जयपुर. राजस्थान सरकार के साल 2021-2022 के बजट का लेखा-जोखा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को पेश किया. अपने 2 घंटे 43 मिनट लंबे इस बजट भाषण में पेपरलैस विवरण देते हुए गहलोत ने कहा कि जिस तरह से कोरोना ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है, उसे देखते हुए आर्थिक संसाधनों को जुटाने के प्रयास करने होंगे.
उन्होंने अपने इस बजट को व्यापारी, किसान, महिला और युवाओं के लिए समर्पित बताया. विकास की वैक्सीन के रूप में इस बजट के दावे को लेकर गहलोत सरकार कसौटी पर कितना खरा उतर पाई, इस मसले पर ईटीवी भारत राजस्थान पर विशेषज्ञों के पैनल की एक चर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें बताया गया कि गहलोत सरकार इस बजट के जरिए किन उम्मीदों को पूरा करने में कामयाब रही, तो कौनसे ऐसे मुद्दे थे जिन्हें लेकर किसी वर्ग के हाथ मायूसी लगी.
महिला वर्ग को निराशा
अशोक गहलोत सरकार के इस बजट पर चर्चा के लिये स्टार्टअप महिला उद्यमी डॉक्टर अदिति खंडेलवाल ने निराशा जताते हुए कहा कि उन्हें कोलेट्रल लोन में पुरुष गारंटर की जरूरत को खत्म किए जाने की मांग पूरी नहीं होने पर मलाल है. बाड़मेर की रूमा देवी की तर्ज पर महिलाओं को पोषित और सशक्त करने के लिये बजट के जरिए कई प्रावधान किए जा सकते थे, लेकिन देश की इस आधी आबादी को प्रतिनिधित्व ठीक से नहीं मिल सका.
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वहीं, फोर्टी वीमेन विंग की प्रतिनिधि अमिक हल्दिया ने भी महिला वर्ग के लिहाज से बजट को निराशापूर्ण करार दिया. दोनों महिलाओं ने गहलोत सरकार के बजट में कुछ घोषणाओं के लिए सरकार का आभार भी जताया. विशेष रूप से नये स्टार्टअप्स के लिए किए गए ऋण के प्रावधानों पर इन्होंने सरकार को धन्यवाद दिया. साथ ही कहा कि सरकार MSME के लिए अगर माहौल तैयार करने में कामयाब रहती है तो ये बेहतर कदम होगा.
स्मॉल स्कैल इंडस्ट्री के लिये नई नीति के साथ ही स्थानीय उद्योगों की ई मार्केटिंग, 64 नए औद्योगिक केन्द्रों की स्थापना, राजस्थान इन्वेसटर्स मीट का ऐलान, फिल्मटेक पार्क का ऐलान, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के लिये ई इन्सपेक्शन, जयपुर हाट का ऐलान, हैण्डलूम, हैण्डीक्राफ्ट, दस्तकार और बुनकरों को प्रोत्साहन दिए जाने की भी सराहना की.
रियल एस्टेट कारोबार में बूम की उम्मीद
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोविड-19 के असर को खत्म कर प्रोपर्टी कारोबार के पटरी पर लौटने की उम्मीद जताई थी. अफोर्डेबल हाउसिंग से जुड़े भानु प्रताप सिंह ने इस बजट में ग्रेटर भिवाड़ी में टाउनशिप के ऐलान के साथ-साथ नये निवेश को प्रोत्साहन देने लायक माहौल बनाने की पहल की सराहना की.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से स्टाम्प ड्यूटी में राहत दी गई है. उससे ना सिर्फ अफॉर्डेबल हाउसिंग को बल्कि आवास के सपने को पूरा करने का इंतजार कर रहे लोगों को राहत मिलेगी. व्यावसायिक भूमि में भी डीएलसी दरों में राहत के साथ ही हक त्याग पर और गिफ्ट डीड पर भी स्टाम्प ड्यूटी में राहत को सराहनीय कदम बताया.
