जयपुर. कोविड-19 महामारी के बीच आईसीएमआर द्वारा प्लाजमा थेरेपी को काफी कारगर बताया गया था. इसके बाद जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से प्लाजमा थेरेपी की शुरुआत भी की गई, लेकिन हाल ही में आईसीएमआर ने प्लाजमा थेरेपी को कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए कारगर नहीं बताया है. इस बीच सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का कहना है कि प्रदेश में प्लाजमा थेरेपी काफी कारगर साबित हुई है.
राज्य सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद आरयूएचएस अस्पताल को कोविड-19 डेडीकेटेड हॉस्पिटल के रूप में तैयार किया था. जहां कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह का कहना है कि भले ही आईसीएमआर ने कोविड-19 संक्रमित मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी को कारगर नहीं बताया हो, लेकिन प्रदेश में प्लाज्मा थेरेपी के रिजल्ट काफी अच्छे रहे हैं. प्रदेश भर में माइल्ड सिम्टम्स से जुड़े मरीजों को प्लाजमा थेरेपी दी गई.
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290 मरीजों को दी गई थेरेपी
आरयूएचएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि प्रदेश भर में करीब 290 कोविड-19 संक्रमित गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई और इसके काफी अच्छे रिजल्ट देखने को मिले. उन्होंने बताया कि करीब 288 मरीज एकदम स्वस्थ हो गए और अभी भी प्रदेश में संक्रमित मरीजों को यह है थेरेपी उपलब्ध कराई जा रही है. हाल ही में कोरोना संक्रमित मरीजों को प्लाजमा थेरेपी देने के लिए काफी विवाद खड़ा था. जहां आईसीएमआर ने इस थेरेपी को कारगर नहीं बताया तो वहीं सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ सुधीर भंडारी ने प्लाजमा थेरेपी से बेहतर रिजल्ट के दावे किए थे.