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शिशु रोग विभाग के चिकित्सक करते रहे कोताही, जांच रिपोर्ट भी आई, लेकिन नहीं हुई कार्रवाई

प्रदेश के कई अस्पतालों में हो रही शिशुओं की मौत के मामले में सरकार चौतरफा घिर गई है. यहां तक की मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में भी हाल कुछ ऐसा ही है. जहां, बीते एक माह में 146 बच्चों की मौत हो चुकी है. इसी अस्पताल में अनियमितताओं की बानगी एक वर्ष पहले भी देखने को मिली थी. लेकिन उस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

Jodhpur private doctors, जोधपुर के सरकारी चिकित्सक
government doctors serving in private hospitals in Jodhpur
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Published : Jan 6, 2020, 5:53 PM IST

Updated : Jan 6, 2020, 10:54 PM IST

जयपुर/ जोधपुर. शिशुओं की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा. जोधपुर के सरकारी अस्पताल में भी 146 शिशुओं की मौत का मामला सामने आ चुका है. मुख्यमंत्री का गृहजिला होने के चलते इस यह मुद्दा और भी गंभीर बन जाता है. बच्चों की मौत के पीछे जहां व्यवस्थाओं पर सवाल उठ रहे हैं वहीं चिकित्सकों पर भी लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. जोधपुर में सरकारी सेवावरत चिकित्सकों की अनियमितताओं से जुड़ा एक मामला ऐसा भी है जिस पर जांच रिपोर्ट भी आई लेकिन आजतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

चिकित्सक निजी अस्पतालों में दे रहे सेवाएं, जांच के आदेश भी हुए लेकिन कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात

दरअसल, मामला साल 2019 जनवरी का है जहां चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को शिकायत दर्ज की गई थी कि जोधपुर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में सेवारत चिकित्सकों द्वारा राजकीय सेवा के अतिरिक्त यानी प्राइवेट अस्पतालों में भी सेवाएं दी जा रही है. इस शिकायत के बाद चिकित्सा मंत्री ने जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे. जिसमें जोधपुर के अपर जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त प्राचार्य डॉ संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज जोधपुर, संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और मथुरा दास माथुर चिकित्सालय के उप अधीक्षक को शामिल किया गया.

पढ़ेंः कोटा: मृत बच्चों के परिजन से मिला अस्पताल प्रबंधन, लिखित आश्वासन दिया, 'लापरवाही से नहीं मरेगा बच्चा'

जांच के बाद करीब 11 चिकित्सकों के नाम सामने भी आए जिनमें डॉक्टर प्रदीप शर्मा यूरोलॉजिस्ट, डॉक्टर जेपी सोनी शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ प्रदीप गौड़ ऑंकोलॉजिस्ट, डॉक्टर सुनील दाधीच गैस्ट्रोलॉजिस्ट, डॉक्टर आरके सहारन यूरोलॉजिस्ट, डॉ किरण मिर्धा गायनिक शामिल हैं. खास बात यह है कि जिनके खिलाफ जांच की गई उनमें तीन डॉक्टर तो जोधपुर के शिशु रोग विभाग में कार्यरत थे. इसके बाद जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें पाया गया कि राजस्थान मेडिकल ऑफिसर एंड नर्सिंग स्टाफ फीस रूल्स 2011 का उल्लंघन इन चिकित्सकों ने किया है. कमेटी ने दोषी पाए गए चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी सरकार से कहा.

पढ़ेंः बच्चों की मौत पर स्मृति ईरानी ने किया पालयट के बयान का समर्थन,'कमी हुई है तो स्वीकार करे राजस्थान सरकार'

यह सारी जांच तत्कालीन संभागीय आयुक्त जोधपुर के निर्देश पर गठित की गई जांच कमेटी ने की. हालांकि सभी चिकित्सकों पर आरोप तय हो गए लेकिन इस जांच को एक साल बीत जाने के बाद भी इन चिकित्सकों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जो रिपोर्ट जांच कमेटी ने प्रस्तुत की उससे ये सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ सरकार ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया. जबकि इस पूरे मामले की जांच के आदेश खुद प्रदेश के चिकित्सा मंत्री ने ही दिए थे.

जयपुर/ जोधपुर. शिशुओं की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा. जोधपुर के सरकारी अस्पताल में भी 146 शिशुओं की मौत का मामला सामने आ चुका है. मुख्यमंत्री का गृहजिला होने के चलते इस यह मुद्दा और भी गंभीर बन जाता है. बच्चों की मौत के पीछे जहां व्यवस्थाओं पर सवाल उठ रहे हैं वहीं चिकित्सकों पर भी लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. जोधपुर में सरकारी सेवावरत चिकित्सकों की अनियमितताओं से जुड़ा एक मामला ऐसा भी है जिस पर जांच रिपोर्ट भी आई लेकिन आजतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

चिकित्सक निजी अस्पतालों में दे रहे सेवाएं, जांच के आदेश भी हुए लेकिन कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात

दरअसल, मामला साल 2019 जनवरी का है जहां चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को शिकायत दर्ज की गई थी कि जोधपुर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में सेवारत चिकित्सकों द्वारा राजकीय सेवा के अतिरिक्त यानी प्राइवेट अस्पतालों में भी सेवाएं दी जा रही है. इस शिकायत के बाद चिकित्सा मंत्री ने जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे. जिसमें जोधपुर के अपर जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त प्राचार्य डॉ संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज जोधपुर, संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और मथुरा दास माथुर चिकित्सालय के उप अधीक्षक को शामिल किया गया.

