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खेल कोटे में डीसीपी पद पर नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब... - Light duti

राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2016 से पहले पदक जीतने वाले खिलाड़ी को आउट ऑफ टर्न डीसीपी पद पर नियुक्ति नहीं देने पर गृह सचिव, कार्मिक सचिव और राजस्थान खेल परिषद को नोटिस जारी किए हैं. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश मंजू बाला की याचिका पर दिए.

जयपुर न्यूज, jaipur news, खेल कोटे में डीसीपी पद पर नियुक्ति, नियुक्ति नहीं देने पर कोर्ट ने मांगा जवाब, पदक जीतने वाले खिलाड़ी, आउट ऑफ टर्न, लाइट ड्यूटी, आरएसआरटीसी में कार्यरत मेडिकल अनफिट ड्राइवर  Appointed as DCP in sport kota
नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब
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Published : Nov 11, 2020, 7:36 PM IST

जयपुर. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने मंजू बाला की याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान खेल परिषद को नोटिस जारी की है. कोर्ट ने साल 2016 से पहले पदक जीतने वाले खिलाड़ी को आउट ऑफ टर्न डीसीपी पद पर नियुक्ति न देने पर नोटिस जारी की है.

याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने आउट ऑफ टर्न नियुक्ति नियमों के तहत खिलाड़ियों को विभिन्न श्रेणियों में सीधे नियुक्ति का प्रावधान किया गया है. लेकिन नियमों में संशोधन कर जनवरी 2016 के बाद इंटरनेशनल स्तर पर मेडल विजेता को ही ए ग्रेड की नियुक्ति का पात्र माना गया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने साल 2014 में एशियन गेम्स में हैमर थ्रो प्रतियोगिता में पहली भारतीय महिला पदक विजेता रही है.

यह भी पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी को आरएसएमडीसी से मूल विभाग में भेजने पर लगाई रोक

इसके बावजूद उसे जनवरी 2016 से पहले पदक जीतने का हवाला देते हुए डीसीपी पद पर नियुक्ति नहीं दी जा रही है. याचिका में कहा गया कि नियुक्ति का यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के प्रावधानों के विपरीत है, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

कोर्ट ने लाइट ड्यूटी लगाने को कहा...

राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएसआरटीसी में कार्यरत मेडिकल अनफिट ड्राइवरों को लाइट ड्यूटी में लगाने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने आरएसआरटीसी के सीएमडी और कार्यकारी निदेशक से जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश रणवीर सिंह और अन्य की याचिका पर दिए.

यह भी पढ़ें: बिना पाठ्यक्रम को पढ़ाए कोई भी पूरे साल की फीस नहीं ले सकता : डोटासरा

याचिका में अधिवक्ता एसके सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ड्राइवरों को अस्थमा सहित अन्य बीमारियों के चलते बस चलाने में परेशानी हो रही है. यह न केवल याचिकाकर्ताओं के लिए बल्कि सवारियों के लिए भी खतरनाक है. याचिकाकर्ताओं ने एसएमएस अस्पताल में अपना मेडिकल कराया, जिसमें मेडिकल बोर्ड ने याचिकाकर्ताओं को लाइट ड्यूटी पर लगाने की राय दी है. इसके बावजूद उनसे चालक पद पर ही काम लिया जा रहा है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

जयपुर. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने मंजू बाला की याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान खेल परिषद को नोटिस जारी की है. कोर्ट ने साल 2016 से पहले पदक जीतने वाले खिलाड़ी को आउट ऑफ टर्न डीसीपी पद पर नियुक्ति न देने पर नोटिस जारी की है.

याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने आउट ऑफ टर्न नियुक्ति नियमों के तहत खिलाड़ियों को विभिन्न श्रेणियों में सीधे नियुक्ति का प्रावधान किया गया है. लेकिन नियमों में संशोधन कर जनवरी 2016 के बाद इंटरनेशनल स्तर पर मेडल विजेता को ही ए ग्रेड की नियुक्ति का पात्र माना गया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने साल 2014 में एशियन गेम्स में हैमर थ्रो प्रतियोगिता में पहली भारतीय महिला पदक विजेता रही है.

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इसके बावजूद उसे जनवरी 2016 से पहले पदक जीतने का हवाला देते हुए डीसीपी पद पर नियुक्ति नहीं दी जा रही है. याचिका में कहा गया कि नियुक्ति का यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के प्रावधानों के विपरीत है, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

कोर्ट ने लाइट ड्यूटी लगाने को कहा...

राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएसआरटीसी में कार्यरत मेडिकल अनफिट ड्राइवरों को लाइट ड्यूटी में लगाने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने आरएसआरटीसी के सीएमडी और कार्यकारी निदेशक से जवाब मांगा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश रणवीर सिंह और अन्य की याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता एसके सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ड्राइवरों को अस्थमा सहित अन्य बीमारियों के चलते बस चलाने में परेशानी हो रही है. यह न केवल याचिकाकर्ताओं के लिए बल्कि सवारियों के लिए भी खतरनाक है. याचिकाकर्ताओं ने एसएमएस अस्पताल में अपना मेडिकल कराया, जिसमें मेडिकल बोर्ड ने याचिकाकर्ताओं को लाइट ड्यूटी पर लगाने की राय दी है. इसके बावजूद उनसे चालक पद पर ही काम लिया जा रहा है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

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