जयपुर. राजस्थान में अक्सर यह चर्चा होती है कि एससी-एसटी अत्याचार के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. यह मामला विधानसभा के अंदर और बाहर हर जगह विधायकों और सांसदों की ओर से उठाए जाते हैं. लेकिन एससी-एसटी अत्याचार के मामले में विधायक-सांसद कितने गंभीर हैं, इसका पता सोमवार को राजधानी जयपुर के अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत गठित 'जिला स्तरीय सतर्कता एवं पर्यवेक्षण समिति' की मासिक बैठक में जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने बता दिया.
बैठक में 21 विधायकों और सांसदों में से केवल एक विधायक वेद सोलंकी ही उपस्थित रहे, बाकी 20 विधायक या सांसद इस बैठक में नहीं पहुंचे. खास बात यह है कि इन 21 जनप्रतिनिधियों में मंत्री लालचंद कटारिया (Lalchand Kataria), मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas), मंत्री राजेंद्र यादव (Rajendra Yadav) और मुख्य सचेतक महेश जोशी (Mahesh Joshi) शामिल हैं, तो वहीं एससी-एसटी मुद्दों को अक्सर उठाने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) का नाम भी इस बैठक में शामिल होने वाले नेताओं की लिस्ट में शामिल है. लेकिन उन्होंने भी इस बैठक से दूरी बनाई.
इसके साथ ही जिन SC-ST के मुद्दों को लेकर यह बैठक होनी थी, उसमें 6 जनप्रतिनिधि तो एससी-एसटी वर्ग से आते हैं. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि ये विधायक और सांसद भी इस बैठक में नहीं पहुंचे. एससी-एसटी के 6 जनप्रतिनिधियों में दौसा सांसद जसकौर मीणा (Jaskaur Meena), दूदू से निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर (Babulal Nagar), जमवारामगढ़ से कांग्रेस विधायक गोपाल लाल मीणा (Gopal Lal Meena), बगरू से कांग्रेस विधायक गंगा देवी (Ganga Devi), बस्सी विधानसभा से निर्दलीय विधायक लक्ष्मण मीणा (Lakshman Meena) और चाकसू से विधायक वेद प्रकाश सोलंकी (Ved Prakash Solanki) शामिल हैं.
इनमें से केवल वेद प्रकाश सोलंकी इस बैठक में पहुंचे. हालांकि, अभी इन 21 में से 20 जनप्रतिनिधियों के बैठक में शामिल नहीं होने के पीछे कारण क्या रहे यह साफ नहीं है. लेकिन, जिस तरीके से वेद सोलंकी भी यह कहते हुए नजर आए कि उन्होंने अधिकारियों को इस बात को लेकर पाबंद किया है कि वे इस बैठक का एजेंडा पहले उन्हें भेजें. ऐसे में इन जनप्रतिनिधियों को इस बैठक और इसके एजेंडे की जानकारी भी थी या नहीं इस पर भी अभी संशय है.