जयपुर. प्रदेश में कर्मचारी और अधिकारीयों का अगर एक बार तबदला हो गया तो उसके बाद निरस्त नहीं होगा, अब उन्हें उसी स्थान पर पदभार संभालना होगा. इसकी वजह यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों में जो भी तबादले हुए उनकी कोई संशोधन सूची जारी नहीं की. चाहे वो आरएएस के तबादले हों या फिर आईएएस या आईपीएस के. इनमें से जिसका जहां तबदला हो गया, उसे वहीं ज्वाइन करना पड़ा.
संशोधित तबादला सूची जारी नहीं करके सीएम गहलोत ने आईएएस और आईपीएस अफसरों को सख्त संदेश दिया है कि जिस अफसर को जहां लगाया है वह वहीं काम करे, क्योंकि तबादला निरस्त नहीं होगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सख्ती का असर यह हुआ कि जब-जब भी तबादला जारी हुआ, उसके दूसरे ही दिन ज्यादातर अफसरों ने अपना पदभार ग्रहण कर लिया.
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गहलोत सरकार ने पहले आरएएस, फिर आईएएस और उसके बाद आईपीएस बड़े स्तर पर फेरबदल करते हुए, 103 आईएएस और 66 आईपीएस और 144 आरएएस अफसरों के तबादले किए थे. आमतौर पर राज्य में यह पुरानी परंपरा रही है कि राज्य का कार्मिक विभाग तबादला जारी होने के दूसरे दिन सरकार संशोधित सूची जारी कर देता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. तबादले की आस लगाए आईएएस और आईपीएस अफसरों को मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट कह दिया कि सरकार की मंशा गुड गवर्नेंस की है. ऐसे में तबादला निरस्त नहीं हो सकता.
देर रात तबादलों के मायने...
आमतौर पर सीएम अशोक गहलोत के कार्यकाल में ब्यूरोक्रेसी के तबादले देर रात्रि को होते हैं. माना जाता है दिन में तबादले होने के बाद अधिकारी उसी दिन तबादला निरस्त कराने की जुगाड़ में लग जाता हैं. यही वजह है कि 103 आईएएस के तबादले रात्रि 12 बजे किए गए थे. हालांकि, पहुंच वाले अफसर अपने संपर्क के माध्यम से तबादला निरस्त करवाने में सफल होते रहे हैं.
आईपीएस के तबादले देर शाम को किए गए...
मतलब साफ है कि जब अधिकारी सुबह नींद से उठे तो उसे ये आदेश हाथ में मिले की उसे आज नई जगह पर कार्यभार संभालना है. ऐसा नहीं है कि गहलोत सरकार में ये तबादले मध्य रात्रि को किए जाते हैं. प्रदेश में किसी भी दल की सरकार हो लेकिन एक बात हर सरकार में समान होती है. भाजपा राज हो या कांग्रेस का राज, आईएएस और आईपीएस अफसरों के तबादले रात्रि में किए जाते हैं.
सीएमओ की दो टूक, तबादले की गुहार नहीं लगाएं...
आरएएस तबदला सूची जारी होने पर अधिकारीयों ने तबदला निरस्त कराने की कवायद की, लेकिन एक भी तबदला निरस्त नहीं हुआ है. ये अलग बात है कि दो दर्जन से अधिक तबादलों पर निर्वाचन आयोग ने रोक लगाई थी. इसी 3 जुलाई की रात को तबादला सूची जारी होते ही आईएएस अफसर तबादला निरस्त कराने के लिए सक्रिय हो गए. करीब दो दर्जन आईएएस अफसरों ने अपने संपर्कों के माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय के मार्फत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक तबादला निरस्त करवाने का अनुरोध किया, लेकिन मुख्यमंत्री ने तबादला निरस्त करने से दो टूक मना कर दिया.