ETV Bharat / city

Special : लाॅकडाउन के बाद सेहत की सवारी बनी साइकिल...तंदुरुस्ती के लिए Cycling कर रहे लोग - जयपुर हेल्थ इज वेल्थ

लाॅकडाउन के बाद लोगों ने अपनी बचपन की याददाश्त को सेहत की सवारी बना लिया है. शहर की सड़कों पर अलसुबह से खुशनुमां मौसम में शहरवासी अपनों के साथ साइकिलिंग करने निकल पड़ते हैं. इससे ना सिर्फ हार्ट और मसल मजबूत होते हैं, बल्कि कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है. पढ़ें ये खास रिपोर्ट...

cycling benefits for health, people get cycling benefits
साइकिलिंग के फायदे...
author img

By

Published : Dec 30, 2020, 10:30 PM IST

जयपुर. समझदार लोगों ने हेल्थ को वेल्थ बताया है. लेकिन लोग वेल्थ कमाने के चक्कर में हेल्थ को दरकिनार करते जा रहे हैं. तेज रफ्तार और भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई जल्दी में है. कहीं भी पहुंचने के लिए रफ्तार वाले वाहन कार या बाइक से सड़कों पर निकल पड़ते हैं. इससे लोगों की जिंदगी आसान भले ही हो गई हो, लेकिन सेहत खराब होती जा रही है.

बचपन की याददाश्त को बनाया सेहत की सवारी...

इस कोरोना काल में लगे लॉकडाउन ने कुछ लोगों को अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक तो कर ही दिया. यही वजह है कि अनलॉक 1 के साथ ही किसी ने जिम और योग क्लास का रुख किया. किसी ने अपनी बचपन की याददाश्त को सेहत की सवारी बना लिया. अब शहर की सड़कों पर अलसुबह से खुशनुमा मौसम में शहरवासी अपनों के साथ साइकिलिंग करने निकल पड़ते हैं. नाहरगढ़, आमेर, जल महल, सेंट्रल पार्क, स्टेच्यू सर्किल ये ऐसे स्थान हैं, जहां लोग खुशनुमा मौसम में साइकिलिंग का लुत्फ उठाते हैं. डॉक्टर्स का एक ग्रुप अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए हर दिन सुबह 1 घंटे साइकिलिंग को देता है. इससे ना सिर्फ हार्ट और मसल मजबूत होते हैं, बल्कि कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है.

पढ़ें: कोराना ने बेकरी कारोबार पर फेरा पानी... केक बिना न्यू ईयर सेलिब्रेशन बेमानी

कुछ अपने परिजनों के साथ, तो कुछ ने तो साइकलिंग क्लब बना लिया है. इन लोगों ने शुरुआत 2 किलोमीटर से की और आज 20 से 25 किलोमीटर रोज साइकिल चला रहे हैं. इसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल है. अब तक आलस की वजह से साइकिलिंग को अवॉइड करने वाली एंजल अब हर दिन कई किलोमीटर साइकिल चलाती है. वहीं, सार्थक ने तो ये तय कर लिया है कि स्कूल खुलने पर स्कूल भी साइकिल से ही जाएंगे. शहर की एक गृहणी गुल त्यागी, जो अब तक अपने बच्चों को साइकिल चलाने के लिए कहा करती थी. अब खुद बचपन की यादों पर पड़ी धूल को हटाकर साइकलिंग करने निकल पड़ती हैं.

पढ़ें: जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे RO प्लांट...PHED विभाग भी नहीं दे रहा ध्यान

साइकिल सवारों का ये क्लब अब लोगों को सेहत की सवारी के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर साइक्लोथॉन प्रतियोगिता आयोजित करने जा रहा है. उनका मानना है की साइकिल ना सिर्फ सेहत बल्कि पॉल्यूशन से दूर खुशियों का भी संचार करती है. बहरहाल, जो साइकिल गरीब तबके के लिए उनका सबसे बड़ा साधन है. वहीं, साइकिल अब किसी के लिए शौक तो किसी के लिए सेहत बनाने का माध्यम बन गई है.

जयपुर. समझदार लोगों ने हेल्थ को वेल्थ बताया है. लेकिन लोग वेल्थ कमाने के चक्कर में हेल्थ को दरकिनार करते जा रहे हैं. तेज रफ्तार और भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई जल्दी में है. कहीं भी पहुंचने के लिए रफ्तार वाले वाहन कार या बाइक से सड़कों पर निकल पड़ते हैं. इससे लोगों की जिंदगी आसान भले ही हो गई हो, लेकिन सेहत खराब होती जा रही है.

बचपन की याददाश्त को बनाया सेहत की सवारी...

इस कोरोना काल में लगे लॉकडाउन ने कुछ लोगों को अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक तो कर ही दिया. यही वजह है कि अनलॉक 1 के साथ ही किसी ने जिम और योग क्लास का रुख किया. किसी ने अपनी बचपन की याददाश्त को सेहत की सवारी बना लिया. अब शहर की सड़कों पर अलसुबह से खुशनुमा मौसम में शहरवासी अपनों के साथ साइकिलिंग करने निकल पड़ते हैं. नाहरगढ़, आमेर, जल महल, सेंट्रल पार्क, स्टेच्यू सर्किल ये ऐसे स्थान हैं, जहां लोग खुशनुमा मौसम में साइकिलिंग का लुत्फ उठाते हैं. डॉक्टर्स का एक ग्रुप अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए हर दिन सुबह 1 घंटे साइकिलिंग को देता है. इससे ना सिर्फ हार्ट और मसल मजबूत होते हैं, बल्कि कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है.

पढ़ें: कोराना ने बेकरी कारोबार पर फेरा पानी... केक बिना न्यू ईयर सेलिब्रेशन बेमानी

कुछ अपने परिजनों के साथ, तो कुछ ने तो साइकलिंग क्लब बना लिया है. इन लोगों ने शुरुआत 2 किलोमीटर से की और आज 20 से 25 किलोमीटर रोज साइकिल चला रहे हैं. इसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल है. अब तक आलस की वजह से साइकिलिंग को अवॉइड करने वाली एंजल अब हर दिन कई किलोमीटर साइकिल चलाती है. वहीं, सार्थक ने तो ये तय कर लिया है कि स्कूल खुलने पर स्कूल भी साइकिल से ही जाएंगे. शहर की एक गृहणी गुल त्यागी, जो अब तक अपने बच्चों को साइकिल चलाने के लिए कहा करती थी. अब खुद बचपन की यादों पर पड़ी धूल को हटाकर साइकलिंग करने निकल पड़ती हैं.

पढ़ें: जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे RO प्लांट...PHED विभाग भी नहीं दे रहा ध्यान

साइकिल सवारों का ये क्लब अब लोगों को सेहत की सवारी के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर साइक्लोथॉन प्रतियोगिता आयोजित करने जा रहा है. उनका मानना है की साइकिल ना सिर्फ सेहत बल्कि पॉल्यूशन से दूर खुशियों का भी संचार करती है. बहरहाल, जो साइकिल गरीब तबके के लिए उनका सबसे बड़ा साधन है. वहीं, साइकिल अब किसी के लिए शौक तो किसी के लिए सेहत बनाने का माध्यम बन गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.