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जांच के बाद करीब 11 चिकित्सकों के नाम सामने भी आए जिनमें डॉक्टर प्रदीप शर्मा यूरोलॉजिस्ट, डॉक्टर जेपी सोनी शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ प्रदीप गौड़ ऑंकोलॉजिस्ट, डॉक्टर सुनील दाधीच गैस्ट्रोलॉजिस्ट, डॉक्टर आरके सहारन यूरोलॉजिस्ट, डॉ किरण मिर्धा गायनिक शामिल हैं. खास बात यह है कि जिनके खिलाफ जांच की गई उनमें तीन डॉक्टर तो जोधपुर के शिशु रोग विभाग में कार्यरत थे. इसके बाद जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें पाया गया कि राजस्थान मेडिकल ऑफिसर एंड नर्सिंग स्टाफ फीस रूल्स 2011 का उल्लंघन इन चिकित्सकों ने किया है. कमेटी ने दोषी पाए गए चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी सरकार से कहा.

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यह सारी जांच तत्कालीन संभागीय आयुक्त जोधपुर के निर्देश पर गठित की गई जांच कमेटी ने की. हालांकि सभी चिकित्सकों पर आरोप तय हो गए लेकिन इस जांच को एक साल बीत जाने के बाद भी इन चिकित्सकों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जो रिपोर्ट जांच कमेटी ने प्रस्तुत की उससे ये सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ सरकार ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया. जबकि इस पूरे मामले की जांच के आदेश खुद प्रदेश के चिकित्सा मंत्री ने ही दिए थे.

Intro:एक्सलूसिव
जयपुर- कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद जोधपुर के सरकारी अस्पताल में भी 146 बच्चों की मौत का मामला सामने आया. लेकिन जोधपुर के सरकारी अस्पताल में अनियमितताओं का एक मामला करीब 1 साल पहले सामने आया था और आरोप लगे थे कि सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों के खिलाफ शिकायत होने के बाद चिकित्सा मंत्री ने जांच के आदेश भी दिए लेकिन जांच के लिए कमेटी बनी और जांच के आदेश भी हुए लेकिन आरोपित किए गए चिकित्सकों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई


Body:दरअसल मामला जनवरी वर्ष 2019 का है जहां चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को शिकायत दर्ज की गई थी जोधपुर के राजकीय सेवारत चिकित्सकों द्वारा राजकीय सेवा के अतिरिक्त यानी प्राइवेट अस्पतालों में भी सेवाएं दी जा रही है। इस शिकायत के बाद चिकित्सा मंत्री ने जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए जिसमें जोधपुर के अपर जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ,अतिरिक्त प्राचार्य डॉ संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज जोधपुर, संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और मथुरा दास माथुर चिकित्सालय के उप अधीक्षक को शामिल किया गया और जांच के बाद करीब 6 चिकित्सकों के नाम सामने भी आए जिनमें डॉक्टर प्रदीप शर्मा यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर जेपी सोनी शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रदीप गॉड ऑंकोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनील दाधीच गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर आरके सहारन यूरोलॉजिस्ट डॉ किरण मिर्धा गायनिक के खिलाफ जांच की गई तो उन्हें दोषी पाया गया जिसके बाद जांच की गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की और पाया गया कि राजस्थान मेडिकल ऑफिसर एंड नर्सिंग स्टाफ फीस रूल्स 2011 का उल्लंघन इन चिकित्सकों ने किया है ऐसे में इन पर कार्रवाई की जाए और यह सारी जांच तत्कालीन संभागीय आयुक्त जोधपुर के निर्देश पर गठित की गई जांच कमेटी ने की. हालांकि सभी चिकित्सकों पर आरोप तय हो गए लेकिन 1 साल बीत जाने के बाद भी इन चिकित्सकों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में भले ही प्रदेश की सरकार निरोगी राजस्थान और चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराने की बात कर रही हो लेकिन जोधपुर के मामले में कमेटी की रिपोर्ट के बावजूद भी ऐसे चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं हो पाई।

बाईट- डॉक्टर नरेंद्र कुमार, समाजसेवी और चिकित्सा विभाग के जानकार
नोट- इनकी बाइट कोटा से मंगाई गई है इसलिए मेल की जा रही है बाकी जोधपुर के मेडिकल कॉलेज के विजुअल भी उपयोग में लाए जा सकते हैं


Conclusion:
Last Updated : Jan 6, 2020, 10:54 PM IST
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