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नम क्षेत्र और पक्षी संरक्षण विषय पर कार्यशाला का आयोजन, मंत्री सुखराम बिश्नोई ने जनता से की चाइनीज मांझे का उपयोग ना करने की अपील - जयपुर न्यूज

जयपुर में राजस्थान वानिकी और वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में नम क्षेत्र और पक्षी संरक्षण विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें नम क्षेत्र के संरक्षण के पक्षियों को बचाने पर चर्चा की गई. वहीं कार्यकर्म में सम्मिलित हुए मंत्री सुखराम बिश्नोई ने जनता से चाइनीज मांझे का उपयोग ना करने की अपील की.

जयपुर न्यूज, jaipur news
नम क्षेत्र और पक्षी संरक्षण पर हुई चर्चा
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Published : Jan 8, 2020, 11:17 PM IST

जयपुर. राजस्थान वानिकी और वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में बुधवार को नम क्षेत्र और पक्षी संरक्षण विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में नम क्षेत्र के संरक्षण के पक्षियों को बचाने पर चर्चा की गई. साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने जनता से अपील की कि पतंगबाजी में चाइनीज मांझे उपयोग न करें.

नम क्षेत्र और पक्षी संरक्षण पर हुई चर्चा

कार्यशाला में प्रधानमंत्री सुखराम बिश्नोई मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे. मंत्री ने स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं और छात्र छात्राओं से आह्वान किया. उन्होंने कहा कि नम क्षेत्र और पक्षियों का संरक्षण एक परोपकारी कार्य है. पंछियों को हमारे जलवायु में परिवर्तन का आभास काफी पहले हो जाता है. पंछियों के संरक्षण से ना केवल पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे बल्कि मानव जीवन को भी खतरे से बचा सकेंगे.

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कार्यशाला में संस्थान के निदेशक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एन सी जैन ने सभी प्रतिभागियों को नम भूमि संरक्षण की महत्ता के बारे में बताया और अपनी जन भागीदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि नम क्षेत्र और पक्षियों के संरक्षण के लिए लोगों में जागृति फैलानी होगी. विभिन्न अनुसंधानकर्ताओं को भी इसमें भाग लेना होगा.

साथ ही राज्य में पॉलिसी निर्माण को गति देकर इसे लागू करने पर भी जोर देना होगा. कार्यशाला में नम क्षेत्र की सुरक्षा और उसकी मॉनिटरिंग के प्रति लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया गया. संभार राजकीय महाविद्यालय की प्राणी विज्ञान की व्याख्याता डॉ सीमा कुलश्रेष्ठ ने आसपास के गांव के सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर कई सुझाव दिए.

इससे भविष्य में सांभर जैसी परिस्थति फिर से पैदा ना हो. पारिस्थितिकी विशेषज्ञ मनोज कुलश्रेष्ठ ने राजस्थान की भूमियों के सर्वे के आधार पर आव्हान किया कि हमें इस विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचना होगा और सभी कारकों का वैज्ञानिक अध्ययन करना होगा.

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कार्यशाला में रोहित गंगवाल, डॉ राकेश मिश्रा, डॉ. सतीश शर्मा, डॉ जॉय गार्डनर ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रतिभागियों और छात्र-छात्राओं को पक्षी बचाव के लिए जागरूक किया. पक्षियों को बचाने के लिए किए जाने वाले बचाव के तरीके, ट्रीटमेंट, हैंडलिंग तरीकों से भी अवगत कराया गया.

आगामी 13 से 15 जनवरी के बीच जयपुर के विभिन्न स्थानों पर पक्षी संरक्षण के लिए जगह-जगह कैंप लगाए जाएंगे, जहां पर जैसे ही जानकारी मिलती है. तुरंत घायल पक्षियों को लाकर उनके इलाज की व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 7014477447, 8239939929 और 9828500065 जारी किए गए हैं.

कोई भी व्यक्ति घायल पक्षी के बारे में सूचना देकर सहयोग कर सकता है. कार्यशाला में मंत्री सुखराम बिश्नोई ने वर्ल्ड आर्गेनाईजेशन, ईडब्ल्यूएस, होप एन्ड बियोंड एवं रक्षा टीम के मकर सक्रांति के अवसर पर बचाव कैपेन के पोस्टरों का विमोचन भी किया.

जयपुर. राजस्थान वानिकी और वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में बुधवार को नम क्षेत्र और पक्षी संरक्षण विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में नम क्षेत्र के संरक्षण के पक्षियों को बचाने पर चर्चा की गई. साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने जनता से अपील की कि पतंगबाजी में चाइनीज मांझे उपयोग न करें.

नम क्षेत्र और पक्षी संरक्षण पर हुई चर्चा

कार्यशाला में प्रधानमंत्री सुखराम बिश्नोई मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे. मंत्री ने स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं और छात्र छात्राओं से आह्वान किया. उन्होंने कहा कि नम क्षेत्र और पक्षियों का संरक्षण एक परोपकारी कार्य है. पंछियों को हमारे जलवायु में परिवर्तन का आभास काफी पहले हो जाता है. पंछियों के संरक्षण से ना केवल पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे बल्कि मानव जीवन को भी खतरे से बचा सकेंगे.

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कार्यशाला में संस्थान के निदेशक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एन सी जैन ने सभी प्रतिभागियों को नम भूमि संरक्षण की महत्ता के बारे में बताया और अपनी जन भागीदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि नम क्षेत्र और पक्षियों के संरक्षण के लिए लोगों में जागृति फैलानी होगी. विभिन्न अनुसंधानकर्ताओं को भी इसमें भाग लेना होगा.

