जयपुर. देश में आर्थिक मंदी का शोर दिखाई देने लगा है. आर्थिक मंदी के बादल तेजी से काले और घने होते जा रहे हैं. इसका असर ऑटो, रियल एस्टेट, टेलिकॉम और बैंकिंग से लेकर स्टील और टेक्सटाइल जैसे सेक्टरों में दिख रहा है. वहीं, अब इस मंदी का असर मनरेगा श्रमिकों पर भी दिखने लगा है. यही कारण है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से चलने वाली मनरेगा श्रमिकों को पिछले तीन महीने से बकाया भुगतान नहीं मिला है. मनरेगा का भुगतान नहीं होने से श्रमिकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
मनरेगा कमिश्नर पी.सी. किशन ने बताया कि श्रमिकों को मजदूरी नहीं मिलने से मेरा फोन लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर बन गया है. रोजाना प्रदेश के अलग-अलग जिलों से 5-6 फोन पेमेंट को लेकर आते हैं. श्रमिकों की समस्याओं को देखते हुए मैंने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय में भी फोन किया है, लेकिन वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए उन्होंने अभी देरी की बात कही है. अभी प्रदेश में रोजाना 11 लाख से ज्यादा श्रमिक काम कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश के 557 करोड़ रुपए का भुगतान केंद्र ने नहीं किया है.
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किशन ने बताया कि मनरेगा श्रमिकों को समय पर भुगतान नहीं होने से खाद, बीज सहित छोटी-मोटी जरूरत के सामान के लिए परेशान होना पड़ रहा है. जबकि मनरेगा एक्ट के अनुसार मजदूरों का मस्टर रोल बंद होने के 15 दिन के भीतर पेमेंट करना होता है.