जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार ने आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत भले ही प्रदेश के खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का तोहफा दिया हो, लेकिन प्रदेश के खिलाड़ियों और कोच को खेल से जुड़े प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए बीते 3 साल से इंतजार करना पड़ रहा है. पिछले 3 साल से खिलाड़ियों को जहां महाराणा प्रताप अवार्ड के लिए इंतजार करना पड़ रहा है तो वहीं प्रशिक्षकों को गुरु वशिष्ठ अवार्ड का इंतजार है.
दरअसल, पिछले कुछ समय से खेल विभाग की ओर से समय-समय पर एक सूचना जारी कर महाराणा प्रताप और गुरु वशिष्ठ अवार्ड के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं. हर बार आवेदन तो मांगे जाते हैं, लेकिन खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को अवार्ड नहीं दिए जा रहे. साल 2018-19 की बात की जाए तो 27 प्रशिक्षकों यानी कोच ने गुरु वशिष्ठ अवार्ड के लिए आवेदन किया था. वहीं, 66 खिलाड़ियों ने प्रताप अवार्ड की दावेदारी पेश की थी.
वहीं, साल 2019-20 की बात की जाए तो गुरु वशिष्ठ अवार्ड के लिए 39 और प्रताप अवार्ड के लिए 113 कुल आवेदन आए. इसके अलावा साल 2020-21 की बात की जाए तो गुरु वशिष्ट अवार्ड के लिए सिर्फ 13 और प्रताप अवार्ड के लिए सिर्फ 24 आवेदन ही आए. खेल विभाग की बेरुखी के चलते हर साल आवेदन घटते रहे और अभी भी कोच और खिलाड़ियों को इन प्रतिष्ठित अवार्ड का इंतजार करना पड़ रहा है. मामले को लेकर प्रदेश के खेल मंत्री अशोक चांदना का कहना है कि बीते कुछ समय से प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के चलते काफी कुछ प्रभावित हुआ है. ऐसे में मंत्री ने कहा है कि इस साल खिलाड़ियों और कोच को अवार्ड दिए जाएंगे और इसे लेकर एक शानदार कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा.
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पिछली सरकार ने 7 साल बाद दिए अवार्ड
बता दें, पिछली बार जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, तब भी खिलाड़ियों और कोच को इन अवार्ड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा था और तकरीबन 7 साल बाद खिलाड़ियों और कोच को यह अवार्ड दिए गए. बीते कुछ साल पहले की बात की जाए तो महाराणा प्रताप जयंती पर राजभवन में एक कार्यक्रम आयोजित कर यह अवार्ड दिए जाते थे, लेकिन बाद में खेल विभाग में ही इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाने लगा. पिछली बार सवाई मानसिंह स्टेडियम में एक कार्यक्रम आयोजित कर खिलाड़ियों को यह अवार्ड दिए गए थे.