साथ ही राज्य में पॉलिसी निर्माण को गति देकर इसे लागू करने पर भी जोर देना होगा. कार्यशाला में नम क्षेत्र की सुरक्षा और उसकी मॉनिटरिंग के प्रति लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया गया. संभार राजकीय महाविद्यालय की प्राणी विज्ञान की व्याख्याता डॉ सीमा कुलश्रेष्ठ ने आसपास के गांव के सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर कई सुझाव दिए.

इससे भविष्य में सांभर जैसी परिस्थति फिर से पैदा ना हो. पारिस्थितिकी विशेषज्ञ मनोज कुलश्रेष्ठ ने राजस्थान की भूमियों के सर्वे के आधार पर आव्हान किया कि हमें इस विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचना होगा और सभी कारकों का वैज्ञानिक अध्ययन करना होगा.

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कार्यशाला में रोहित गंगवाल, डॉ राकेश मिश्रा, डॉ. सतीश शर्मा, डॉ जॉय गार्डनर ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रतिभागियों और छात्र-छात्राओं को पक्षी बचाव के लिए जागरूक किया. पक्षियों को बचाने के लिए किए जाने वाले बचाव के तरीके, ट्रीटमेंट, हैंडलिंग तरीकों से भी अवगत कराया गया.

आगामी 13 से 15 जनवरी के बीच जयपुर के विभिन्न स्थानों पर पक्षी संरक्षण के लिए जगह-जगह कैंप लगाए जाएंगे, जहां पर जैसे ही जानकारी मिलती है. तुरंत घायल पक्षियों को लाकर उनके इलाज की व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 7014477447, 8239939929 और 9828500065 जारी किए गए हैं.

कोई भी व्यक्ति घायल पक्षी के बारे में सूचना देकर सहयोग कर सकता है. कार्यशाला में मंत्री सुखराम बिश्नोई ने वर्ल्ड आर्गेनाईजेशन, ईडब्ल्यूएस, होप एन्ड बियोंड एवं रक्षा टीम के मकर सक्रांति के अवसर पर बचाव कैपेन के पोस्टरों का विमोचन भी किया.

Intro:जयपुर। राजस्थान वानिकी व वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान के सभागार में बुधवार को नम क्षेत्र और पक्षी संरक्षण विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में नम क्षेत्र के संरक्षण के पक्षियों को बचाने पर चर्चा की गई। साथ ही कार्यशाला में वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई ने जनता से अपील की कि पतंगबाजी में चाइनीज मांझे उपयोग न करें।
कार्यशाला में प्रधानमंत्री सुखराम बिश्नोई मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। मंत्री ने स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं और छात्र छात्राओं से आह्वान किया नम क्षेत्र और पक्षियों का संरक्षण एक परोपकारी कार्य है। पंछियों को हमारे जलवायु में परिवर्तन का आभास काफी पहले हो जाता है। पंछियों के संरक्षण से ना केवल पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे बल्कि मानव जीवन को भी खतरे से बचा सकेंगे।


Body:कार्यशाला में संस्थान के निदेशक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ एन सी जैन ने सभी प्रतिभागियों को नम भूमि संरक्षण की महत्ता के बारे में बताया और अपनी जन भागीदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित किया । उन्होंने कहा कि नम क्षेत्र और पक्षियों के संरक्षण के लिए लोगों में जागृति फैलानी होगी। विभिन्न अनुसंधानकर्ताओं को भी इसमें भाग लेना होगा। साथ ही राज्य में पॉलिसी निर्माण को गति देकर इसे लागू करने पर भी जोर देना होगा। कार्यशाला में नम क्षेत्र की सुरक्षा और उसकी मॉनिटरिंग के प्रति लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया गया। संभार राजकीय महाविद्यालय की प्राणी विज्ञान की व्याख्याता डॉ सीमा कुलश्रेष्ठ ने आसपास के गांव के सामाजिक व आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर कई सुझाव दिए। इससे भविष्य में सांभर जैसी परिस्थति फिर से पैदा ना हो। पारिस्थितिकी विशेषज्ञ मनोज कुलश्रेष्ठ ने राजस्थान की भूमियों के सर्वे के आधार पर आव्हान किया कि हमें इस विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचना होगा और सभी कारकों का वैज्ञानिक अध्ययन करना होगा।



Conclusion:कार्यशाला में रोहित गंगवाल, डॉ राकेश मिश्रा, डॉ. सतीश शर्मा, डॉ जॉय गार्डनर ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रतिभागियों और छात्र-छात्राओं को पक्षी बचाव के लिए जागरूक किया। पक्षियों को बचाने के लिए किए जाने वाले बचाव के तरीके, ट्रीटमेंट, हैंडलिंग तरीकों से भी अवगत कराया गया। आगामी 13 से 15 जनवरी के बीच जयपुर के विभिन्न स्थानों पर पक्षी संरक्षण के लिए जगह-जगह कैंप लगाए जाएंगे जहां पर जैसे ही जानकारी मिलती है तुरंत घायल पक्षियों को लाकर उनके इलाज की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 7014477447, 8239939929 व 9828500065 जारी किए गए हैं। कोई भी व्यक्ति घायल पक्षी के बारे में सूचना देकर सहयोग कर सकता है। कार्यशाला में मंत्री सुखराम विश्नोई ने वर्ल्ड आर्गेनाईजेशन, ईडब्ल्यूएस, होप एन्ड बियोंड एवं रक्षा टीम के मकर सक्रांति के अवसर पर बचाव कैपेन के पोस्टरो का विमोचन भी किया।

बाईट 1. सुखराम बिश्नोई वन एवं पर्यावरण मंत्री
2. डॉ एनसी जैन, निदेशक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक
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