंचने में संघर्ष कर रहे है.

पढ़ें- उच्च शिक्षा मंत्री भाटी के ट्वीट पर मचा सियासी बवाल, भाजपा ने मांगा इस्तीफा

ABVP से ये छात्रसंघ अध्यक्ष है बीजेपी में सक्रिय

  • भाजपा और अन्य नेताओं की बात करें तो अपने दम पर छात्र संघ की सियासत से निकले प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में चमक पैदा करने वाले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत संसद पहुंचे.
  • हनुमान बेनीवाल भी सियासत में जड़े जमा चुके है. राजेंद्र राठौड़ भी छात्रसंघ अध्यक्ष का सफर तय करके विधानसभा तक पहुंचे. राजस्थान की छात्र राजनीति ने सुनहरा अध्याय लिखा है.
  • छात्र राजनीति के पुराने दौर के नेता आज भी यहां की सियासत में धूमकेतु की तरह चमक रहे है. उनमें कालीचरण सराफ, राजपाल सिंह का भी नाम शुमार है. बीजेपी विधायक सतीश पूनिया आरयू छात्र संघ महासचिव रह चुके है.
  • एसटी आयोग उपाध्यक्ष जितेंद्र मीणा भी आरयू छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके है. बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार अखिल शुक्ला, प्रवेंद्र शर्मा, श्याम शर्मा, जितेंद्र श्रीमाली छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके है.
  • छात्र राजनीति में ही निकले कैलाश वर्मा, जितेंद्र गोठवाल संसदीय सचिव रह चुके है, लेकिन एक दौर के बाद आरयू छात्रसंघ अध्यक्ष राजेश मीणा, कानाराम जाट, पवन यादव, अंकित धायल, महासचिव रहे तेज सिंह, अमित शर्मा, बीजेपी में सक्रिय है.

लेकिन आज के छात्र नेताओं का मानना है कि लिंग दोह के चलते अब छात्र राजनीति चमक नहीं पा रही है तो वहीं अब वह छात्र नेता भी नहीं रहे.

Intro:जयपुर- बदलते युग का असर छात्र राजनीति पर भी दिख रहा है। पहले चार या पांच साल की सियासत थी लेकिन आज सिर्फ सालभर का सफर रह गया है। छात्र राजनीति से निकले पुराने नेताओं की जड़े आज भी गहरी है तो नए चेहरों का नूर कुछ समय में ही लुप्त होता नजर आ रहा है। सियासी दलों में आज भी छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके पुराने दिग्गजों का बोलबाला है, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों में मंत्री जैसे अहम मुद्दों पर है। लिंग दोह कमेटी की सिफारिशों ने छात्र राजनीति को नवाचारों में तोड़ दिया। चुनाव सुधार तो हुए मगर छात्र नेताओं की चमक धुंधली हो गई। यही वजह है कि पिछले 10 वर्षों के छात्र नेताओं के कैरियर को देखें तो वह


Body:NSUI के ये छात्रसंघ अध्यक्ष है कांग्रेस के बड़े नेता
राजस्थान की मौजूदा सरकार कांग्रेस पार्टी की बात करे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर से छात्र राजनीति से निकले है। एनएसयूआई की राजनीति से निकलकर अशोक गहलोत ने प्रदेश और देश की राजनीति में चमक पैदा की। राजस्थान यूनिवर्सिटी से छात्रसंघ अध्यक्ष रहे रघु शर्मा आज चिकित्सा मंत्री है, महेश जोशी मुख्य सचेतक है, प्रतापसिंह खाचरियावास परिवहन मंत्री है। उधर इस बार कांग्रेस से सांगानेर से टिकट पर चुनाव लड़े पुष्पेंद्र भारद्वाज और शाहपुर से चुनाव लड़े मनीष यादव भी आर यू से निकले है। छात्रसंघ अध्यक्ष महेश चौधरी कांग्रेस विधायक रह चुके है। सोमेंद्र शर्मा कांग्रेस से सक्रिय है। राजपाल शर्मा, नगेंद्र सिंह शेखावत, सतबीर चौधरी, अनिल चोपड़ा जैसे कई नेता कांग्रेस में सक्रिय है। लेकिन आज ये सभी नेता सदन तक पहुंचने में संघर्ष कर रहे है।

