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PIL in High Court : पॉक्सो कोर्ट में मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए पीआईएल पेश - राजस्थान में पॉक्सो कोर्ट की संख्या

प्रदेश में नाबालिगों से रेप के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इनको देखते हुए पॉक्सो कोर्ट की संख्या कम (POCSO courts in Rajasthan) है. इसी को लेकर एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में पेश की गई है. इसमें पॉक्सो कोर्ट की संख्या बढ़ाने और नाबालिगों में विधिक जानकारी बढ़ाने संबंधी कार्ययोजना की बात कही गई है. इस पर सप्ताह के अंत तक सुनवाई हो सकती है.

PIL for quick hearing in POCSO courts
पॉक्सो कोर्ट में मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए पीआईएल पेश
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Published : Jun 29, 2022, 12:07 AM IST

जयपुर. प्रदेश की पॉक्सो अदालतों में मुकदमों की त्वरित सुनवाई नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई (PIL for quick hearing in POCSO courts) है. कुणाल रावत की ओर से पेश इस जनहित याचिका में मुख्य सचिव, प्रमुख विधि सचिव व हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पक्षकार बनाया है. पीआईएल पर सप्ताह के अंत में सुनवाई हो सकती है.

पीआईएल में कहा गया कि प्रदेश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों सहित नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो राजस्थान प्रदेश में दुष्कर्म के अपराध सर्वाधिक हुए हैं और पिछले दो साल के दौरान ही 11307 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म हुआ (Minor rape cases in Rajasthan) है. इन केसों की सुनवाई के लिए मौजूदा पॉक्सो कोर्ट की संख्या बहुत कम है. प्रदेश में पॉक्सो के पेंडिंग मामलों को देखते हुए 150 से भी ज्यादा पॉक्सो कोर्ट खोलने की जरूरत है.

पढ़ें: SPECIAL : पॉक्सो कोर्ट: 57 अदालतों में लगभग 6800 मामले पेंडिंग...मकसद से भटक रही विशेष अदालतें

वहीं कई पॉक्सो कोर्ट में तो नाबालिगों के अलावा बालिगों के मामलों को भी सुनवाई के लिए भेजा है. इससे नाबालिग पीड़िताओं को न्याय मिलने में भी देरी हो रही है. पॉक्सो कोर्ट में भी आधारभूत सुविधाओं की कमी है और यह पीड़िताओं के अधिकारों का उल्लंघन है. वहीं राज्य सरकार ने कई नई पॉक्सो कोर्ट खोली हैं, लेकिन उनका क्षेत्राधिकार ही तय नहीं हो पाया है. इसके अलावा बच्चों में विधिक शिक्षा का भी अभाव है और उन्हें सही व गलत की जानकारी नहीं है. इसलिए उन्हें अपराधों के संबंध में भी जानकारी दी जाए ताकि वे सतर्क रह सकें.

जयपुर. प्रदेश की पॉक्सो अदालतों में मुकदमों की त्वरित सुनवाई नहीं होने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई (PIL for quick hearing in POCSO courts) है. कुणाल रावत की ओर से पेश इस जनहित याचिका में मुख्य सचिव, प्रमुख विधि सचिव व हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पक्षकार बनाया है. पीआईएल पर सप्ताह के अंत में सुनवाई हो सकती है.

पीआईएल में कहा गया कि प्रदेश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों सहित नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो राजस्थान प्रदेश में दुष्कर्म के अपराध सर्वाधिक हुए हैं और पिछले दो साल के दौरान ही 11307 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म हुआ (Minor rape cases in Rajasthan) है. इन केसों की सुनवाई के लिए मौजूदा पॉक्सो कोर्ट की संख्या बहुत कम है. प्रदेश में पॉक्सो के पेंडिंग मामलों को देखते हुए 150 से भी ज्यादा पॉक्सो कोर्ट खोलने की जरूरत है.

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वहीं कई पॉक्सो कोर्ट में तो नाबालिगों के अलावा बालिगों के मामलों को भी सुनवाई के लिए भेजा है. इससे नाबालिग पीड़िताओं को न्याय मिलने में भी देरी हो रही है. पॉक्सो कोर्ट में भी आधारभूत सुविधाओं की कमी है और यह पीड़िताओं के अधिकारों का उल्लंघन है. वहीं राज्य सरकार ने कई नई पॉक्सो कोर्ट खोली हैं, लेकिन उनका क्षेत्राधिकार ही तय नहीं हो पाया है. इसके अलावा बच्चों में विधिक शिक्षा का भी अभाव है और उन्हें सही व गलत की जानकारी नहीं है. इसलिए उन्हें अपराधों के संबंध में भी जानकारी दी जाए ताकि वे सतर्क रह सकें.

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