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पहलू खान मामला : SIT ने DGP को सौंपी जांच रिपोर्ट, कोर्ट में नहीं पेश किया गया मोबाइल और FSL रिपोर्ट

प्रदेश के बहुचर्चित पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी ने देर शाम अपनी रिपोर्ट डीजीपी को सौंपी. हालांकि रिपॉर्ट में क्या कुछ लिखा है ये अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन अब तक मिली जानकारी के अनुसार इसमें पूर्व में की गई जांच में कई खामियां होने की बात कही गई है.

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Published : Sep 2, 2019, 10:18 PM IST

जयपुर. पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले पर सरकार की ओर से बनाई गई एसआईटी (विशेष जांच दल) ने सोमवार को अपनी जांच रिपोर्ट प्रदेश के डीजीपी को सौंपे दी. अब डीजीपी इस रिपोर्ट को गृह विभाग के साथ अध्यन करने के बाद मुख्यमंत्री सौंपेंगे. लिफाफा बंद इस रिपोर्ट में पूर्व में की गई जांच में कई खामियों की बात सामने आई हैं.

जानकर सूत्रों की माने तो एसआईटी ने आरोपियों के बरी होने के पीछे जांच करने वाले अधिकारी और न्यायालय में पैरवी करने वाले अधिकारियों ने को जिम्मेदार माना है. यह भी पाया गया कि सबूतों की कमी के आधार पर आरोपी बरी हो गए जबकि जांच के दौरान सबूत सही सलामत अवस्था में पुलिस के पास मौजूद थे. मगर जांच अधिकारी और मुकदमे की पैरवी करने वाले अधिकारियों ने जानबूझ कर उसे छुपा दिया.

एसआईटी ने माना पूर्व में जांच में रही कई खामियां

पढ़ेंः बड़ी खबरः पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी की जान को खतरा, हरियाणा में पकड़े गए सुपारी लेने वाले शॉर्प शूटर...मांगी सुरक्षा

वहीं मारपीट करते समय का जो वीडियो बनाया गया था उसे पुलिस ने आरोपी ने बरामद कर लिया था. उसमें रिकॉर्ड किए गए फुटेज की जांच भी कराई गई थी. मगर यह दोनों ही चीजें कोर्ट में पेश नहीं की गई. कोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए लिखा था कि फुटेज में जो दिख रहे हैं हम उन लोगों को संदेह का लाभ देते हैं. क्योंकि इस फुटेज की एफएसएल नहीं कराई गई. यह वीडियो जिस मोबाइल से बनाया गया वह भी बरामद नहीं हुआ.

वहीं एसआईटी की शुरुआती जांच में पता चला था कि दोनों अहम सबूत पुलिस के माल खाने में रखे हुए हैं. पुलिस ने उस वक्त मोबाइल फुटेज बनाने वाले व्यक्ति की पहचान कर बरामद कर लिया था लेकिन कोर्ट में पेश नही किया. आपको बता दें कि कोर्ट ने सभी 6 अरोपिर्यों को संदेह का लाभ देते हुए 14 अगस्त को बरी किया था.

पढ़ेंः खुलासा : रामेश्वर डूडी की सुपारी लेने वाले शॉर्प शूटर्स ने रची थी ये साजिश, पटना में हुई थी हथियारों की डील

दरअसल पहलू खान अपने बेटे के साथ 1 अप्रैल 2017 को जयपुर से दो गाय खरीद कर वापस घर जा रहे थे. इस दौरान अलवर में भीड़ ने न सिर्फ उसकी गाड़ी रुकवाई बल्कि पहलू खां और उसके बेटे को क्रूरता पूर्वक पीटा भी गया था. इस लिंचिंग में पहलू खान की मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने जांच करते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था. हालांकि कोर्ट के आदेश पर गहलोत सरकार ने एसआईटी का गठन करते हुए जांच रिपोर्ट 2 सितंबर तक सौंपने को कहा था.

जयपुर. पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले पर सरकार की ओर से बनाई गई एसआईटी (विशेष जांच दल) ने सोमवार को अपनी जांच रिपोर्ट प्रदेश के डीजीपी को सौंपे दी. अब डीजीपी इस रिपोर्ट को गृह विभाग के साथ अध्यन करने के बाद मुख्यमंत्री सौंपेंगे. लिफाफा बंद इस रिपोर्ट में पूर्व में की गई जांच में कई खामियों की बात सामने आई हैं.

जानकर सूत्रों की माने तो एसआईटी ने आरोपियों के बरी होने के पीछे जांच करने वाले अधिकारी और न्यायालय में पैरवी करने वाले अधिकारियों ने को जिम्मेदार माना है. यह भी पाया गया कि सबूतों की कमी के आधार पर आरोपी बरी हो गए जबकि जांच के दौरान सबूत सही सलामत अवस्था में पुलिस के पास मौजूद थे. मगर जांच अधिकारी और मुकदमे की पैरवी करने वाले अधिकारियों ने जानबूझ कर उसे छुपा दिया.

एसआईटी ने माना पूर्व में जांच में रही कई खामियां

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वहीं मारपीट करते समय का जो वीडियो बनाया गया था उसे पुलिस ने आरोपी ने बरामद कर लिया था. उसमें रिकॉर्ड किए गए फुटेज की जांच भी कराई गई थी. मगर यह दोनों ही चीजें कोर्ट में पेश नहीं की गई. कोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए लिखा था कि फुटेज में जो दिख रहे हैं हम उन लोगों को संदेह का लाभ देते हैं. क्योंकि इस फुटेज की एफएसएल नहीं कराई गई. यह वीडियो जिस मोबाइल से बनाया गया वह भी बरामद नहीं हुआ.

