जयपुर. प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को बिजली बिल में सालाना 12 हजार तक सब्सिडी देने की 'किसान मित्र ऊर्जा योजना' शुरू करने के दूसरे ही दिन भाजपा ने योजना में खामियां गिनाना शुरू कर दी. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि राजस्थान में अधिकतर किसानों के बिजली के बिल और बैंक के खाते सामान नहीं, ऐसी स्थिति में इन किसानों को कैसे मिल पाएगा अनुदान का लाभ.
शर्मा ने एक बयान जारी कर कहा कि गहलोत सरकार यदि किसान मित्र ऊर्जा योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी की राशि उनके बिजली के बिल में से घटाकर बिल जारी करें, तो इस योजना का लाभ किसानों को मिल सकता है. इस दौरान रामलाल शर्मा ने पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में किसानों को बिजली के बिलों में 833 रुपये प्रतिमाह की दी जाने वाली सब्सिडी योजना का जिक्र भी किया.
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उन्होंने कहा कि हमारी सरकार किसानों के बिल में सब्सिडी की राशि घटाकर ही बिल जारी करती थी, जिससे प्रदेश के शत-प्रतिशत किसानों को इसका लाभ मिलता था, लेकिन मौजूदा गहलोत सरकार की इस प्रकार की मंशा नहीं दिखती.
रामलाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश में करीब 8 से 10% ही किसान ऐसे हैं, जिनके बिल और जिनका बैंक खाता एक समान है, जबकि अधिकतर किसानों के बिजली के बिल किसी और के नाम से आते हैं और बैंक का खाता परिवार के किसी अन्य सदस्य के नाम है. पारिवारिक बिलों में दो से तीन व्यक्तियों के नाम होने के कारण भी इस प्रकार की दिक्कतें आती है.
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भाजपा ने सुधार के लिए की ये मांग : भाजपा विधायक ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया कि प्रदेश सरकार की मंशा किसानों को राहत देने की है, तो किसानों के बिजली के बिलों के अंदर ही सब्सिडी की राशि को कम करके भेजा जाए, ताकि इस योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिल पाए.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को विद्युत बिलों पर प्रदेश के किसानों को प्रति माह 1000 को सालाना अधिकतम 12 हजार का अनुदान देने के लिए मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना शुरू की थी. मुख्यमंत्री गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस योजना का शुभारंभ किया था. योजना में सालाना 1450 करोड़ रुपए के अनुदान के रूप में सरकार पर आर्थिक भार आएगा.