ABVP से ये छात्रसंघ अध्यक्ष है बीजेपी में सक्रिय
भाजपा और अन्य नेताओं की बात करें तो अपने दम पर छात्र संघ की सियासत से निकले प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में चमक पैदा करने वाले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत संसद पहुंचे। हनुमान बेनीवाल भी सियासत में जड़े जमा चुके है। राजेंद्र राठौर भी छात्रसंघ अध्यक्ष का सफर तय करके विधानसभा तक पहुंचे। राजस्थान की छात्र राजनीति ने सुनहरा अध्याय लिखा है। छात्र राजनीति के पुराने दौर के नेता आज भी यहां की सियासत में धूमकेतु की तरह चमक रहे है। उनमें कालीचरण सराफ, राजपाल सिंह का भी नाम शुमार है। बीजेपी विधायक सतीश पूनिया आर यू छात्र संघ महासचिव रह चुके है। एसटी आयोग उपाध्यक्ष जितेंद्र मीणा भी आरयू छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके है। बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार अखिल शुक्ला, प्रंवेंद्र शर्मा, श्याम शर्मा, जितेंद्र श्रीमाली छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके है। छात्र राजनीति में ही निकले कैलाश वर्मा, जितेंद्र गोठवाल संसदीय सचिव रह चुके है लेकिन एक दौर के बाद आरयू छात्रसंघ अध्यक्ष राजेश मीणा, कानाराम जाट, पवन यादव, अंकित धायल, महासचिव रहे तेज सिंह, अमित शर्मा, बीजेपी में सक्रिय है। लेकिन आज के छात्र नेताओं का मानना है कि लिंग दोह के चलते अब छात्र राजनीति चमक नहीं पा रही है तो वहीं अब वह छात्र नेता भी नहीं रहे।


Conclusion:पिछले 10 सालों के इतिहास पर एक नजर
1. राजपाल शर्मा- 2004-05 में अध्यक्ष बने, कांग्रेस पार्टी में सक्रिय, टिकट की दौड़ में भी आगे लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया।
2. पांच साल बैन के बाद 2010-11 में मनीष यादव एबीवीपी से जीते, शाहपुरा से कांग्रेस से टिकट मिला लेकिन जीत नहीं पाए।
3. प्रभा चौधरी 2011-12 में निर्दलीय चुनाव जीती, गृहणी के रूप में आगे बढ़ रही है।
4. राजेश मीना 2012-13 में चुनाव जीते, युवा मोर्चा भाजपा टीम में प्रदेश मंत्री, जमवारामगढ़ विधानसभा से चुनावी तैयारी
5. कानाराम जाट प्रदेश मंत्री युवा मोर्चा भाजपा टीम में, मालपुरा विधानसभा से चुनावी तैयारी
6. अनिल चोपड़ा कांग्रेस सचिव, जयपुर ग्रामीण से लोकसभा टिकट की दावेदारी कि, नहीं मिला अब फिर से लोकसभा के रण में कर रहे हैं तैयारी
7. सतवीर चौधरी एनएसयूआई सचिव, मालपुरा विधानसभा से चुनावी तैयारी
8. अंकित धायल एबीवीपी से बागी हुए 2016- 17 में अध्यक्ष, झुंझुनू से विधानसभा की तैयारी
9. पवन यादव एबीवीपी से बागी हुए 2016-17 में जीते, अलवर जिले के मूंडावर से विधानसभा चुनाव की तैयारी
10. विनोद जाखड़ एनएसयूआई से बागी होकर 2018 में जीते, बगरुबविधानसभा से चुनावी तैयारी।

बाईट- अनिल चौपड़ा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष
बाईट- सतवीर चौधरी, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष
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