वहीं एसआईटी की शुरुआती जांच में पता चला था कि दोनों अहम सबूत पुलिस के माल खाने में रखे हुए हैं. पुलिस ने उस वक्त मोबाइल फुटेज बनाने वाले व्यक्ति की पहचान कर बरामद कर लिया था लेकिन कोर्ट में पेश नही किया. आपको बता दें कि कोर्ट ने सभी 6 अरोपिर्यों को संदेह का लाभ देते हुए 14 अगस्त को बरी किया था.

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दरअसल पहलू खान अपने बेटे के साथ 1 अप्रैल 2017 को जयपुर से दो गाय खरीद कर वापस घर जा रहे थे. इस दौरान अलवर में भीड़ ने न सिर्फ उसकी गाड़ी रुकवाई बल्कि पहलू खां और उसके बेटे को क्रूरता पूर्वक पीटा भी गया था. इस लिंचिंग में पहलू खान की मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने जांच करते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था. हालांकि कोर्ट के आदेश पर गहलोत सरकार ने एसआईटी का गठन करते हुए जांच रिपोर्ट 2 सितंबर तक सौंपने को कहा था.

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जयपुर

पहलू खान मामले एसआईटी ने डीजीपी को सौंपी रिपॉर्ट , एसआईटी ने माना पूर्व में जांच में रही कई खामियां

एंकर:- प्रदेश के बहुचर्चित पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी देर शाम अपनी रिपोर्ट डीजीपी को सौंपी , हालांकि रिपॉर्ट में क्या कुछ लिखा है ये अभी सार्वजनिक नही किया गया है , लेकिन अब तक मिली जानकारी के अनुसार एसआईटी ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें पूर्व को जांच में कई खामियां होने की बात कही गई है , साथ ही आरोपियों कि बरी होने के पीछे बड़ी वजह सरकार की तरफ से कमजोर पैरवी बताया है , इतना नहीं यही भी सामने आया कि जिस मोबाइल से वीडियो बनाया गया उसके भी पर्याप्त सबूत कोर्ट में पेश नहीं किए गए ।




Body:VO:- पहलुखाँ मॉब लिंचिंग मामले पर सरकार की तरफ से बनाई गई जांच कमेटी यानी एसआईटी आज अपनी रिपोर्ट डीजीपी को सौंपे दी , अब डीजीपी इस रिपोर्ट को गृह विभाग के साथ अध्यन कर मुख्यमंत्री सौंपेंगे , रिपोर्ट बंद लिफाफे में है , लेकिन जानकर सूत्रों की माने तो एसआईटी ने आरोपियों के बरी होने के पीछे जांच करने वाले अधिकारी और न्यायालय में पैरवी करने वाले अधिकारियों ने को जिम्मेदार माना है , एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट पाया कि इन सबूतों की कमी के आधार पर आरोपी बरी हो गए , सबूत जांच के दौरान सही सलामत अवस्था में थे और पुलिस के पास मौजूद थे , मगर जांच अधिकारी और मुकदमे की पैरवी करने वाले अधिकारियों ने जानबूझ कर उसे छुपा दिया , आरोपी ने जिस मोबाइल से वीडियों बनाया उस मोबाइल को पुलिस ने बरामद कर लिया था , वह पूरी फुटेज की जांच भी कराई गई थी , मगर यह दोनों ही चीजें कोर्ट में पेश नही करी गई , कोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए लिखा था कि फुटेज में जो दिख रहे है हम उन लोगों को संदेह का लाभ देते क्योंकि इस फुटेज की एफएसएल नहीं कराई गई और यह वीडियो जिस मोबाइल से बनाया गया और मोबाइल भी बरामद नहीं हुआ , इस मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि दोनों चीजें पुलिस के माल खाने में रखी हुई है , पुलिस ने उस वक्त मोबाइल फुटेज बनाने वाले व्यक्ति की पहचान कर बरामद कर लिया था लेकिन कोर्ट में पेश नही किया और वह माल खाने में छोड़ दिया गया , आपको बता दें कि कोर्ट ने सभी 6 अरोपिर्यों को संदेह का लाभ देते हुए 14 अगस्त को बरी किया था , दरअसल पहलू खान अपने बेटे के साथ 1 अप्रैल 2017 को जयपुर से दो गाय खरीद कर वापस घर जा रहे थे , इस दौरान अलवर में भीड़ ने न सिर्फ उसकी गाड़ी रुका बल्कि पहलू खां और उसके बेटे को क्रूरता पूर्वक मारपीट की थी , जिसमे पहलू खान की मौत हो गई थी , गहलोत सरकार ने मामले पर सभी छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के बाद एसआईटी गठित करते हुए जांच रिपोर्ट 2 सितंबर तक सौंपने को कहा था ऐसे में अभी उम्मीद लगाई जा रही है कि अब किसी भी एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट सौंप सकती है ।




Conclusion:VO :- बाहरहाल पूरी जानकारी तो एसआईटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर ही साफ हो पायेगा की कहा पर किस तरहं की कमी रही जिसकी वजह से आरोपियों को संदेह का लाभ मिला । लेकिन ये तय है कि एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद कोंग्रेस सरकार इस मामले की पुनर्विचार याचिका लगाई जा सकती है ,
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