श्रीनगर, कश्मीर: जम्मू-कश्मीर में इस साल 40 दिनों की कठोर सर्दियों की अवधि, जिसे चिल्लई कलां कहा जाता है, का मौसम अपेक्षाकृत शुष्क रहा है. इससे क्षेत्र में पानी की उपलब्धता और बर्फबारी की कमी के कारण चिंताएं बढ़ गई हैं. पिछले कुछ हफ्तों से घाटी के अधिकांश हिस्सों में बारिश नहीं हुई है, जो किसानों और बागवानों के लिए चिंताजनक स्थिति बन गई है.
हालांकि, हाल ही में बुधवार शाम को कश्मीर घाटी के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हुई. इसके बावजूद, मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश समय बारिश की कमी बनी रही. दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड में न्यूनतम तापमान -0.1 डिग्री सेल्सियस जबकि शोपियां में -0.4 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया. इससे यह स्पष्ट है कि रात के समय सर्दी की तीव्रता बनी हुई है, जबकि दिन के समय ठंडा मौसम धूप और शुष्क स्थितियों के कारण तापमान में कुछ वृद्धि का अनुभव कर रहा है.
मौसम की भविष्यवाणी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, आने वाले दिनों में कश्मीर के कुछ उत्तरी जिलों में हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना है. 31 जनवरी से 2 फरवरी के बीच एक और पश्चिमी विक्षोभ का पूर्वानुमान है, जो 3 से 5 फरवरी के बीच जम्मू-कश्मीर में एक सक्रिय मौसम प्रणाली ला सकता है. यह अवसर स्थानीय लोगों के लिए राहत की उम्मीद जगाता है, क्योंकि चिल्लई कलां के दौरान होने वाली बर्फबारी जल निकायों को भरने और गर्मियों में सिंचाई की सुनिश्चितता के लिए महत्वपूर्ण होती है.
जलवायु परिवर्तन और स्थानीय कृषि
हालांकि कुछ स्थानों पर ताजा बर्फबारी देखी गई है, जैसे कि मध्य कश्मीर के पर्यटन स्थल सोनमर्ग, लेकिन लंबे समय से जारी सूखे ने स्थानीय किसानों और बागवानों के बीच चिंता बढ़ा दी है. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण, हर साल बर्फबारी की मात्रा में कमी आ रही है, जो कृषि और बागवानी के लिए नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. बर्फबारी न केवल जल की उपलब्धता बढ़ाती है, बल्कि यह मिट्टी की गुणवत्ता को भी बनाए रखती है.
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