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प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति में अनुपात परिवर्तन का विरोध, प्रधानाध्यापकों ने दिया धरने - Opposition to ratio change in Principal

उच्च माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति में अनुपात परिवर्तन के विरोध में अब प्रधानाध्यापक लामबद्ध होने लगे हैं. राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा) के बैनर तले बुधवार को प्रदेशभर के प्रधानाध्यापक जयपुर में इकट्ठा हुए और मुख्यमंत्री और मंत्रियों को ज्ञापन देकर अनुपात परिवर्तन नहीं करने की मांग रखी.

pposition to ratio change in Principal, प्रधानाचार्य पर पदोन्नति में अनुपात परिवर्तन का विरोध
प्रधानाचार्य पर पदोन्नति में अनुपात परिवर्तन का विरोध
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Published : Jan 27, 2021, 7:49 PM IST

जयपुर. उच्च माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए व्याख्याता और प्रधानाध्यापक के अनुपात में शिक्षा विभाग एक बार फिर बदलाव करने जा रहा है. इस अनुपात परिवर्तन के विरोध में प्रधानाध्यापक लामबद्ध होने लगे हैं. राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा) के बैनर तले मंगलवार को प्रदेशभर के प्रधानाध्यक जयपुर में इकट्ठा हुए और मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को ज्ञापन देकर प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति में व्याख्याता और प्रधानाध्यापक का अनुपात यथावत रखने की मांग की है.

प्रधानाचार्य पर पदोन्नति में अनुपात परिवर्तन का विरोध

राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद के प्रदेश महामंत्री पीडी गुर्जर ने बताया कि प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए सरकार अनुपात परिवर्तन कर रही है. पहले पहले प्रधानाचार्य के पद पर शत प्रतिशत पदोन्नति प्रधानाध्यापक के पद से होती थी. फिर प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए व्याख्याता और माध्यमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक का 50-50 का अनुपात निर्धारित किया गया.

इसे बदलकर 67:43 किया गया. अब सरकार इस अनुपात को 80:20 करने जा रही है. यानी प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए 80 फीसदी पद व्याख्याताओं से और 20 फीसदी पद प्रधानाध्यापकों के पद से भरे जाने की कवायद चल रही है. इसी के विरोध में आज प्रदेशभर के प्रधानाध्यापक जयपुर में इकट्ठा हुए हैं और सांकेतिक धरना देकर अपना विरोध दर्ज करवाया है.

पढ़ेंः सर्दी का जोर! किसानों की लहलहाती फसलों से लेकर मैदानी इलाकों में बर्फ ही बर्फ, पारा माइनस तीन डिग्री दर्ज

राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद के प्रदेश महामंत्री पीडी गुर्जर का कहना है कि प्रधानाध्यापक सरकार के इस कदम का विरोध दर्ज करवा रहे हैं और इस संबंध में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को ज्ञापन देकर अनुपात यथावत रखने की मांग की है. उनका कहना है कि इससे राज्य सरकार पर आर्थिक भार भी नहीं बढ़ेगा और लीनियर चैनल का भी उल्लंघन नहीं होगा. उनका कहना है कि इस अनुपात परिवर्तन के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए। जो सभी पक्षों को सुनकर अपनी राय दे. यदि सरकार उनकी मांग पर गौर नहीं करती है तो आंदोलन तेज किया जाएगा.

जयपुर. उच्च माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए व्याख्याता और प्रधानाध्यापक के अनुपात में शिक्षा विभाग एक बार फिर बदलाव करने जा रहा है. इस अनुपात परिवर्तन के विरोध में प्रधानाध्यापक लामबद्ध होने लगे हैं. राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा) के बैनर तले मंगलवार को प्रदेशभर के प्रधानाध्यक जयपुर में इकट्ठा हुए और मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को ज्ञापन देकर प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति में व्याख्याता और प्रधानाध्यापक का अनुपात यथावत रखने की मांग की है.

प्रधानाचार्य पर पदोन्नति में अनुपात परिवर्तन का विरोध

राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद के प्रदेश महामंत्री पीडी गुर्जर ने बताया कि प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए सरकार अनुपात परिवर्तन कर रही है. पहले पहले प्रधानाचार्य के पद पर शत प्रतिशत पदोन्नति प्रधानाध्यापक के पद से होती थी. फिर प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए व्याख्याता और माध्यमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक का 50-50 का अनुपात निर्धारित किया गया.

इसे बदलकर 67:43 किया गया. अब सरकार इस अनुपात को 80:20 करने जा रही है. यानी प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए 80 फीसदी पद व्याख्याताओं से और 20 फीसदी पद प्रधानाध्यापकों के पद से भरे जाने की कवायद चल रही है. इसी के विरोध में आज प्रदेशभर के प्रधानाध्यापक जयपुर में इकट्ठा हुए हैं और सांकेतिक धरना देकर अपना विरोध दर्ज करवाया है.

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राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद के प्रदेश महामंत्री पीडी गुर्जर का कहना है कि प्रधानाध्यापक सरकार के इस कदम का विरोध दर्ज करवा रहे हैं और इस संबंध में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को ज्ञापन देकर अनुपात यथावत रखने की मांग की है. उनका कहना है कि इससे राज्य सरकार पर आर्थिक भार भी नहीं बढ़ेगा और लीनियर चैनल का भी उल्लंघन नहीं होगा. उनका कहना है कि इस अनुपात परिवर्तन के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए। जो सभी पक्षों को सुनकर अपनी राय दे. यदि सरकार उनकी मांग पर गौर नहीं करती है तो आंदोलन तेज किया जाएगा.

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