जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एचसीएम रीपा में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को स्थाई करने के मामले में अदालत में झूठ बोलने वाले अधिकारी देवेश चौहान सहित स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल अफसरों पर कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए हैं. अदालत ने रजिस्ट्रार न्यायिक को कहा है कि वे इन अधिकारियों के खिलाफ प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 340 के तहत शिकायत दर्ज कराए. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं को 7 दिन में स्थाई करने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश रामप्रसाद और अन्य की याचिका पर दिए.
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2006 में याचिकाकर्ताओं को नियमित वेतन देने के साथ ही स्थाई करने के आदेश दिए थे. इसके खिलाफ दायर अपील को हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 में खारिज कर दिया. वहीं, राज्य सरकार खंडपीठ के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए उदयपुर से कर्मचारियों का इन रिक्त पदों पर तबादला कर दिया.
पढ़ें- कोटा ACB की कार्रवाई : अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और कैशियर 10 हजार की घूस लेते गिरफ्तार
दूसरी ओर हाईकोर्ट के आदेश पर कर्मचारियों को स्थाई करने के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी ने स्वीकृत पद नहीं होने पर याचिकाकर्ताओं को स्थाई करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ताओं की अवमानना याचिका पर आरएएस देवेश चौहान अदालत में पेश हुए, जिन्होंने पद रिक्त नहीं होने का हवाला दिया. इस पर अदालत ने अवमानना याचिका को खारिज कर दिया.
इस पर कर्मचारियों ने नए सिरे से याचिका दायर कर खाली पदों के संबंध में जानकारी दी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 7 दिन में याचिकाकर्ताओं को स्थाई करने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
पढ़ें- राजस्थान यूनिवर्सिटी में 20 हजार रुपए रिश्वत राशि लेते हुए कनिष्ठ अभियंता गिरफ्तार
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2006 में याचिकाकर्ताओं को नियमित वेतन देने के साथ ही स्थाई करने के आदेश दिए थे. इसके खिलाफ दायर अपील को हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 में खारिज कर दिया. वहीं, राज्य सरकार खंडपीठ के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए उदयपुर से कर्मचारियों का इन रिक्त पदों पर तबादला कर दिया.
दूसरी ओर हाईकोर्ट के आदेश पर कर्मचारियों को स्थाई करने के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी ने स्वीकृत पद नहीं होने पर याचिकाकर्ताओं को स्थाई करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ताओं की अवमानना याचिका पर आरएएस देवेश चौहान अदालत में पेश हुए, जिन्होंने पद रिक्त नहीं होने का हवाला दिया.
इस पर अदालत ने अवमानना याचिका को खारिज कर दिया. इस पर कर्मचारियों ने नए सिरे से याचिका दायर कर खाली पदों के संबंध में जानकारी दी, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 7 दिन में याचिकाकर्ताओं को स्थाई करने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
गांजा तस्करी करने वाले अभियुक्त को 10 साल की सजा
जयपुर शहर की मादक पदार्थों की विशेष अदालत ने गांजा तस्करी करने वाले अभियुक्त जगदेव दास को 10 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 19 जुलाई 2017 को झोटवाड़ा थाना पुलिस को मुखबिर से मादक पदार्थ तस्करी की सूचना मिली थी. इस पर पुलिस ने वाहनों की जांच की. वाहनों की तलाशी के दौरान पुलिस ने वहां से गुजर रहे ऑटो को रुकवाया. ऑटो में रखे दो बैग की तलाशी में पुलिस को 25 किलोग्राम गांजा बरामद हुआ. इस पर पुलिस ने ऑटो में सवार अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 14 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए.