जयपुर. समझदार लोगों ने हेल्थ को वेल्थ बताया है. लेकिन लोग वेल्थ कमाने के चक्कर में हेल्थ को दरकिनार करते जा रहे हैं. तेज रफ्तार और भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई जल्दी में है. कहीं भी पहुंचने के लिए रफ्तार वाले वाहन कार या बाइक से सड़कों पर निकल पड़ते हैं. इससे लोगों की जिंदगी आसान भले ही हो गई हो, लेकिन सेहत खराब होती जा रही है.
इस कोरोना काल में लगे लॉकडाउन ने कुछ लोगों को अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक तो कर ही दिया. यही वजह है कि अनलॉक 1 के साथ ही किसी ने जिम और योग क्लास का रुख किया. किसी ने अपनी बचपन की याददाश्त को सेहत की सवारी बना लिया. अब शहर की सड़कों पर अलसुबह से खुशनुमा मौसम में शहरवासी अपनों के साथ साइकिलिंग करने निकल पड़ते हैं. नाहरगढ़, आमेर, जल महल, सेंट्रल पार्क, स्टेच्यू सर्किल ये ऐसे स्थान हैं, जहां लोग खुशनुमा मौसम में साइकिलिंग का लुत्फ उठाते हैं. डॉक्टर्स का एक ग्रुप अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए हर दिन सुबह 1 घंटे साइकिलिंग को देता है. इससे ना सिर्फ हार्ट और मसल मजबूत होते हैं, बल्कि कैंसर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है.
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कुछ अपने परिजनों के साथ, तो कुछ ने तो साइकलिंग क्लब बना लिया है. इन लोगों ने शुरुआत 2 किलोमीटर से की और आज 20 से 25 किलोमीटर रोज साइकिल चला रहे हैं. इसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल है. अब तक आलस की वजह से साइकिलिंग को अवॉइड करने वाली एंजल अब हर दिन कई किलोमीटर साइकिल चलाती है. वहीं, सार्थक ने तो ये तय कर लिया है कि स्कूल खुलने पर स्कूल भी साइकिल से ही जाएंगे. शहर की एक गृहणी गुल त्यागी, जो अब तक अपने बच्चों को साइकिल चलाने के लिए कहा करती थी. अब खुद बचपन की यादों पर पड़ी धूल को हटाकर साइकलिंग करने निकल पड़ती हैं.
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साइकिल सवारों का ये क्लब अब लोगों को सेहत की सवारी के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर साइक्लोथॉन प्रतियोगिता आयोजित करने जा रहा है. उनका मानना है की साइकिल ना सिर्फ सेहत बल्कि पॉल्यूशन से दूर खुशियों का भी संचार करती है. बहरहाल, जो साइकिल गरीब तबके के लिए उनका सबसे बड़ा साधन है. वहीं, साइकिल अब किसी के लिए शौक तो किसी के लिए सेहत बनाने का माध्यम बन गई है.