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बाल विवाह पंजीकरण के खिलाफ जनहित याचिका पेश

याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2006 के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया है. नए कानून से बाल विवाह को निरस्त करना भी कठिन हो जाएगा. जिससे संबंधित व्यक्ति को जीवन भर इसका दंश झेलना पड़ेगा.

बाल विवाह पंजीकरण के खिलाफ जनहित याचिका
बाल विवाह पंजीकरण के खिलाफ जनहित याचिका
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Published : Oct 1, 2021, 7:33 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार की ओर से विवाह अनिवार्य पंजीकरण संशोधन विधेयक, 2021 के जरिए बाल विवाह का पंजीकरण का प्रावधान करने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई है. सारथी ट्रस्ट की ओर से दायर इन जनहित याचिका पर संभवत: 5 अक्टूबर को खंडपीठ सुनवाई करेगी.

याचिका में कहा गया है कि संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है कि 18 साल से कम उम्र की लडक़ी ओर 21 साल के कम उम्र के लडके के बाल विवाह के बावजूद एक माह में विवाह का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. इस संशोधन के जरिए बाल विवाह की कुप्रथा को पंजीकृत मान्यता देने की कवायद की जा रही है, जबकि बाल विवाह संज्ञेय अपराध है.

पढ़ें- Exclusive : राजस्थान सरकार के मैरिज एक्ट में संशोधन को HC में चुनौती, सारथी ट्रस्ट ने उठाई आवाज

याचिका में कहा गया है कि बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन कर मान्यता देने के दूरगामी परिणाम होंगे. बाल विवाह का सरकारी प्रमाण पत्र लेने के लिए लोग प्रदेश में आकर बाल विवाह को बढ़ावा देंगे. जिससे प्रदेश चाइल्ड मैरिज हब में बदल जाएगा.

याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2006 के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया है. नए कानून से बाल विवाह को निरस्त करना भी कठिन हो जाएगा. जिससे संबंधित व्यक्ति को जीवन भर इसका दंश झेलना पड़ेगा.

जयपुर. राज्य सरकार की ओर से विवाह अनिवार्य पंजीकरण संशोधन विधेयक, 2021 के जरिए बाल विवाह का पंजीकरण का प्रावधान करने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई है. सारथी ट्रस्ट की ओर से दायर इन जनहित याचिका पर संभवत: 5 अक्टूबर को खंडपीठ सुनवाई करेगी.

याचिका में कहा गया है कि संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है कि 18 साल से कम उम्र की लडक़ी ओर 21 साल के कम उम्र के लडके के बाल विवाह के बावजूद एक माह में विवाह का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. इस संशोधन के जरिए बाल विवाह की कुप्रथा को पंजीकृत मान्यता देने की कवायद की जा रही है, जबकि बाल विवाह संज्ञेय अपराध है.

पढ़ें- Exclusive : राजस्थान सरकार के मैरिज एक्ट में संशोधन को HC में चुनौती, सारथी ट्रस्ट ने उठाई आवाज

याचिका में कहा गया है कि बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन कर मान्यता देने के दूरगामी परिणाम होंगे. बाल विवाह का सरकारी प्रमाण पत्र लेने के लिए लोग प्रदेश में आकर बाल विवाह को बढ़ावा देंगे. जिससे प्रदेश चाइल्ड मैरिज हब में बदल जाएगा.

याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2006 के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया है. नए कानून से बाल विवाह को निरस्त करना भी कठिन हो जाएगा. जिससे संबंधित व्यक्ति को जीवन भर इसका दंश झेलना पड़ेगा.

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