किसान को जादूगरी की तलाश
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने इस बजट में किसान के लिए अलग से बजट के प्रावधान को इस वर्ग ने सराहा. किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि सरकार को किसान के लिए घोषणा मात्र से बचकर आर्थिक मजबूती की तरफ ध्यान देना चाहिए. सीएम गहलोत ने इस भाषण के दौरान अब तक किसानों को बांटे गए 14 हजार करोड़ के ब्याज मुक्त ऋण का जिक्र किया था.
वहीं, आगे भी लोन दिए जाने के प्रावधानों को बताया. उन्होंने कहा कि अब किसान के साथ ही मछली पालक और पशु पालक भी इस योजना से लाभान्वित हो सकेंगे. कृषक साथी योजना का ऐलान करते हुए गहलोत ने दो हजार करोड़ रुपए के प्रावधानों की घोषणा की. उन्होंने राजीव गांधी सेवा केन्द्रों पर एक हजार किसान केन्द्र खोलकर वहां कृषि पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की घोषणा की.
12 हजार 700 करोड़ की बिजली सब्सिडी को बढ़ाकर 16 हजार करोड़ से ज्यादा किए जाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि नई कृषि विद्युत वितरण कंपनी भी बनाई जाएगी और प्रत्येक दो माह में कृषि बिजली बिल जारी किए जाएंगे. उन्होंने राजसमंद में दुग्ध उत्पादक संकलन केन्द्र की घोषणा की. साथ ही पशुपालकों के लिए 108 एम्बुलेंस की तर्ज पर 102 एम्बुलेंस चलाने का ऐलान किया. रामपाल जाट ने कम दाम पर फसल ना बेचने की मजबूरी का हवाला देते हुए गहलोत के जादूगरी के दावे को आड़े हाथ लिया.
युवा और कारोबारी आशांन्वित
इस परिचर्चा में चार्टेड अकाउंटेट महेन्द्र मोदी और महेन्द्र यादव ने भी अपनी राय बताई. महेन्द्र मोदी के अनुसार बजट में स्टार्टअप कारोबार को बढ़ावा देने के लिये नई यूनिट के लिये 5 लाख की सब्सिडी की बात कहीं गई थी, साथ ही 50 हजार तक का ब्याज मुक्त लोन और 15 लाख तक के टेंडर बिना शर्त दिये जाने की घोषणा को उन्होंने सराहनीय कदम बताया.
उन्होंने कहा कि कोशिश जिस तरह से की गई है, उस तरह से इस पर अमल होगा, इसे लेकर फिलहाल संशय है. उन्होंने नए कर नहीं लगाए जाने के मसले पर राज्य के हाथ में ज्यादा विषय नहीं होने की बात कहते हुए कहा कि जीएसटी में मामूली राहत ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. उन्होंने पेट्रोल पर लगाए गए वैट में राहत नहीं मिलने पर निराशा जाहिर की.
वहीं, महेन्द्र यादव ने ईबिल में छूट और राजस्थानी फिल्मों को कर मुक्त किए जाने के फैसले का स्वागत किया. व्यापारियों पर लंबित करों के मसलों पर एमिनेस्टी स्कीम लाने की कोशिश नहीं होने पर मायूसी जताई.
कर्मचारीवर्ग की मिली जुली प्रतिक्रिया
एकीकृत कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष गजेन्द्र सिंह ने राजस्थान सरकार के बजट को ठीक-ठाक बताया और कहा कि कर्मचारियों की डेफर सैलेरी देकर उनका हक मिलेगा. वहीं कर्मचारियों की मुख्य मांग वेतन कटौती पर गौर नहीं किए जाने से निराशा जताई. उन्होंने कहा कि लंबे समय से कर्मचारी सामंत कमेटी की सिफारिशों को लागू किए जाने की मांग कर रहे थे, परंतु ये बंद डिब्बे का ही हिस्सा रहा.
उन्होंने कहा कि 30 अक्टूबर 2017 के तहत अनुच्छेद पांच में की गई कटौतियों को वापस लेने का फैसला लिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में संविदा कर्मचारियों को स्थायी किए जाने का वादा किया था, लेकिन तीसरा बजट होने के बावजूद इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया.