जयपुर. पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले पर सरकार की ओर से बनाई गई एसआईटी (विशेष जांच दल) ने सोमवार को अपनी जांच रिपोर्ट प्रदेश के डीजीपी को सौंपे दी. अब डीजीपी इस रिपोर्ट को गृह विभाग के साथ अध्यन करने के बाद मुख्यमंत्री सौंपेंगे. लिफाफा बंद इस रिपोर्ट में पूर्व में की गई जांच में कई खामियों की बात सामने आई हैं.
जानकर सूत्रों की माने तो एसआईटी ने आरोपियों के बरी होने के पीछे जांच करने वाले अधिकारी और न्यायालय में पैरवी करने वाले अधिकारियों ने को जिम्मेदार माना है. यह भी पाया गया कि सबूतों की कमी के आधार पर आरोपी बरी हो गए जबकि जांच के दौरान सबूत सही सलामत अवस्था में पुलिस के पास मौजूद थे. मगर जांच अधिकारी और मुकदमे की पैरवी करने वाले अधिकारियों ने जानबूझ कर उसे छुपा दिया.
वहीं मारपीट करते समय का जो वीडियो बनाया गया था उसे पुलिस ने आरोपी ने बरामद कर लिया था. उसमें रिकॉर्ड किए गए फुटेज की जांच भी कराई गई थी. मगर यह दोनों ही चीजें कोर्ट में पेश नहीं की गई. कोर्ट ने इस मामले में फैसला देते हुए लिखा था कि फुटेज में जो दिख रहे हैं हम उन लोगों को संदेह का लाभ देते हैं. क्योंकि इस फुटेज की एफएसएल नहीं कराई गई. यह वीडियो जिस मोबाइल से बनाया गया वह भी बरामद नहीं हुआ.
वहीं एसआईटी की शुरुआती जांच में पता चला था कि दोनों अहम सबूत पुलिस के माल खाने में रखे हुए हैं. पुलिस ने उस वक्त मोबाइल फुटेज बनाने वाले व्यक्ति की पहचान कर बरामद कर लिया था लेकिन कोर्ट में पेश नही किया. आपको बता दें कि कोर्ट ने सभी 6 अरोपिर्यों को संदेह का लाभ देते हुए 14 अगस्त को बरी किया था.
दरअसल पहलू खान अपने बेटे के साथ 1 अप्रैल 2017 को जयपुर से दो गाय खरीद कर वापस घर जा रहे थे. इस दौरान अलवर में भीड़ ने न सिर्फ उसकी गाड़ी रुकवाई बल्कि पहलू खां और उसके बेटे को क्रूरता पूर्वक पीटा भी गया था. इस लिंचिंग में पहलू खान की मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने जांच करते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था. हालांकि कोर्ट के आदेश पर गहलोत सरकार ने एसआईटी का गठन करते हुए जांच रिपोर्ट 2 सितंबर तक सौंपने को कहा था.