जयपुर. पूर्व मंत्री स्वर्गीय भंवर लाल शर्मा का व्यवहार क्षेत्रीय लोगों के प्रति कैसा था, इसका परिचय आज उनकी शव यात्रा के दौरान भी देखने को मिला. कोरोना संकट काल में लगाए गए लॉकडाउन के बीच लोगों को भले ही उनकी शव यात्रा में शामिल होने का मौका नहीं मिला. लेकिन जिन रास्तों से उनका पार्थिव शरीर ले जाया गया, वहां सड़कों पर, घरों की बालकनी और छतों पर से लोगों ने उन पर पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी. क्षेत्रीय लोगों का उनसे खास जुड़ाव था, जिसका बड़ा कारण था उनका सामाजिक जीवन. उन्होंने न सिर्फ लोगों के सुख में, बल्कि उनके दुख में भी उनका हमेशा साथ दिया.
यही नहीं लोग उनके साहस और सूझबूझ की वजह से भी उन्हें याद रखेंगे. भंवर लाल शर्मा के पड़ोसी और मित्र रहे राधेश्याम पारीक ने बताया कि आपातकाल के समय उन्होंने सत्याग्रह कर गिरफ्तारी दी थी. उन्हें जयपुर से अजमेर जेल शिफ्ट किया गया था. उस वक्त अजमेर जेलर का कोई फौजदारी केस चल रहा था. चूंकि भंवर लाल शर्मा फौजदारी मामलों के वकील थे. उन्होंने जेलर को भी उचित सलाह देकर अपना कायल बना लिया था. ऐसे में जब राधेश्याम अपनी पत्नी के साथ जेल में भंवरलाल शर्मा से मिलने गए, तो उन्हें जेलर ने काफी समय तक रुकने की इजाजत भी दे दी.
वहीं उनके करीबियों ने बताया कि थानागाजी उपचुनाव में बीजेपी कैंडिडेट शिवनारायण शर्मा के भतीजे को बचाने के लिए भंवर लाल शर्मा कंबल लपेटकर खुद आग में कूद पड़े थे. यही नहीं पुरानी बस्ती में 2 बच्ची पानी के कुए में गिर गई थी. भंवर लाल शर्मा उस दौरान कोर्ट से घर आ रहे थे, और इस नजारे को देखकर उन बच्चियों को बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी. 95 साल के भंवरलाल शर्मा का पार्थिव शरीर आज पंचतत्व में विलीन हो गया. लेकिन उनके साहसिक कार्य, व्यवहार और राजनीतिक जीवन लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना रहेगा.