जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय का नाम प्रदेश में उच्च शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र के रूप में जाना जाता है. इसके साथ ही शोध कार्यों को लेकर भी इस विवि की देशभर में अलग पहचान है. लेकिन विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों की कमी अब इसकी छवि पर भी असर डाल रहा है. फिलहाल सरकार की ओर से डायरेक्ट रिक्रूटमेंट के 61 पद स्वीकृत हैं. जबकि 272 एसोसिएट प्रोफेसर अब तक पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं. वर्तमान में महज पांच प्रोफेसर हैं, इनमें से भी एक प्रोफेसर इसी महीने के अंत में सेवानिवृत्त भी हो जाएंगे. वर्तमान में विश्वविद्यालय में महज चार प्रोफेसर ही कार्यरत हैं.
विश्विद्यालय में प्रोफेसरों की कमी के कारण रिसर्च कार्य भी खासा प्रभावित हो रहा है. रिसर्च प्रोग्राम में प्रवेश के लिए होने वाली एमपेट परीक्षा भी दो साल से नहीं हो पाई है. इसके चलते पिछले साल रिसर्च के क्षेत्र में जीरो सेशन रहा था. इस साल भी अभी तक एमपेट नहीं हो पाई है. ऐसे में लगातार दूसरे साल रिसर्च में प्रवेश नहीं हो पाने की तलवार लटक रही है.
2012 के बाद नहीं हुई प्रोफेसर की डायरेक्ट भर्ती
जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय में आखिरी बार 2012 में प्रोफेसरों की सीधी भर्ती हुई थी. इसके बाद से अब तक कोई भी भर्ती नहीं हुई है. दूसरी तरफ 2013 में लगे 272 एसोसिएट प्रोफेसरों की पदोन्नति भी लंबित पड़ी हुई है, लेकिन अभी तक इस पर भी फैसला नहीं हो पाया है. ऐसे में फिलहाल विवि में महज चार ही प्रोफेसर बचे हैं. हालात यह है कि पदोन्नति की राह देखते हुए करीब 140 एसोसिएट प्रोफेसर सेवानिवृत्त हो चुके हैं. लेकिन अभी तक नई भर्ती की दिशा में विश्वविद्यालय प्रशासन कोई फैसला नहीं ले पाया है.
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राजस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के महासचिव संजय कुमार का कहना है कि लंबे समय से प्रोफेसर के पद पर डायरेक्ट भर्ती नहीं हुई है. जबकि एसोसिएट प्रोफेसर की पदोन्नति का मामला भी काफी समय से लंबित है. ऐसे में विवि में प्रोफेसर की कमी होना स्वाभाविक है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय में कई जिम्मेदारियां सिर्फ प्रोफेसर्स को ही दी जा सकती है. लेकिन अभी विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों की कमी होने से एक ही प्रोफेसर के पास कई जिम्मेदारियां हैं. इससे उनका पढ़ाने का काम और जो जिम्मेदारियां वे निभा रहे हैं, दोनों ही प्रभावित हो रही हैं. उनका कहना है कि प्रोफेसरों की भारी कमी के कारण विवि की रैंकिंग भी काफी नीचे गिर गई है.
राजस्थान विश्वविद्यालय की स्थिति
कुल विभाग - 32
संघटक कॉलेज- 4
बिना प्रोफेसर के विभाग- 28
विवि में कुल प्रोफेसर -4
एसोसिएट प्रोफेसर -144
असिस्टेंट प्रोफेसर -337
विवि में रिक्त पद -460
शोधार्थियों को उठाना पड़ रहा खामियाजा
शिक्षक संघ के संयुक्त सचिव का कहना है कि विश्वविद्यालय में प्रोफेसर्स की कमी का सबसे ज्यादा खामियाजा शोध विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है. एक प्रोफेसर हर साल 8 शोध विद्यार्थियों को अपने निर्देशन में पीएचडी करवा सकते हैं. लेकिन जब प्रोफेसर्स ही नहीं हैं तो शोध की सीट कम होना स्वाभाविक है. यही कारण है कि पिछले सत्र में भी शोध में प्रवेश के लिए होने वाली एमपेट परीक्षा नहीं हो पाई थी और इस सत्र में भी अभी तक इस संबंध में कोई पहल होती नहीं दिखाई दे रही है.
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हाल ही में रिसर्च निदेशक के पद की जिम्मेदारी संभालने वाले डॉ. एनके पांडेय का कहना है कि किन्हीं कारणों के चलते दो साल की एमपेट परीक्षा पेंडिंग है. लेकिन अब विश्वविद्यालय ने सत्र 2018 और 2019 की एमपेट परीक्षा एक साथ आयोजित करवाई जाएगी.
32 में से 28 डिपार्टमेंट में प्रोफेसर नहीं
वर्तमान में राजस्थान विश्वविद्यालय में 32 डिपार्टमेंट हैं. इनमें हिंदी में एक, इकोनॉमिक्स में एक, सोशोलॉजी में एक और मैनेजमेंट में एक ही प्रोफेसर हैं. जबकि 28 विभाग ऐसे हैं। जिनमे एक भी प्रोफेसर नहीं है। इससे इससे विश्वविद्यालय के नियमित कामकाज के साथ ही रिसर्च वर्क से लेकर रैंकिंग तक भी प्रभावित हो रही है.