जयपुर. सनातनी आदिवासी मीणा संस्था की ओर से शनिवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें मीणा समाज का सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास पर चर्चा की गई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते थे, जबकि राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी और पूर्व विधायक और ट्राइफेड के अध्यक्ष रमेश मीणा थे. अध्यक्षता सनातनी आदिवासी मीना संस्था के अध्यक्ष पंकज मीणा ने की.
सनातनी आदिवासी मीना संस्थान के अध्यक्ष पंकज मीणा का कहना है कि कुछ अलग धर्मावलंबियों के एजेंट टाइप के लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं. उसका जवाब देने के लिए राजस्थान के मीणा समाज का प्रतिनिधिमंडल इकट्ठा हुए है. इसका एक स्पष्ट संदेश है कि राजस्थान में साढ़े 13 फीसदी आदिवासी आबादी है. उनका प्रतिनिधित्व चुनिंदा लोग नहीं कर सकते हैं. आज जब हमारे यानी आदिवासियों के और हिंदू धर्म के आराध्य देव एक हैं. हमारी पूजा पद्धति एक है। इसलिए आदिवासी किसी भी तरह से सनातन या हिंदू धर्म से अलग नहीं है. यही आज की चर्चा का मुख्य विषय है और यही संदेश देने का प्रयास किया गया है.
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पंकज मीणा ने बताया कि सनातनी आदिवासी मीना संस्था के बैनर तले हुए इस कार्यक्रम में 13 जिलों के मीना समाज के लोग इकट्ठा हुए हैं. जिसमें अलग-अलग सत्र में विस्तार से चर्चा की गई. आदिवासी समाज के लोगों के धर्मांतरण के सवाल पर पंकज मीना ने कहा कि धर्मांतरण रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक कानून बनाया है. हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं कि राजस्थान में भी धर्मांतरण के खिलाफ एक सख्त कानून बने और जिस तरह से धर्मांतरण की कोशिश की जा रही है. चाहे वह छोटे स्तर पर हो या सामूहिक स्तर पर। उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. इसके लिए सबसे पहले एक मजबूत कानून की दरकार है.