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ग्रेटर निगम आयुक्त की टेबल-कुर्सी, पंखा कुर्क करने के आदेश

आर्ब्रिट्रेटर की ओर से अवार्ड का भुगतान नहीं करने के मामले में कोर्ट ने जयपुर ग्रेटर निगम आयुक्त की टेबल-कुर्सी और पंखा समेत अन्य सामान कुर्क करने का आदेश (Greater Corporation Commissioner goods attachment order) दिया है.

Greater Corporation Commissioner goods attachment order
ग्रेटर निगम आयुक्त की टेबल-कुर्सी, पंखा कुर्क करने के आदेश
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Published : Feb 3, 2022, 8:52 PM IST

जयपुर. कॉमर्शियल कोर्ट क्रम संख्या चार ने आर्ब्रिट्रेटर की ओर से जारी अवार्ड का भुगतान नहीं करने के मामले में ग्रेटर निगम आयुक्त की टेबल-कुर्सी और पंखा सहित अन्य सामान कुर्क करने के आदेश (Greater Corporation Commissioner goods attachment order) दिए हैं. अदालत ने इसके लिए स्पेशल सेल अमीन को भी नियुक्त किया है. अदालत ने यह आदेश निदान एनजीओ के वसूली दावे पर दिए.

दावे में कहा गया कि जयपुर नगर निगम के सिविल लाइंस जोन के वैशाली नगर, चित्रकूट और हनुमान नगर में सफाई करने के लिए दावाकर्ता को वर्ष 2007 में टेंडर दिया गया था. लेकिन करीब डेढ़ साल बाद दावाकर्ता को हटा दिया. मामले में वसूली के लिए दावाकर्ता ने आर्बिट्रेटर के समक्ष दावा पेश किया जिस पर सुनवाई करते हुए आर्बिट्रेटर ने वर्ष 2015 में दावाकर्ता के पक्ष में पचास लाख 95 हजार रुपए का अवार्ड जारी किया.

पढ़ें. Rajasthan High court : बीवीजी कंपनी के पक्ष में दिए स्टे को हटाया...याचिका को किया खारिज

इस आदेश के खिलाफ निगम की ओर से अदालत में अपील पेश की गई जिसे कॉमर्शियल कोर्ट ने वर्ष 2019 में खारिज कर दिया. वहीं आर्बिट्रेटर के अवार्ड की पालना नहीं होने पर दावाकर्ता ने कॉमर्शिलय कोर्ट में वसूली दावा पेश किया जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मूल रकम सहित अन्य राशि सहित कुल दो करोड़ 42 लाख 92 हजार रुपए की राशि अदा नहीं करने पर ग्रेटर निगम आयुक्त का सभी सामान कुर्क करने का आदेश दिया है.

जयपुर. कॉमर्शियल कोर्ट क्रम संख्या चार ने आर्ब्रिट्रेटर की ओर से जारी अवार्ड का भुगतान नहीं करने के मामले में ग्रेटर निगम आयुक्त की टेबल-कुर्सी और पंखा सहित अन्य सामान कुर्क करने के आदेश (Greater Corporation Commissioner goods attachment order) दिए हैं. अदालत ने इसके लिए स्पेशल सेल अमीन को भी नियुक्त किया है. अदालत ने यह आदेश निदान एनजीओ के वसूली दावे पर दिए.

दावे में कहा गया कि जयपुर नगर निगम के सिविल लाइंस जोन के वैशाली नगर, चित्रकूट और हनुमान नगर में सफाई करने के लिए दावाकर्ता को वर्ष 2007 में टेंडर दिया गया था. लेकिन करीब डेढ़ साल बाद दावाकर्ता को हटा दिया. मामले में वसूली के लिए दावाकर्ता ने आर्बिट्रेटर के समक्ष दावा पेश किया जिस पर सुनवाई करते हुए आर्बिट्रेटर ने वर्ष 2015 में दावाकर्ता के पक्ष में पचास लाख 95 हजार रुपए का अवार्ड जारी किया.

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इस आदेश के खिलाफ निगम की ओर से अदालत में अपील पेश की गई जिसे कॉमर्शियल कोर्ट ने वर्ष 2019 में खारिज कर दिया. वहीं आर्बिट्रेटर के अवार्ड की पालना नहीं होने पर दावाकर्ता ने कॉमर्शिलय कोर्ट में वसूली दावा पेश किया जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मूल रकम सहित अन्य राशि सहित कुल दो करोड़ 42 लाख 92 हजार रुपए की राशि अदा नहीं करने पर ग्रेटर निगम आयुक्त का सभी सामान कुर्क करने का आदेश दिया है.

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